बुढ़’क अर्थशास्त्र (खट्टर काका)


लेखक: खट्टर काका
भातिज लोकनि;

हमरा बुझल अछि जे हमर फोटो देखि अहाँ लोकनि अपन आँखि भौँह सरियाबे लागल होयब. अधिकाँश लोकनि’क मुँह सँ बिनु प्रयासे के मुस्की छुटि रहल होयत. मुदा हम अपने लोकनिक मुस्की’क कारण जानए चाहैत छी. आई धरि कहियो एहेन भेल अछि जे हम अहाँ लोकनि केँ कोनो अनरगल गप्प कहने रही. हमर प्रत्येक गप्प गम्भीर होइत छैक. खट्टर काका कोनो व्यक्तित्व नहि एक सँस्कृति’क नाम थीक.

ओह अहाँ लोकनि तँ सत्ते गम्भीर भऽ गेलहुँ. गम्भीर भेला सँ कोनो खरापी नहि, मुदा अति सर्वत्र वर्जयेत. आई हम फेर सँ अपन तरँग मे छी आ बेसी गम्भीर भेला सँ असल विषय वस्तु पाछु छुटि जायत. तेँ अपने लोकनि सँ आग्रह जे हमर फोटो दिस एक बेर फेर सँ आँखि दऽ दियौक. ओह! आब भेल नऽ... आब अपने लोकनि तैयार छी हमर तरँग मे डुबकी लगेबा’क लेल.
चलु बिना कोनो लाग लपेट’क हम सीधे सीधे विषय वस्तु पर आबैत छी. आजुक विषय अछि: "बुढ़क आकाल". अहाँ लोकनि पुछब जे भारत मे बुढ ई अजीब सन विषय किएक चुनलहुँ अछि.
अरे! बुझल नहि अछि जे भारत मे बुढ़’क आकाल पड़ि गेल छैक. आई भोरे भोर रेडियो मे सुनलहुँ. सँयूक्त राष्ट्रसँघ मे एकटा सँस्था छै जकर नाम छैक ESCAP (Economic and Social Commision for Asia Pasific) जे एकटा आँकड़ा प्रकाशित केने अछि. एहि आँकड़ा मे लिखल गेल अछि जे २००१ के जनसँख्या’क आधार पर, भारत मे मात्र छओ प्रतिशत (६%) बुढ़ बचि गेल अछि. ३५% नेना भुटका अछि (१५ साल सँ कम उम्र’क) आ ६५% लोक’क उम्र तीस वर्ष सँ कम अछि. (विशेषजानकारी लेल एतय क्लिक करु )।

रेडियो सुनलाक बाद सब सँ पहिने अहाँ लोकनिक काकी सँ विवेचना करय पहुँचलहुँ. जे भारत मे बुढ़’क आकाल पड़ि गेल छैक. पुरे टोल भरि मे हमहीँ दू एहेन प्राणी बचलहुँ जे बुढ़ छी. काकी केँ इहो बुझा देलिअन्हि जे भारतवर्ष मे जे तथाकथित आर्थिक विकास’क दर ९% अनेरोँ नहि छैक. बुढ़’क आकाल भऽ गेल छैक. हर जगह छौड़ा-माँढड़ि छैक. स्त्री लोकनि बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे काज करैत छथि. साबिक के गप्प याद नहि अछि, जिनका जतेक समाँग हुनका ओतेक धन. आइ भारत मे समाँग बेसी भऽ गेल छैक. तेँ विकास दर बेसी छैक. अमेरिका मे सत्तर प्रतिशत लोक ५० सँ बेसी उम्र के छैक तेँ सबटा काज भारत मे आउटसोर्स कऽ केँ अपन अर्थव्यवस्था मे (२-३%) वृद्धियो नहि कऽ पाबैत छैक.

हम काकी केँ कहैत गेलिअन्हि, "देखू न जतय निकलु छौड़ा सभ’क जमघट रहैत छैक. छौड़ी सब केँ देखि आँखि मुनय पड़ैत अछि.

हमर एतेक बात सुनि अहाँ लोकनिक काकी बजलीह, "अहाँ बुढ़ भऽ गेलहुँ मुदा एखन धरि नाक लागले अछि. हमरा लागैत अछि जे अहाँ भसिया रहल छी, अरे महाराज जे आइ बच्चा छैक, जवान छैक ओ कहियो ने कहियो तऽ बुढ़ हेतैक. सब किओ खट्टरे काका नहि होइत छैक जे दस साल मे एकसठ बरस सँ बासठ बरस पार करैत छैक. बाँकी बुढ़’क उम्र तँ साले साल बढ़ैत छैक. आई छौड़ी सब सँ रोड सड़क रँगीन लागैत छैक बिल्कूल चका-चक. रोड दिस निकलि जाउ ते मार सेन्ट- डिओ सँ रोड गमकैत रहैत छैक. छौड़ा सब क्रिकेट खेलैत छैक, सिगरेट दारु पीबैत छैक. भारत के मौसमे रँगीन भऽ गेलैक. मुदा कहियो नऽ कहियो तऽ ओ सब बुढ़ हेतैक. तखन की हेतैक. "
हम अहाँ लोकनिक काकी’क प्रतिभा सँ हतप्रभ भऽ गेलहुँ. कहले गेल छैक जे सँगति सँ गुण होत है सँगति सँ गुण जात. काकी केँ हमर चालीस साल’क वैवाहिक जीवन’क सँगति भेटल छन्हि. किछु ने किछु तरँग तऽ ओ निकालबे करतीह. हम चुप चाप सुनैत गेलहुँ.

