कतेक रास बात

- कुन्दन कुमार मल्लिक
अज्ञातवास सँ निकसय के प्रयास करैत
आई इक बेर फेर लेखनी धेने छी
आई फेर मोन पड़ैत अछि
ओ कतेक रास बात
मोन पड़ैत अछि ओ दिन
जखन कतेक रास बात
सफलताक चरम पर छल
मोन पड़ैत अछि ओ चौकड़ी
चौकड़ी यायावरजी, राजीवजी, करणजी आ हमर
ओ माछ-भातक भोज आ

कतेको मास सँ सुषुप्तावस्था मे रहल एहि मंच केँ एक बेर फेर सँ जागृत करय के एकटा छोट प्रयास. अपनेक वैह सहयोग आ मार्गदर्शनक आस रहत।
- कुन्दन कुमार मल्लिक,
सम्पादक, "कतेक रास बात"
संपर्क- +९१-८६५१०-१६८१४


किनको ओहिठाम जा धमकनाय
विकट पाहुन बनि
मोन पड़ैत अछि ओ स्वप्न
जे संगे देखने छलहुँ
एहि मंच के आगू बढ़बय हेतु
मोन पड़ैत अछि ओ सम्मान
जे भेटल छल एकरे माध्यम सँ
मुदा आब बुझायत अछि
छुटि चुकल, जीवनक भागा-दौड़ी मे
स्वप्न, सम्मान सभ किछु
बिसरि चुकलहुँ ओ लक्ष्य
जे निर्धारित केने छलहुँ
सभ केओ मिलि केँ
मुदा
आई इक बेर फेर उपस्थित छी
अपनेक सभहक समक्ष
फेर वैह स्वप्नक संग आ
वैह लक्ष्य नेने
अपन एहि नव कृतिक संग
आस अछि फेर भेटत
अपनेक वैह सिनेह
वैह सहयोग, वैह मार्गदर्शन

आस अछि फेर सँ एताह
'सुभाषजी' आ 'विवेकानंदजी'
अपन-अपन अनुपम कृति लय
आ एताह 'आदि यायावारजी'
अपन तीक्ष्ण टिप्पणीक संग
फेर एताह 'करणजी'
अपन अनुपम विवेचनाक संग
आ 'राजीवजी' देखौताह
अपन वैह 'बेगरता'
हम त' रहबे करब
अपनेक सभहक सिनेहक आस मे
आ सभ केओ मिलि
फेर सँ करब, वैह
"कतेक रास बात"।

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