जलकुम्भी (उपन्यास, अँक-२, भाग-२)

लेखक- डा० पद्मनाभ मिश्र
एखनि धरि अपने लोकनि पढ़लहुँ—मुम्बई मे किछु मैथिल परिवार’क मिलन, वर्षा’क अन्तर्द्वद्व, रँजीत परिवार’क रँजीत सँ अपेक्षा, अमोल’क परिवार’क अमोल सँ अपेक्षा, वर्षा’क अमोल दिस सँ रँजीत’क दिस यू टर्न, वर्षा’क रँजीत मे एकटा महान व्यक्तिक गुण खोजनाई, विमल के मुम्बई आगमन, विमल’क उपस्थिति मे रँजीत’क घर मे वर्षा’क आगमन, विमलक वर्षा’क बारे मे पूर्वाग्रह, घर पर रँजीत सँ तामस, विमल’क दिल्ली मे आगमन आ हुनकर सँघर्ष... आब आगू पढ़ू

विमल’क सँघर्ष दिल्ली मे जारी छल. मुदा हुनकर सँघर्ष रँजीत केँ खराप नहि लागैत छलन्हि. बल्कि ओ हरदम इएह चाहैत छलाह जे आदमी केँ अपन मेहनत आ सँघर्ष सँ आगू बढ़बाक चाही. आ रँजीत’क एहेन सोच विमल’क तामस आओर बढ़ा दैत छलन्हि.

उम्हर अमोल’क बाबूजी अमोल’क बहिन विभा’क उपयूक्त वर ताकबाक हर सम्भव प्रयास कयलन्हि मुदा सफलता नहि भेटलन्हि. दू तरह’क आदमी हुनका भेटलन्हि. एक तरह’क आदमी जतय वर तऽ नीक जेकाँ नौकरी करैत छलथिन्ह, बढ़ियाँ सँ सेटल छलथिन्ह, मुदा ओ लोकनि अपन परिवार’क पहिल पढ़ल लिखल व्यक्ति रहैत छ्लाह, ओ परिवार मे पहिल नौकरी करय वाला व्यक्ति होइत छलाह. आ हुनकर विवाह’क मारकेट मे बहुत वैल्यू रहैत छलैक. मतलब ई जे ओ एत्तेक दहेज’क माँग करैत छलाह जे अमोल’क बाबूजी लेल कथमपी सम्भव नहि रहैत छलन्हि. आखिर एक सरकारी नौकरी सँ रिटायर भेल, अपन शरीर सँ नाकाम लोक दस लाख सँ बेसी कतय सँ आनताह. आ दसे लाख किएक, एकेटा बेटी छलन्हि हुनकर विवाह धूम-धाम सँ यदि नहि हेतन्हि तऽ लोक की कहतन्हि. विवाहो मे तऽ पाँच लाख ताका खर्चा भऽ जेतन्हि.

Dr. Padmanabh Mishra
लेखक- डा० पद्मनाभ मिश्र, बनैनियाँ सुपौल शिक्षा- बी.टेक, एम. टेक. पी०एच०डी. ईलेक्ट्रनिक्स इन्जिनीरिँग मे, सम्प्रति कारपोरेट रीसर्चर पद पर कार्यरत. अभिरुचि: मैथिली साहित्य



हुनका दोसर तरहक लोक भेटन्हि जे शहर मे रहय वाला छल्थिन्ह , जिनका लेल दहेज कोनो प्राथमिकता नहि छलन्हि. हुनका लोकनिक लेल लड़की’क पढ़ल लिखल भेनाइ बेसी महत्वपूर्ण होइत छलन्हि. मुदा पढ़ाइयो लिखाई सँ बेसी हुनका लोकनिक लेल ई बात महत्वपूर्ण छलन्हि जे लड़की कतेक सुन्दर छैक देखबा मे. विभा’क कथा दुनू तरह’क जगह मे नाकाम भऽ जाइत छलन्हि. पहिल तरह’क कथा’क लेल हुनका पास मे पन्द्रह लाख टाका नहि छलन्हि, ओ दोसर तरहक कथा’क कथा लेल विभा ओतेक सुन्दर नहि छलीह.

