किछु त हम करब

किशन कारीगर

अवस्था भेल हमर आब बेसी
टुघैर टुघैर हम चलब
अहाँ आगू आगू हम पाछू पाछू मुदा
अपना माटि पानि लेल किछु त' हम करब

नूनू बौआ अहाँ आऊ
बुच्ची दाय अहूँ आऊ
दुनू गोटे मिली जल्दी सँ
मैथिली में किछु खिस्सा सुनाऊ

कवि- श्री किशन कारीगर


नान्ही टा मे बजलौहं एखनो बाजू
मातृभाषा मे बाजू अहाँ निधोख
कनि अहाँ बाजू कनेक हम बाजब
नहि बाजब त कोना बुझहत लोक

परदेश जायत मात्र किछु लोक
बिसैर जायत छैथ मातृभाषा कें
अहिं बिसैर जायब त आजुक नेना कोना बुझहत
केहन मीठगर सुआद होयत अछि मातृभाषा केँ

अप्पन माटि पानि अप्पन भाषा संस्कृति
पूर्वज के दए गेल एकटा अनमोल धरोहर
एही धरोहर के हम बचा के राखब
अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब

कोना होयत अप्पन माटिक आर्थिक विकास
सभ मिली एकटा बैसार करू कनेक सोचू
सभहक अछि एकटा इ दायित्व
किछु बिचार हम कहब किछु त अहूँ कहू

हमरा अहाँक किछु कर्तब्य बनैत अछि
एही परम कर्तब्य सँ मुँह नहि मोडू
सिनेह राखू हृदय मे सभ के गला लगाऊ
अपना माटी पानि सँ लोक के जोडू

समाजक लोक अपने में फुटौवैल करैत छथि
मनसुख देशी त धनसुख परदेशी
एक्के समाज में रहि ऐना जुनि करू
एकजुट हेबाक प्रयास आओर बेसी करू

एक भए एक दोसरक दुःख दर्द बुझहब
अनको लेल किएक ने कतेको दुःख सहब
आई एकटा एहने समाजक निर्माण करब
जीबैत जिनगी किछु त हम करब

हाम्रो अछि एकटा सेहनता एक ठाम बैसी
सभ लोक अपन भाषा में बाजब
औरदा अछि आब कम मुदा जीबैत जिनगी
अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब ।

5 comments:

Santosh Batohi said...

kishan jeek kavita ekta prerana daya rahal achhi. hinkar kateko kavita sabh maithili patrika me padhlauhn achhi neek lekhani kene chhaith...aaor neek kathak pratiksha me....

RAMAN JHA said...

Bah yau Karigar ji, Mithila wasi kaaa ee sab sunebak bahut jaruri chhai. Nahi tan ee English ke panchha aapan Matribhasha nahin chali jaai

Unknown said...

nice one..
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छा लगास बहुत सुंदर

supriya jha said...

badd neek

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