अपन अपन खुशी (मैथिली कहानी)




"की अपन बौआ अठारह सय सँ आगू नहि मनी-आर्डर क' सकैत छथि? आई बौआ'क नौकरी भेना छओ मास भ' गेल अछि. ओ मात्र अठारह सय टाका मासिक मनीआर्डर करैत छथि. ओना अपना लोकनिक ते काज चलिए रहल अछि मुदा बहुत दिन सँ मोन छल जे कनियों बेसी टाका भेजतथि ते जाके सिँहेश्वर बाबा'क दर्शन क' अबितहुँ. कतेक हेते कुल मिलाकेँ ५०० टाका खर्चा पड़तैक. मुदा आब अपना लोकनि केँ कोन चिन्ते अछि. दू-टा कनकिरबी छल ओकर बियाह भ' गेल अछि बौआ नौकरी करिते छथि. मुदा कनि मनि जँ बेसी टाका भेजतथि ते अपना लोकनि'क किछु रुकल काज क' अबितहुँ. अहुँ के धोती आब जवाब द' रहल अछि"


एक्के दम मे कुनौली वाली अपन पतिदेव केँ ई सब बात कहि देलीह. आ हुनकर पति श्री दीनानाथ ठाकूर जाढ़'क दूपहर मे अपने आँगन मे खटिया लगा एना एहेन नाटक केलथिन्ह जे ओ किछु सुनमे नहि केल्थिन्ह. एहेन नहि छलैक जे ओ अपन पत्नी'क बात सुन' नहि चाहैत छलाह, बल्कि ओ एहि तरहेँ बात रोज भोर साँझ सुनैत छलाह, तेँ हुनका एहि बात मे कोनो रस नहि लागैत छलन्हि. आ जेना हरदम होइत छल. हुनकर पत्नी एहि बात सँ तमसा गेल छलीह आ बाजैत बाजैत चलि गेलीह, "एहि घर मे हमर बात सुनय वाला किओ नहि, सबकेँ अपने टा सुझैत अछि". दीनानाथ ठाकूर फेर सँ स्तब्ध.


कनिक देर मे हुनकर कनियाँ फेर सँ इम्हर अयलीह तो दीनानाथ बाबु कहय लागलाह, " अहाँ के कतेक बेर हम कहलहुँ मुदा अहाँ बुझि नहि सकलहुँ, फेर सँ ओएह बात, ओएह बात".


"अपन बौआ कोनो आइ.ए.एस केर नौकरी नहि करैत छथि. दिल्ली मे एकटा कपड़ा बनबै वाला कम्पनी मे कपड़ा चपोतै छथि. भोर सँ साँझ धरि खटला के बाद मात्र साढे चारि हजार टाका मासिक हुनका दरमाहा भेटैत छन्हि. ओहो मे ओ अठारह सय टाका अहाँ के भेजि दैत छथि. बाँकी बचल सत्ताइस सय टाका मे दिल्ली मे ओ कोना रहैत हेताह से अहाँ नहि बुझि सकबैक" देनानाथ ठाकूर अपन पत्नी केँ बुझेबाक प्रयास केल्थिन्ह.


हठाते कुनौली वाली गम्भीर भ' गेलीह आ अपन घरवाला सँ एकटा प्रश्न फेर पुछि देलथिन्ह, " से सुनु ने, एखने बभनगामा वाली'क बेटा मनोज से दिल्ली सँ आयल छलाह, कहैत छलाह जे अपन बौआ'क नौकरी बहुत बढ़ियाँ अछि. बाँकी लोक ते ठाढ़े काज करैत छथि मुदा अपन बौआ केँ बैसलाह काज भेटल छन्हि, किदन ते कहैत छैक... फोल्डिँग डीपार्टमेन्ट मे".