समाज मे प्रत्येक आदमी’क अपन स्थान होइत छैक. प्रत्येक आदमी’क इच्छा रहैत छन्हि जे समाज मे हुनकर स्थान महत्वपूर्ण होमय. एहि महत्व’क लेल लोक तरह तरह के काज करैत छथि. किओ समाज मे महत्वपूर्ण स्थान पेबाक लेल बेसी पैसा कमाबय चाहैत छथि आ ओकरा लेल किओ नीक काज करैत छथि आ किओ खराप. किओ बेसी पैसा कमेबाक लेल बेसी मेहनत करैत छथि ते किओ एकर शार्टकट ताकि लैत छथि तेँ किओ घूस कमबैत छथि आ किओ स्मगलिँग करैत छथि. समाज मे प्रत्येक आदमी अपन महत्व चाहैत छथि. तऽ बेटा’क विवाह मे किओ पाछू किएक रहताह. किओ अपन स्थान के महत्वपूर्ण बनेबाक लेल अपन बेटा’क बदला मे लाखोँ दहेज’क माँग करैत छथि तऽ किनको अपन पुतोहु विश्वसुन्दरी चाही. आदमी’क मानवीक गुण’क कतओ मोल नहिँ. नहि तऽ विभा मे कमीए की छल. देश’क प्रतिष्ठित जगह जे.एन.यू. सँ एम फिल कऽ रहल छलीह. दोसर कोनो नौकरी लागय अथवा नहि कोनो नऽ कोनो विश्वविद्यालय मे लेक्चरर बनि सकैत छलीह. ई बात की ओ विश्वसुन्दरी नहि छलीह आ नहिएँ हुनका बाबूजी लग पन्द्रह लाख टाका छलन्हि हुनकर विवाह मे रोड़ा अटकेने छल. आइ विभा लड़का होइतथि तऽ कोनो बात नहि. उमर चौबीस केँ पार करय वाला छलन्हि तेँ हुनकर बाबूजी लेल विशेष चिन्ता’क गऽप्प छलन्हि.

विभा’क बाबूजी केँ कखनो कखनो होइत छलन्हि जे जेँ ओ शरीर सँ लाचार छथि तेँ कुटमैती ठीक नहि भऽ रहल छन्हि. आई शरीर सँ लाचार नहि रहितथि तेँ गाम-गाम घुमतथि आ कतओ नऽ कतओ नीक कथा ठीक भऽ जायतन्हि. हुनका कखनो कहनो इहो होइत छलन्हि जे हुनका शरीर मे आशिँक लकबा जे मारने अछि ताहि लेल सेहो बहुत कुटमैती टुटि जाति छन्हि.

अखिर बेटी घर मे कहिया धरि कुमारि रहत. कोनो तरहेँ विभा’क विवाह जरूरी अछि. ओना तऽ अमोल सेहो बढ़ियाँ सँ सेटल भऽ गेल छथि मुदा हुनकर कुमार रहला सँ किओ उपराग नहिँ देतन्हि किनको मोन मे कोनोँ खोट कोनो शँका नहि रहितन्हि. मुदा विभा बेटी थीकीह तेँ समाज, अड़ोसी पड़ोसी सब लोकनिक ध्यान इम्हरे रहैत छलन्हि. ओहु मे विभा घर मे नहि दिल्ली मे रहैत छलीह. दिल्ली’क खिस्सा सब किओ सुनने छलैथि. जे नहियोँ सुनने छलैथि ओहो एक्सपर्ट बनि तरह तरह के बात बजैत छल. ओहि सब बात कोनो ने कोनो तरहेँ अमोल’क बाबूजी केँ सुनबा मे आबैत छलन्हि आ मोन बहुत दुखित भऽ जाइत छलन्हि. कखनो कखनो होइत छलन्हि जे विभा केँ बेकारे एत्तेक पढय देलाह. कम पढ़ल लिखल रहतन्हि तऽ कोनो कम औकात’क लड़का भेट जायतन्हि. कम सँ कम ओतेक दहेज देबाक हुनकर औकात छलन्हि. एकटा बाप बेटी केँ हुनका सँ कम हैसियत वाला लड़का सँ कोना विवाह कऽ देत. कोना विभा केँ विवाह कोनो क्लर्क सँ कऽ देताह. मोन मे होइत छलन्हि जे विभा खुदे एत्तेक होशियार छथि. बढ़ियाँ नौकरी करतीह. एकटा क्लर्के सँ विवाह केने कोनो खरापी नहिँ. दुनू लोकनि’क कमेलाक बाद सुख समृद्धि’क कमी नहि रहितन्हि.
मुदा ई दुनियाँ अजीब सन अछि. जतय स्त्री आ पुरुष के समानता’क अधिकार’क लेल रोज सभा, प्रदर्शन होइत अछि. कोनो पुरुष अपना सँ कम हैसियत वाला सँ विवाह करैथि तऽ कोनो बात नहि. एकटा आइ.ए.एस. पुरुष एकटा निपट गँवार स्त्री सँ विवाह कऽ लैथि तऽ कोनो बात नहि. मुदा एकटा स्त्री जऽ विवाह करतीह तऽ अपना सँ चारि इन्च ऊँच वर सँ, अपना सँ बेसी पढ़ल लिखल. अपना सँ बेसी दरमाहा पाबैत वाला पुरुष सँ. स्त्री पुरुष केर बीच समानता’क अधिकारक चर्चा करय वाली नेता किस्म’क स्त्री आई धरि कहियो नहि बाजल अछि जे स्त्री केँ अपना सँ कमो हैसियत वाला पुरुष सँ विवाह करबाक चाही. कखनो कखनो अमोल’क बाबूजी केँ होइत छलन्हि स्त्री आ पुरुष मे कहियो समानता नहि भऽ सकैत अछि. नहि तऽ हुनकर दुनू टा धिया पूता जे खूब पढ़ल लिखल छथि मे अन्तर नहि रहितैक. यदि कतओ समानता रहितैक तऽ आई हुनका अमोल’क विवाह’क लेल सेहो ओतबी चिन्ता रहितन्हि. आई यदि कोनो इन्जीनियर स्त्री एकटा चपरासी सँ विवाह करबाक लेल तैयार भऽ जाथि तऽ दुनियाँ मे दहेज प्रथा’क अन्त अपने आप भऽ जान्हि. एतय तऽ बाते अलग अछि द्रौपदी केँ पानि मे छाह देखि निशाना लगबे वाला पुरुष चाही, सीता केँ महादेव’क धनुष तोड़य वाला पुरुष चाही, विश्व सुन्दरी ऐश्वर्या राय के अमिताभ’क बेटा चाही. होइत छलन्हि जे सचमुचे स्त्री एतेक कमजोर होइत अछि जे हुनका कोनो प्रभावशाली पुरुष विना काज नहि चलितन्हि.

