जलकुम्भी भाग-२ (लेखिका- अल्पना)


एहि सँ पाछू'क अंक मे अपने लोकनि पढ़लहुँ जे कोना रुद्र बाबु केँ अमोल नामक यूवक सँ मुम्बई बी.टी. स्टेशन पर भेँट भेल. अपने लोकनि इहो पढ़लहुँ जे कोना मैथिल लोकनिक नेटवर्क मे रुद्र बाबु अपन स्थान राखैत छथि, आ कोना रँजीत ओहि नेटवर्क'क अभिन्न अंग बनि गेल छथि. अपने इहो पढ़्लहुँ जे वर्षा केँ ल'केँ रुद्र बाबु रँजीत सँ की अपेक्षा राखैत छथि. अपने इहो पढ़लहु जे वर्षा रँजीत केँ किएक सामान्य एवम अमोल केँ विशेष बुझैत छलीह. पाछु'क अंक मे लिखल गेल छल जे अमोल कतओ खराप मैनर केँ नहि बुझैथ, तेँ वर्षा हुनका ई.मेल करबाक लेल निश्चय क' नेने छलीह. ...

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जलकुम्भी भाग-२ (लेखिका- अल्पना)
बुझु राति कहुना केँ बीतल. भोर भेने जँ सात बजे वर्षा सुति केँ उठलीह ते मोन मे हरदम एक्के बात घुमैत छलन्हि जे अमोल केँ ई-मेल मे की लिखल जाए. बेसी लिखला पर ते खराप बुझताह, कम लिखला पर आओर खराप, कम लिखला पर फेर सँ अहांगी बुझताह, मुदा बेसी लिखला पर ओ इएह बुझताह जे मान ने मान आ तेरा मेहमान. इएह उहापोह मे कालेज जेबाक लेल समय आबि गेलन्हि. कालेज जेबाक काल मे सेहो ओ ओएह सोचैत छलीह जे लिखल की जाए आ कतेक लिखल जाए. ई बात ते सोचिए नेने छलीह जे अमोल'क बिजनेस कार्ड पर लिखल ई-मेल पर ओ ई-मेल करतीह.
कालेज पहुँचला'क बाद वर्षा के कनियोँ मोन नहि लागैत छलन्हि, लन्च'क समय'क बाट ताकैत छलीह. लन्च भेला पर कम्यूटर लैब मे घुसि कम्प्यूटर आन कय पाछु ताक 'लगलीह... किओ देखि ते नहि रहल अछि. वर्षा एत्तेक डरपोक ते नहि छलीह. पुरे क्लास मे ओ सबसँ साहसी मनल जाईत छलीह. आई हुनका की भ' गेलन्हि से पता नहि.
मुदा कम्यूटर खोलि अपन ई-मेल सँ टाइप करय लगलीह....
Respected Amol Jee;
This is Varsha here. Yesterday you have met my parents on V.T station. Found your email ID on your card. Thought to drop an email to you to say you hello. Hope you are doing well.
thanks

Versha

एतेक बात टाईप कौ के सेन्ड बटन दबा देलीह. ई इण्टरनेट'क दुनिया थीक. एक बेर सेन्ड भौ गेलाक बाद किओ वापस नहि क' सकैत छैक. वर्षा अपन सेन्ड फोल्डर मे भेजल गेल ई-मेल मे सबसँ उपर अमोल'क इ-मेल देखलीह. मोन मे होमय लागलन्हि पहिने ते ई-मेल मे की लिखल जाए आब जँ सेन्ड फोल्डर मे भेजल गेल इ-मेल 'क विश्लेषण करय लागलीह ते पहिने सँ बेसी पछतावा होमय लाग्लन्हि. आब जे एकटा कहल गेल फकड़ा छैक जे तीन चीज कहियो वापस नहि होइत छैक (बात जुबान सँ, तीर कमान सँ, प्राण शरीर सँ, एक बेर निकलि गेला 'क बाद कहियो वपस नहि आबैत छैक) मे एकटा आओर जोड़क चाही. जे चारि चीज कहियो वापस नहि भ'सकैछ, बात जुबान सँ, तीर कमान सँ, प्राण शरीर सँ, आ ई-मेल कम्यूटर सँ, पहिल लाईन लिखने छलीह "रिस्पेक्टेड अमोल जी". लिखि केँ सोचए लगलीह हम बिना कारण रिस्पेक्टेड किएक लिखलहुँ. कतओ ओ ई ते नहि बुझि जाथि जे बिना मतलब हम जबर्दस्तीक ई-मेल क 'रहल छिअन्हि. प्रत्येक पँक्ति'क एहिना विश्लेषण करय लगलीह. मोन विरक्त भ' गेल छलन्हि. ई सब हुनका मोन मे चलिते रहन्हि की ओ जी-मेल मे घुसल एकटा जीन्न उपर उठि केँ सूचना देल्कन्हि, [ यू हैव रीसिव्ड वन न्यू मेल फ़्रोम आमोल .... ]