"तेँ अहाँ के हम मूर्ख कहैत छी ने. अन्ग्रेजी मे कपड़ा चपोतनाई के फोल्डिँग कहल जाइत छैक. बाँकी लोक ठाढ़े काज करैत छथि मुदा अपन बौआ एक बड़का टेबुल पर बैसि कपड़ा चपोतैत रहैत छथि. सत्ताइस सौ टाका मे घर'क किराया, खेनाई पीनाइ बस के किराया नहि जानि कतेक काज रहैत हेतन्हि", अपन कनियाँ के हर सम्भव तरीका सँ बुझेबाक प्रयास करैत दीनानाथ ठाकूर बाजलाह.


कुनौली वाली आब आओर बेसी गम्भीर भ' गेल छलीह. दू टा बेटी'क बाद भेलाक बाद बौआ जन्म नेने छलाह. बचपन सँ दुलारु. अपन बौआ केँ ओ कोनो तरहेँ दिक्कत मे नहि देखि सकैत छलीह. मोन मे सँतोष कय लेलीह जे आइ ने काल्हि यदि बौआ'क जिन्दगी सलामत रहतन्हि ते सिँहेश्वर कोन बाबा-धाम तिरुपति सभ'क दर्शन कारा देतन्हि. अपने मोन मे सोचैत बजलीह, " भगवान भोलानाथ बौआ केँ कोनो तरहेँ'क दूँख नहि दिहथु". आ जेना हरदम होइत छैक हुनकर आँखि मे नोर भरि गेल छलन्हि. लागैत छलन्हि जे ओ बेसी टाका माँग कय कोनो अपराध क' देलथिन्ह. आब पछतावा होइत छलन्हि.


स्त्री जाति'क इएह विधान थीक, कोँढ़ जल्दी फाटैत छन्हि. दुनियाँ केर एत्तेक दूःख दर्द केँ अपना आप मे समेटितहुँ अपना उपर मे ओत्तेक विश्वाश नहि रहैत छन्हि. जैह वस्तु'क लेल जिद्द करैत छथि ओएह वस्तु केँ त्याग करबा'क लेल सेहो तैयार. आइ तक भगवानोँ नहि बुझि सकलाह स्त्री'क ई प्रकृति केँ. आ बौआ ते हुनकर अपने कोखि सँ जनमल सन्तान थीकाह. अपन एक तुच्छ इच्छा'क लेल हुनका कोना कष्ट पहुँचेबाक बात सोचि लेलीह ताहि पर पछताबा होइत छलन्हि.


कनिके काल मे फेर सब किछु सामान्य. फेर सँ कुनौली वाली सोचय लगलीह जे हुनकर कोखि सन भगवान सब केँ दिहथु. मात्र तीन टा धिया पूता. दू टा बेटी'क बढ़ियाँ घर मे विवाह जमाए लोकन्हि सरकारी नौकरी मे. एकटा बेटा बी.ए. आनर्स आ दिल्ली मे नौकरी करैत. भगवान'क दया सँ आइ तक कहियो दालि-भात-तरकारी मे भाँगठ नहिँ लगलन्हि. भगवान चि० बौआ'क समाँग जुड़ैल राखथु ओहि सँ बेसी हुनका केवल एकटा नीक पुतोहू द' दैथि एहि सँ बेसी किछु नहि चाही. बात खतम भ' गेल सब किओ खुश रहय लागल.


किछु दिन'क बाद अपने टोल'क एकटा बच्चा भोरे भोर खबरि देलकन्हि जे गाम'क डाकिया श्री खेलानन्द हुनका बजबैत छथि, हुनका लेल चिट्ठी आयल अछि. गामक डाकिया जखन हुनका बजबैत छलथिन्ह ते मोन ई बात रहैत छलन्हि जे किछु नहि किछु दिल्ली सँ आयल अछि. मुदा कोन चीज आयल अछि ई बात हुनका मोन केँ उद्वेलित कय दैत छलन्हि. पिछला कएक बेर सँ ते केवल बौआ के मनीआर्डर आबैत छल वा अन्तर्देशी चिट्ठी. अन्तर्देशी चिट्ठी ते ककरो द्वारा खेलानन्द भेजि दैत छलन्हि. एहि बेर चिट्ठी आयल अछि आ तैयो खेलानन्द हुनका बजौने छलाह. मोन कोनो पैघ आशँका सँ घबरा गेलन्हि.