सब तर्क अपन जगह आ विभा’क विवाह अपन जगह. विभा’क बाबूजी लग नहि पन्द्रह लाख रुपैया छलन्हि आ नहि विभा खुद विश्वसुन्दरी छलीह. हुनकर बाबूजी केँ कोनो रास्ता नहि बुझि पड़ैत छलन्हि. मोन मे होइत छलन्हि जे किछु दिन धरि यदि जान पहचान वाला गाम घुमतथि तऽ कोनो नऽ कोनो लड़का भेटि जेतन्हि. हारि केँ अमोल केँ फोन कऽ सब बात बता देलथिन्ह. हुनका बुझाओलथिन्ह जे विना दौड़ने धुपने विभा’क विवाह सम्भव नहि छन्हि. इएह टा बात बता देलथिन्ह जे अमोल’क बिना गाम एने आ विना लड़का ताकने विवाह नहि होइतन्हि.

अमोल’क आफिस मे एको दिन छुट्टी लेनाई मुश्किल छलन्हि. आफिस मे दरमाहा बहुत दैति छलन्हि मुदा समाजिक वा पारिवारिक काज’क लेल कोनो जगह नहि छलन्हि. बहुत बुझौला’क बाद हुनकर आफिस मे हुनकर बास हुनका दस दिनक छुट्टी दऽ देलथिन्ह. दस दिन’क छुट्टी माने दू सप्ताह’क छुट्टी.
शुक्र के राति भेने मुम्बई सँ विदाह भेलाह आ सोम’क भोरे पटना पहुँचि गेलाह. मोन मे छलन्हि जे कोनो भाजेँ एहि बेर अपन बहिन’क विवाह कऽ के आबि जेताह. अपन बाबूजी केँ पहिने सँ कम सँ कम एक दर्जन लड़का लोकनिक लिस्ट बनेबाक लेल कहि देने छलाह. सभक नाम गाम टेलीफोन नम्बर वगैरह. ताकि दू सप्ताह मे जतेक लड़का भऽ सकैत छलैक ओतेक केँ ओ कन्टैक कऽ सकतथि.

अमोल प्रत्येक दिन कम सँ कम दू टा लड़का पर जरूर जाथि. बहुत तरह’क बात होइन्हि आ प्रत्येक बेर मे ओएह दू टा मे सँ एकटा समस्या. बहुत लोक कहन्हि जे हुनका एकेटा बेटा छन्हि से कोनो कम सुन्दर लड़की सँ कोना विवाह कऽ दैथि. बहुत लोक कहन्हि जे जखन अमोल आई.आई.टी सँ पढ़ने छथि ते हुनका कोन बात’क कमी जतेक पैसा अपन बेटी मे गनताह ओहि सँ दूगुना ज्यादा हुनका अमोल’क विवाह मे भेट जेतन्हि.

