मध्य वर्गक सपना

- श्री सतीश चन्द्र झा

भीजि क’ आयल छलहुँ हम
आँखि मे किछु स्वप्न धेने।
मोन के पौती मे भरि क’
स्नेह के संदेश रखने।

किछु कहब हम बात अप्पन
किछु अहाँ सँ आइ पूछब।
फेर हम निष्प्राण भ’ क’
बाँहि मे विश्राम खोजब।

कवि- श्री सतीश चन्द्र झा,
व्याख्याता, दर्शन शास्त्र,
मिथिला जनता इंटर कॉलेज, मधुबनी,
सम्पर्क- +91-97087 15530


पी लितहुँ हम नोर आँखिक
ठोर पर उतरल अहाँ के।
नेह सँ परितृप्त करितहुँ
साटि छाती मे अहाँ के।

ल’ लितहुँ चुम्बन हृदय सँ
गाढ़ रक्तिम ठोर पर हम।
की करै छी ? लोक देखत,
अहाँ कहितहुँ , हँसि दितहुँ हम।

भागि चलितहुँ फेर सँ हम
संग ल’ सुन्दर विगत मे।
कल्पना के पाँखि ल’ क’
उड़ि जयतहुँ उन्मुक्त नभ मे।

होइत जौं ई सत्य सपना
देवता के जल चढ़बितहुँ।
हे प्रिये ! होइतै केहन जौं
किछु समय के रोकि सकितहुँ।

भेंट होइते सभ बिसरलहुँ
हम केना क’ बात मोनक।
छै कहाँ रहि गेल वश मे
स्वप्न देखब मध्यवर्गक।

अछि जतेक सामथ्र्य अप्पन
क’ रहल छी कर्म सभटा।
मोन मे अछि सोच कहुना
किछु रहय बाँचल प्रतिष्ठा।

अर्थ दुर्लभ वस्तु जग केँ
अछि एकर भरि मास खगता।
खर्च बढ़िते जा रहल अछि
बढ़ि रहल दानव बेगरता।

कात मे मुनियाँ कनै अछि
किछु नया परिधान कीनत।
नीक ब्राँडक जींस, जैकेट
पुत्रा बड़का आइ आनत।

माँग छल पायल अहूँ के
मोन मे अछि दू बरख सँ।
नीक कुर्ता लेब हमहूँ
जीब की हम आब सुख सँ।

साग - सब्जीक दाम पुछि क’
होइत अछि परिपूर्ण इच्छा।
जा रहल छी पाँव पैदल,
भाग्य अछि रेलक प्रतिक्षा।

देत के सहयोग अपनो
क’ रहल अछि लोक शोषण।
चीज शौखक अछि सेहन्ता
क’ रहल छी मात्रा भोजन।

नाम सँ के आब चिन्हत
अर्थ केँ सम्मान होइ छै।
झूठ के सम्बन्ध सगरो
के कतय किछु प्राण दै छै।

कामना भगवान सँ अछि
जन्म दोसरो, संग भेटय।
उच्च नहि त’ दीन .. निर्धन
वंश कुल मे जन्म भेटय।

माँटि पर बैसल अहाँ संग
खेल करितहुँ, स्नेह सदिखन।
काल्हि के नहि आइ चिन्ता
छुच्छ जीवन, तुष्ट जीवन।

अंतिम फेसबुक अपडेट

लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...