ओ बाजि रहल छलीह, “ भारत मे मात्र ६% बुढ़ छैक ई नीक गप्प नहि. अर्थशास्त्री किछो कहैथ. मुदा सत्य तऽ इहो छैक जे, जे आई तीस के छथि ओ तीस साल बाद बुढ़ भऽ जायत. एखन ने अहाँ रोड पर छौड़ा-छौड़ी केँ देखि, हुनका लोकनि’क डिओ-सेन्ट सुँघि प्रसन्न भऽ जाइत छी, मुदा तीस साल बाद यैह लोकनि बेँत लऽ केँ सड़क पर चलत. तखन छौड़ा छौड़ी’क डिओ नहि गमकत बुढ़बा बुढ़िया’क उकासी आ बुढ़ैन बुढ़ैन महँक सँ भारत वर्ष तृप्त भऽ जायत.”
हम आश्चर्यचकित भऽ सुनि रहल छलहुँ.

काकी’क व्याख्यान बदस्तुर प्रवाह मे छल. कहैत गेलीह, “एखन देखियौक, माल’क जमाना छैक. पैघ शहर कोन, छोट छोट शहर मे शापिँग माल खुलि गेल छैक. आ ओहि माल मे जाइत के छैक, वैह छौड़ा छौड़ी सब. तीस साल बाद सापिँग माल मे के जायत. किओ नहि. सबटा बन्न भऽ जायत. फेर खुजत मेडिकल माल. बहुत टा’क कम्प्लेक्स. ओहि मे तरह तरह के बीमारी ठीक करबाक व्यवस्था. शापिँग माल मे मेडिकल सेन्टर खुलत. इस्केलेटर पर आइ काल्हुक जेकाँ छौड़ा छौड़ी’क भीड़ नहि, बेँत धेने बुढ़बा बुढिया’क बोलबाला रहत. आ जे किओ छौड़ा माँढ़डि बचि गेल होयत ओ बुढ़बा बुढिया’क आतँक सँ शापिँग माल मे नहि जायत. कतय सँ आयत ९% के वार्षिक वृद्धि दर. आई काल्हि जेना टीवी. वीसीडी मे चलैत अश्लील कार्यक्रम सँ बुढ़ पुरान प्रायश्चित करैत छथि, तखन बुढ़’क सँख्याँ बेसी रहत. टीवी पर सँस्कार आ योगासन’क कार्यक्रम सँ बचल खुचल बच्चा जवान लोक यैह कहताह जे की जमाना आबि गेल अछि.”

हम बीच मे जोर सँ साँस लेलहुँ तऽ काकी कहए लगलीह, “ ई जे सरदार प्रधानमँत्री अछि आ सरदारे योजना आयोग’क उपाध्यक्ष (हुनकर इशारा क्रमशः मनमोहन सिँह आ अहुवालिया दिस छलन्हि) से झुट्ठे किएक चीचिआ रहल छथि जे ९%- ९% वृद्धि. जहिना जवान लोकक समय जायत आ बुढ़क समय आयत, तहिना ९% सँ २% पर विकास दर आबि जायत.”

तऽ हम पुछि देलिअन्हि, “ तऽ एकर मतलब ई जे भारत कहियो सुपर पावर नहि बनि सकत”.
काकी झटाक दऽ उत्तर देलथिन्ह, “ हेयो, भारत’क लोक खाए पीबए वाला नागरिक अछि. एक्के सँग ६५% लोक तीस साल सँ कम उम्र’क भऽ गेल अछि. परिवार नियोजन के एखन धरि प्रचार चलि रहल अछि. पहिने हम दू हमर दू’क नारा छल, आब हम दू हमर एक’क नारा अछि. जखन बच्चे नहि जनम लेत तऽ जवान कोना हेताह. मुदा जवान आदमी तऽ बुढ़ अवश्य हेताह. ई बात सरदार प्रधानमँत्री केँ नहि घुसि रहल छैक. जे बिना मतलब भारत केँ सुपर पावर बनेबाक ठानि नेने छैक. सुपर पावर बुढ़ लोक सँ नहि बनैत छैक, किएक तऽ प्रत्येक बुढ़ खट्टर काका नहि होइत छैक.”

“नहि जानि ई सरदार प्रधानमँत्री केँ आक्स्फोर्ड विश्वविद्यालय सँ डाक्टरेट के उपाधि कोना भेटलन्हि” काकी जखन अन्तिम वाक्य कहल्थिन्ह तऽ हमरा मोने मोन भेल जेँ आक्स्फोर्ड विश्वविद्यालय केँ अहाँ लोकनिक काकीए केँ मानक पीचडी देबाक चाही, बुढ़’क अर्थशास्त्र विषय पर.

काकी’क उपर मे हमर सँगत’क असर होयत से पहिने सँ बुझल छल. मुदा एत्तेक भारी असर से हमरा नहि बुझल छल. मुदा काकी’क तऽ हमर अर्धाँगनी थिकीह. से जानि आत्मसँतुष्टि भेल. भाँग पीसबाक आदेश दऽ हम लोटा लऽ केँ बाँस दिस चलि गेलहुँ. एतेक बात भेल तऽ अपच ते भेनाइए छल.


---खट्टर काका

(सम्पादक लोकनि: पोस्ट करबाक काल मे देखबा मे आएल जे सुभाचन्द्र जी’क कविता
सेड्यूल अछि २१ तारीख केँ. कनि हुनकर डेट आगू भऽ जायत तऽ नीक रहत. काका होएबाक कारणे एतेक अधिकार तऽ बनबे करैत छैक)

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