अमोल मिथिला केँ एत्तेक करीब सँ नहि देखने छलाह. दू सप्ताह मे हुनका तरह तरह’क लोक सँ भेँट करबाक मौका भेटलन्हि. लागैत छलन्हि जे मिथिला सँ मानव मूल्य उठि गेल अछि. विद्वान’क एहि नगरी मे मानवता कोँढ़ फाड़ि कानि रहल अछि. आ चुप कराबय वाला किओ नहि.

अमोल दू सप्ताह मे नओ टा गाम मे १२ ल्ड़का पर गेल हेताह. मुदा अपन बहिन’क कथा ठीक नहि कऽ सकलाह. चारि पाँच लोकनि एहेन भेटलन्हि जे दहेज’क पैसा केँ बेसी महत्व नहि दैत छलैथि, मुदा लड़की’क सुन्दरता हुनका लोकनिक लेल बेसी महत्व राखैत छलन्हि. एत्तेक महत्व जाहि मे विभा’क सुन्दरता कसौटी पर खरा नहि उतरैत छल. एकटा एहनो लोक छल जे विभा’क सुन्दरता आ अमोल’क बाबूजी’क हैसियत सँ स्वीकार कायल गेल दहेज सँ सँतुष्ठ छलैथि, मुदा हुनका विभा बहुत पढ़ल लिखल छलीह, दिल्ली मे रहल छलीह, ओ गाम घर मे रहि अपन सासु-ससूर जी’क सेवा कऽ सकतीह वा नहि एहि मे हुनका लोकनि केँ शँका छलन्हि.

अन्त मे अमोल निराश भऽ मुम्बई लौटि गेलाह. दू सप्ताह के छूट्टी बरबाद गेलन्हि. मोन मे होइत छलन्हि जे विभा केँ कहि दैथि जे दिल्लीए मे रहि कोनो आन जाति’क नीक लड़का केँ खुदे पसन्द कऽ लैथि. मारैथि गोली एहि तथाकथित मैथिल परम्परा केँ. एक आदमी’क पहचान हुनकर आदमीयत सँ होइत अछि नहिँ कि केवल एहि बात सँ जे मैथिल छथि वा नहि. एक आदमी जे कर्मठ होइथ इमानदार होइथ आ अपन पत्नी’केँ जीवन भरि सँग देबाक लेल तैयार होइथ तऽ एहेन आदमी सँ विवाहे केला मे कोन खरापी. एहि बात’क चर्चा अपन बाबूजी सँ कऽ चुकल रहथि. मुदा हुनकर बाबूजी समाज आ रिश्तेदार मे अपन बदनामी’क वस्ता दऽ विभा’क विवाह विभा’क किस्मत पर छोड़ि देबऽ लेल कहलथिन्ह. अमोल ओहि सँबँध मे किछु नहि बजबाक आब सपथ खा नेने छलाह.
मोन मे छलन्हि जे मिथिला कहियो नहि सुधरत यदि सब किओ समय’क सँग सँग नहि चलत. दुनियाँ मे जतय प्रत्येक क्षण नव नव विकास भऽ रहल अछि, ओतय मिथिला मे एक मेधावी, पढ़ल लिखल लड़की’क विवाह सिर्फ एहि कारणेँ नहि भऽ पाबि रहल अछि जे लड़की बेसी पढ़ल लिखल अछि, दिल्ली मे रहय वाली अछि. हो ना हो मिथिला’क सुसुप्त भेल आँगन मे ई लड़की कोनो विकास’क बात करैथि, हजार साल पुरान परम्परा केँ छोड़ि देबाक लेल कहैथि. आगू बढ़बाक लेल दिक करैथि. पुरुष प्रधान समाज मे नारी’क महत्व बुझाबैथि.

अमोल’क मोन बहुत खिन्न भऽ गेल छलन्हि. मुदा हुनका लऽग मे कोनो उपाइए नहि छलन्हि. विभा जे एम.फिल के बाद पी.एच.डी लेल जिद्द करैत छलीह आ हुनकर बाबूजी जे सिर्फ मैथिल सँ विवाह करबाक लेल जिद्द करैत छलाह. दुनू आदमी केँ बुझेना कठिन छल. तेँ नियति के उपर मे अपन बाबूजी आ अपन बहिन विभा’क किस्मत छोड़ि अपन नौकरी मे अपन मोन लगेबा’क प्रयास करय लागालाह.

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