एना किए ? - संतोष कुमार मिश्र

- श्री संतोष कुमार मिश्र
एकटा स्त्री,
हमर घरक सभटा काज क' दैअ
समय-समय पर आबिकs
हमर जरुरत पुरा क' दैअ
एहिके बाद ओ परतरि दैअ
मुदा एना किए?

Santosh Kumar Mishraकवि- श्री संतोष कुमार मिश्र। जनकपुर (नेपाल) निवासी श्री संतोष कुमार मिश्र जी काठमाण्डू (नेपाल) मे एकटा बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे अधिकारी छथि। मैथिली साहित्य सँ विशेष लगाव आ मैथिली मे एखन धरि “पोसपूत" आ "उदास मोन” (कथा संग्रह), एना (आईना) (सम्पादित कविता संग्रह) प्रकाशित आ एखन एकटा कविता संग्रह "एना किए" प्रकाशनाधीन छन्हि। सम्पर्क- 00977-98510-11940 (मोबाइल)


जहिया हम असगरे रहै छी
तहिया ओ हमरा संग राति बित'बैय
कखनो तिल त' कखनो तार
कहियो राई के बनादै पहाड
कखनो हमरा लेल आँखि मे नोर
आ कखनो हमरा सँ दूर
मुदा एना किए?

की इएहे त' प्रेम नहि?
की इएहो प्रेम छै?
हमरा कोनो बेगरता होय
ओ सेहो पुरा क' दैअ
गलती जौं भ' गेल हमरा सँ
त' डटबो करैए
मुदा एना किए?

ओकर आँखि मे
एकटा भावना रहै छैक
ओकरा विश्वास रहै छैक हमरे पर
तैयो ओ हमरा डटैत रहैए
मुदा एना किए?

किछु जौं कहि दिअय त' 
भ' जाइए टोका-चाली बन्द
ओकर मुँह बन्द भइयोक '
ओकर आँखि
अपन प्रेमक गीत कहैए
मुदा एना किए?

किछु समय बाद
जेना किछु भेले नहि होय
जेना ओ हमरा सँ चिंतीते नहि हुयै
तहिना व्यवहार करैय
मुदा एना किए?

6 comments:

करण समस्तीपुरी said...

मुदा एना अहि ले कि "कार्येषु दासी कर्मेषु मंत्री ! भोगेषु माता शयनेषु रम्भा !!" बड नीक लिखल संतोष जी ! मुदा जेकर जिज्ञासा मे "जन्म-जन्म मुनि जतन कराहि" आ जे "देवो ना जानाति" से हम सब एतेक आसानी से कोना जानि जाएब !! सुन्दर रचना हेतु साधुवाद !! एही मंच पर अपनेक अगला रचनाक प्रतीक्षा अछि !!!

Rajiv Ranjan said...

kavita bahut neek achhi. ahi kavita me purush soch aa mahila ke awashthaa k neek jeka darsone chhi.
okar prem aa okar majburi sabataa eke kavita me sametanai kathin hoyat achhi muda ahan ekara chitran karawa me safal rahalahu.

ahank
Rajiv

कुन्दन कुमार मल्लिक said...

नारीक विविध रुपक वर्णन करैत एकटा सजीव रचना। अहाँक दोसरो रचना जल्दीए प्रकाशित कय देल जायत। मैथिलीक उत्थान हेतु एहिना अहाँक सहयोग बनल रहत तकरे आस मे
अहाँक-
कुन्दन कुमार मल्लिक

রিরেকানন্দ ঝা (विवेकानंद झा) said...

हमहु वएह कहब जे सब कहलन्हि अय
जे नीक लिखल
मुदा संगहि ईहॊ जे
कविता में नारी के
उमड़ैत घुमड़ैत,कार्य करैत
ओकर किछु विल‌क्षण गतिक शब्द चित्र
सेहॊ प्रस्तुत करी तऽ
कविता सेहॊ विलक्षण भऽ जायत
साधुवाद

सुभाष चन्द्र said...

कहल गेल अछि , "जो गुज़र जाता है ,वह वक्त नहीं-मैं और आप हैं. वक्त तो रहता है -कुछ टिका रहता है,कुछ बहता है ." अहांक रचना मे ऐह देखबा में अबैत अछि. एकता सुन्नर रचना जे दोसर के लोभ दियाबैत अछि.

सुभाष

Om naam pyara said...

kavita bahut besi neek lagal asa karait chhi ahina aha ke kavita se pathak varg labhanit hetah.
bahut bahut dhanybad

अंतिम फेसबुक अपडेट

लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...