माटीक घर आ फूस'क चार नीक लागैत अछि !
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
गेल छलहुँ हम डेढ़ बरख पर,
अप्पन सुंदर गाम !!
लाल- लाल लिच्ची छल लुधकल,
हरियर-पीयर आम !!
आमक चटनी के'र चटकार नीक लागैत अछि !
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
रवि, बृहस्पति आ मंगल दिन,
ओतय लागैत अछि हाट !
शहर'क माल'क बात करब कि,
जखन देखब ओ ठाठ !
हटिया पर'क बात-विचार नीक लागैत अछि !
हमरा गाम'क गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
हरल-भरल सुषमा संपन्न थिक,
ई प्रकृतिक बेटी !
मोन करैत अछि एकर कोरा में,
भs निचिंत हम लेटी !
प्रकृति सुताक सहज श्रृंगार नीक लागैत अछि !
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
एखनहु बुझलहुँ कि ने बुझलहुँ,
ई थिक मिथिला धाम !
जतय जनमली सीता मैय्या,
जतय बियाहल राम !!
गंडक, कमला केर जलधार नीक लागैत अछि,
हमरा गाम'क गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
- करण समस्तीपुरी
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
गेल छलहुँ हम डेढ़ बरख पर,
अप्पन सुंदर गाम !!
लाल- लाल लिच्ची छल लुधकल,
हरियर-पीयर आम !!
आमक चटनी के'र चटकार नीक लागैत अछि !
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
रवि, बृहस्पति आ मंगल दिन,
ओतय लागैत अछि हाट !
शहर'क माल'क बात करब कि,
जखन देखब ओ ठाठ !
हटिया पर'क बात-विचार नीक लागैत अछि !
हमरा गाम'क गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
हरल-भरल सुषमा संपन्न थिक,
ई प्रकृतिक बेटी !
मोन करैत अछि एकर कोरा में,
भs निचिंत हम लेटी !
प्रकृति सुताक सहज श्रृंगार नीक लागैत अछि !
हमरा गामक गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
एखनहु बुझलहुँ कि ने बुझलहुँ,
ई थिक मिथिला धाम !
जतय जनमली सीता मैय्या,
जतय बियाहल राम !!
गंडक, कमला केर जलधार नीक लागैत अछि,
हमरा गाम'क गप-व्यवहार नीक लागैत अछि !!
- करण समस्तीपुरी