सरपट भागैत खेलानन्द'क घर पर पहुँचलीह. आबिते खेलानन्द हुनका एक ठाम दस्तखत करबा हुनका कहलकन्हि, "जे रजिस्ट्री चिट्ठी आयल अछि". मोन आओर आशँका सँ खराब भ' गेल छलन्हि. जल्दी सँ चिट्ठी पाड़ि देखलथिन्ह जे ओहो मे एकटा चिट्ठी छल आ चिट्ठी'क साथ साथ एकटा लाल रँग'क आओर कागज. मोन मे कतेको प्रश्न उठलन्हि जे एखन ते मनीआर्डर आबैक समय थीक ते चिट्ठी कोन हिसाब सँ.


खेलानन्द दाँत नीपोड़ने कहै लागल, "काकी भोज कहिया खुआ रहल छी. अहाँक लेल अहाँक बौआ डराफे सँ पैसा भेजने अछि. ल' देखय दिअ ते कतेक के अछि, ओ महाराज, ई ते पूरे पैँतालीस सय टाका अछि, साढे चारि हजार, बाप रे बाप दिल्ली मे बहुत पैसा छैक. आब हमरो लोकनि केँ सरकारी नौकरी छोड़ि दिल्ली कमेबा'क लेल जेबाक चाही, काकी हम नहि मानब हम भोज ते खेबे करब" एक दम मे खेलानन्द कत्तेक बात कहि देलकन्हि.


कुनौली वाली केँ एत्तेक खुशी पर हठाते विश्वासे नहि भेलन्हि. ओ खेलानन्द केँ चिट्ठी पढबाक लेल कहल्थिन्ह. खेलानन्द पढ़य लागल.


"पूज्यनीयाँ माँ, सादर प्रणाम, हम कुशल छी आ अपने लोकनिक कुशलता'क कामना करैत रहैत छी. पीछला महीना मे हम किछु ओभर-टाइम काज केने रही आ बेसी पैसा कमेने छी. तेँ एहि महीना अठारह सय नहि अपितु साढे चारि हजार टाका भेजि रहल. बजार'क बैँक मे बाबुजी के कहब्न्हि तोडबा लेबाक लेल. अहाँ सिहेश्वर स्थान घुमि केँ आबु, बाबुजी'क लेल एक जोड़ ब्रासलेट धोती कीनि देबन्हि. एहि महीना काज भेटला पर हम फेर सँ ओभर टाइम काज करब आ अहाँ के पैसा भेजब. बाबुजी केँ प्रणाम कहि देबन्हि."


कुनौली वाली आओर किछु नहि बुझि सकलीह. केवल एतबी बुझि मे एलन्हि जे एहि बेर बौआ साढे चारि हजार टाका भेजने छथि. चिट्ठी आ ड्राफ्ट ल' ओ लगभग दौड़ैत अपन घर जाए लगलीह. रास्ता मे हुनका कतेको बात फुड़लन्हि. मोन कहैत छलन्हि जे जोर जोर सँ चीकरि चीकरि केँ लोक केँ कहथि जे बेटा हो तेँ हमरे बौआ सन. किछु दिन पहिने हम इच्छा करैत छलहुँ आई बौआ ओहि इच्छा केँ पूरा करबा'क लेल सब व्यव्स्था क' देलथिन्ह. सब बाबा वैद्यनाथ'क कृपा छन्हि. हँ एहि टाका मे सब सँ पहिने हम सत्यनारायण भगवानक पूजा करायब तकरे बाद ओहि सँ कोनो दोसर काज कएल जायत. आ हिनका एक जोर ब्रासलेट'क धोती कीनि देबन्हि, बड़की बेटी'क दू मासक बाद मे बिदारगरी अछि एक पल्ला नीक साड़ी कीनि के राखि देब. सिँहेश्वर-स्थान जेबा मे ते बेसी खर्चा होयत नहि. केवल ट्रेन के किराये टा नहि, बाँकी घर सँ दू व्यक्ति'क लेल मुरही-चूड़ा बान्हि लेब. आब ते ओहो बाध सँ आबि गेल हेताह. ई खुशखबरी सुनि कतेक खुश हेताह. इएह सब सोचैत लगभग दड़बड़ मारैत घर जैत छलीह. की रास्ता मे बभनगामा वाली भेटलन्हि, पुछलथिन्ह, "किएक यै एना दड़बड़ मारने कतय सँ आबि रहल छी, कोनो विशेष बात?"