अमोल हुनका जवाब देने छलाह;

Dear Varsha;
Thanks for your e.mail. I will be visiting your home in coming week-ends.
Bye
Amol
...एकर बादो वर्षा'क मोन मे अनेको प्रश्न उठय लाग्लन्हि. की इएह तरीका थीक. अमोल अपना आप केँ बुझैत की छथि. हालो चाल नहि पुछि सकैत छथि. फेर कखनो मोन होइत छहलन्हि जे हमही मेल मे की लिखने छलहुँ जे ओ लिखताह. फेर सँ मोन मे अन्तर्द्वंद्व चलय लागल छलन्हि. मुदा पाँच दिन बादे हुनकर घर मे आगमन छलन्हि सेह सोचि केँ अपना आप के सान्त्वना दैत छलीह जे हुनका एलाक बाद सब किछु फड़िया लेब.
इम्हर वर्षा'क मोन मे अन्तर्द्वंद्व छलन्हि ते अमोल आ रँजीत'क घर मे अलग कहानी छलन्हि. रँजीत'क सब भाई पढ़ल लिखल मुदा नौकरी करय वाला सिर्फ रँजीते. हुनके पैसा सँ गाम 'क खर्चा चलैत रहन्हि. मुदा हुनकर परिवार'क लोकनिक लेल रँजीत'क स्थान बहुत पैघ. पुरा गाम मे रँजीत'क उदाहरण देल जाइत छल जे गरीबी सँ पढ़ि केँ ओ एकटा आफिसर कोना भ ' गेल आ बम्बई मे हुनका कतेक पैघ लोक सँ जान पहचान छन्हि. गाम'क किओ लोक जँ हुनकर परिवारक लोक केँ कहन्हि जे रँजीत उम्हरे से बियाह केने औताह, ते ओ लोकन्हि एक्केटा जवाब दौत छल्थिन्ह... जे हमर रँजीत एहेन नहि. आ हुनकर परिवारक लोक इएह आशा पर रहथिन्ह जे रँजीत 'क विवाह मे जे पैसा भेटत ओकर एकटा घर बनायब, बढियाँ जेकाँ एकटा दलान बनायब आ ओकर बार बहुत किछु आओर. ८-१० लाख टाका किओ दौ देथिन्ह. आइ काल्हि की मिथिला मे एहेन लड़का भेटैत छैक. रँजीत 'क परिवार'क लोक इएह सब बात गाम'क लोक केँ कहथिन्ह. यानी पुरे परिवार केँ रँजीत के उपर गर्वे टा नहि रहन्हि अपितु एक ढाकी अपेक्षा सेहो रहन्हि. एहि अपेक्षा 'क बोझ तर दबल रँजीत'क अपन की इच्छा छलन्हि किओ ई नहि सोचैत छल्थिन्ह.
इम्हर अमोल'क घर'क दोसरे कहानी. भाई मे असगर आ एकटा कुमारि बहिन. हुनकर बाबुजी पटना मे एकटा सरकारी आफिस मे क्लर्क पद सँ रिटायर्ड भेल रह्थिन्ह. क्लर्क 'क नौकरी केलाक बादो बाल बच्चा'क लालन पालन आ पढाई लिखाई मे कोनो कमी नहि. बढियाँ स्कूल मे पढौने छलथिन्ह अपन धिया-पूता केँ. पी.एफ. सँ निकालि निकालि केँ सबटा पैसा दुनू बच्चा पर खर्च क 'देने रहैथ. तेँ भगवान हुनका सुनबो खुब केल्कन्हि. एकटा बेटा आई. आई. टी. आ बेटी सम्प्रति जे.एन.यू. सँ केमिस्ट्री मे एम. फिल. करैथ रहहिन्ह. मुदा एत्तेक केला'क बादो भगवान हुनका भोग नहि लिखने छलथिन्ह. रिटायर्ड भेला 'क उपरान्त हुन्का हाथ मे पायर्लाइसिस मरि देने छलन्हि. अपने सँ किछु नहि कौ सकैत रहथि. अमोल ई सबटा बात जानैत छलाह. तेँ आ ओहि हिसाबेँ आगु बढैत छलाह. हुनका इहो दिमाग मे छलन्हि जे बहिन 'क विवाह करबाक अछि. बहिन जँ जे.एन. यू. सँ एम. फिल करैत छलथिन्ह ते हुनका लड़को ते ओहने चाही. आ आई काल्हि बिना दहेज'क विवाह के करैत छैक. तेँ ओहि हिसाबेँ ओ सोचि बुझि केँ चलैत छलाह.
अतएव वर्षा'क अन्तर्द्वन्द्व, रँजीत'क परिवार'क अपेक्षा आ अमोल'क कर्तव्यपरायणता'क बीच मे मुम्बई 'क तीन करोड़ लोक'क दिनचर्या
ओहिना लोकल ट्रेन'क इर्द-गिर्द घुमैत छल...

अंतिम फेसबुक अपडेट

लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...