"हँ हँ बौआ पैसा पठेने छलाह. एहि बेर डराफे सँ टाका पठेने छथि. साढे चारि हजार टाका. बैँक मे डराफ जमा करेला'क बाद पैसा भजतैक. पैसा भेजेला'क बाद तुरँते हमरा सत्यनारायण भगवान'क पूजा करेबाक अछि", एक बेर मे फेर ओ कतेक बात कहि गेल छलीह.


एहि बात सुनि के जे बभनगामा वाली'क चेहरा पर मुस्की मुदा अन्दर सँ इर्ष्या'क भाव उजागर भेल, कुनौली वाली केँ बुझबा मे कनियोँ देर नहि लागलन्हि. ओ अपन घर दिस फेर सँ डेग उठा देने छलीह. रास्ता मे हुनका फेर सँ कतेको लोक भेटलन्हि गम्हरिया वाली दिआदनी, मधुबनी वाली'क सासु इत्यादि. मुदा आब ओ सबके एतबे कहैत छलीह जे किछु दिन बाद हुनका घर मे सत्यनारायण भगवान'क पूजा अछि. ताहि लेल भागि-दौड़ क' रहल छलीह. मुदा हिनकर स्थिति देख बाँकी लोकनि केँ इएह भेलन्हि जे बात एतबे नहि किछु आओर छैक. आ बाँकी लोकनि केहेन प्रतिक्रिया दैत छलीह से कुनौली वाली केँ सेहो बुझल छल.


घर पहुँचि के देखैत छथि जे हुनकर घरवाला दीनानाथ ठाकूर तमसायल छथि. ओ शायद हुनका बहुत देर सँ ताकैत छलाह. सब तामस हुनकर एक्के बेर खतम करबाक लेल कुनौली वाली झट सँ कहनाय शुरु क' देलथिन्ह, " बौआ'क रजिस्ट्री चिट्ठी आयल छल, तेँ खेलानन्द'क घर गेल छलहुँ. सुनु ने एहि बेर बौआ, साढ़े चारि हजार टाका डराफे सँ भेजने छथि, हम कहैत छी की जे बाँकी कोनो काज करबा सँ पहिने भगवान'क पूजा करा लेतहुँ"


ई सब सुनि दीनानाथ बाबु'क सब तामस मिझा गेलन्हि ओहो चुटकी लैत कहलथिन्ह, " तेँ अहाँ के हम कहैत छलहुँ, जे बच्चा मे यदि स्कूल गेल रहितहुँ ते आई डराफ, डराफ नहि चीकरितहुँ. ओकरा ड्राफ्ट कहल जैत छैक. चलु छोड़ि ई सब आ खुशी मे एक कप बढियाँ कप चाय बनाऊ"


"से अहाँ के बुझल नहि अछि जे हमरा अँग्रेजी नहि आबैत अछि. अहाँ पैर हाथ धो लिअ आ एहि कागज केँ भगवती'क चिनवार पर राखि दिऔक. फेर दूपहरिया मे बैँक मे जमा क' देब. " ओ स्थिति केँ आओर सामन्य करैत बजलीह.


पूरे टोल मे चर्चा पसरि गेल छल जे कुनौली वाली'क बेटा एहि बेर साढ़े चारि हजार टाका भेजने छथि सेहो. स्त्रीगण मे ई चर्चा विशेष छलैक. प्रौढ आ बुढ़ स्त्रीगण एखनो एहि बात के कहथि जे टाका डराफे सँ आयल छल, मुदा नव कनियाँ लोकनि ड्राफ्ट के ड्राफ कहबाक हर सम्भव प्रयास करैत छलीह. दुपहरिया मे जँ दीनानाथ बाबु गाम सँ एक कोस दूर बैँ गेलाह ते कुनौली वाली'क आङन मे स्त्रीगण सभ जुटनाई शुरु भ' गेलीह. अधिकाँशत: स्त्रीगण हुनका इएह पुछैत छलीह जे भगवान'क पूजा मे भोजो भात हेतैक वा केवल प्रसादे टा. सब के मोन मे इर्ष्या मुदा सभ'क बोली मे मधु सन मधुरता. आई सब किओ कुनौली वाली'क बौआ'क प्रशँशा करैत छलीह. आ ई सब सुनि कुनौली वाली हुनका लोकनिक इर्ष्या केँ जानितहुँ अनठा दैत छलीह.


आब साँझ भ' गेल छल. दीनानाथ ठाकूर दलान पर बैसि अपन रेडियो के ट्यून करैत छलाह. कखनो विविध-भारती ते कखनो बी.बी.सी'क आजकल. कुनौली वाली लग मे आबि बैसि गेलीह. पुछय लागलीह, "डराफ'क की भेल?"


दीनानाथ बाबु हुनका जवाब देलथिन्ह, " बैँक'क मैनेजर'क केबिन मे सीधे घूसि गेल छलहुँ. कहैत छलाह जे परसू पैसा भेटि जायत."


"आब जे भगवती'क इच्छा. सुनु नै कनि पैसा'क हिसाब क' लिअ ने. कत्तेक जगह कत्तेक पैसा लागतैक?" कुनौली वाली दीनानाथ बाबु केँ टोकैत बजलीह.


"इएह बात ते हमहुँ सोचैत छलहुँ. से अहाँ के की की करबाक अछि से बताबु ने एहि साढ़े चारि हजार टाका मे?" दीनानाथ बाबु कहलथिन्ह.


कुनौली वाली हुनका जवाब दैलथिन्ह, "देखू हम ते पहिने कौबला क' देने छलहुँ जे सबसँ पहिने भगवान'क पूजा होयत. यदि कम सँ कम एगारह टा ब्राह्मण नहि खेताह ते कोना होयत. नहि किछु ते चुड़ा दही चीनी ते होयबाके चाही. प्रसाद मे भुसबा साथ साथ बुनियाँ सेहो. अहाँके एकटा नीक धोती नहि अछि. एक जोड़ ब्रासलेट'क धोती कीनि लेब. बड़की कनकिरबी जे दू महीना बाद मे आबय वाली अछि हुनका देबाक लेल एक पल्ला साड़ी एखने सँ कीनि राखि लेबाक चाही. आ ओकर बेटा'क लेल एकटा छोट सन कपड़ा. सिँहेश्वर स्थान जेबाक लेल अपना लोकनि पहिने सँ कहने छलहुँ. मुदा हम कहि दैत छी जे हम घरे सँ चुड़ा मुरही ल' जाएब. आ कम सँ कम एक हजार टाका हाथ मे नहि राखब ते कोना होयत. बेगरता'क समय पर पैँचा नहि माँगय पड़य ओहि मे बढियाँ."
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एहि कथा’क बाँकी हिस्सा हमर पोथी "भोथर पेन्सिल सँ लिखल" मे देल गेल अछि. पोथी’क बारे मे विशेष जानकारी आ कीनबाक लेल प्रक्रिया निम्न लिन्क मे देल गेल अछि. http://www.bhothar-pencil.co.cc/ .
मैथिली भाषा’क उत्थान मे योगदान करु. पोथी कीनि साहित्य केँ आगू बढ़ाऊ.
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लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...