पिता

- कुन्दन कुमार मल्लिक
दिन ढलल, साँझ पडल,
घर जाय लेल मोन बेकल,
हाँय-हाँय ओ काज समेटल,
जल्दी-जल्दी डेग बढाओल,
होयत बच्चा सभ आस लगौने,
कनिया हेतीह आँखि लगौने,

Kundan Kumar Mallikकुन्दन कुमार मल्लिक, जन्म- ०८ दिसम्बर, १९७९, ग्राम-बलियारी, प्रखण्ड- झंझारपुर (मधुबनी)। पिता- श्री कृत्यानन्द मल्लिक, माता- श्रीमती गायत्री मल्लिक। शिक्षा- स्नातक (रसायन शास्त्र)। सर्वप्रथम प्रकाशित रचना हिन्दी मासिक पत्रिका "विज्ञान प्रगति"क वर्ष १९९७ के वार्षिक विशेषांक मे। "कतेक रास बात"क प्रेरणा सँ मैथिली लेखनक प्रति अग्रसर। एहि मंचक लेल नियमित रुप सँ लेखन आ वर्तमान मे एकर सम्पादक सदस्य। सम्प्रति ग्रुप सनोफी एवेंटीस, बंगलोर मे मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पद पर कार्यरत। सम्पर्क- मो. +९१-९७३९००४९७०, ई- मेल- kkmallick@gmail.com

मासक पहिल तिथि जे,
भेटल आई दरमाहा से,
किनबाक अछि चीज कतेक रास,
पूरा होएत सभहक आस,
कंटीरबा लेल आंगी-गंजी,
बुच्ची लेल फ्राक सतरंगी,
कनियाक जे छन्हि फाटल नुआ,
चिप्पी लागल अपनो अंगा,
कनिया देथिन्ह सदिखन उपराग,
कियैक ने अपनो लेल कीनैत छी,
एक्के जोडि मे बरख बितबैत छी,
सदिखन ओ दैथि एक्के जबाब,
हमर त कोनहुना दिन बितैय यै,
घरक हाल देखि कोँढ फाटैत यै,
यैह सभ सोचैत ओ आगाँ बढलाह,
मोने मे हिसाब जोडैय लगलाह,
फेर ओ विचारय लगलाह,
बहुतो किछु कीनय के अछि,
मास सेहो खपाबय के अछि,
इ सोचिते हुनका किछु नहि फुरायन्हि,
रहि-रहि हाथ जेबी पर जायन्हि,
फेर ओ गुम्म जेकाँ भ' गेलाह,
रुकि के किछु सोचय लगलाह,
नहि होयब हम निराश,
पूरा करहब सभहक आस,
लेलथि सभहक लेल किछु ने किछु,
अपना लेल फेर ओहिना छुच्छ,
मोने मे ओ सोचय लगलाह,
फेर कनिया देतीह उपराग,
कियैक ने अपना लेल कीनलहुँ,
हुनका देबन्हि कोन जबाब,
मोन मे गुनधुन करैत रहथि,
झटपट डेग बढबैत गेलथि,
हुनका देखि हम सोचय लगलहुँ,
अपना सँ पुछय लगलहुँ,
के थीक इ मानव,
की छन्हि हिनक नाम,
कतय सँ छथि आयल,
कतय हिनक ठाम,
अंतर्मन सँ आयल फेर एक जवाब,
सभहक घर इ वास करय छथि,
कतओ सजीव आ कतओ निर्जीव,
हिनक साहचर्यक महत्ता एहेन,
जेठक रौद मे शीतल बयार जेहेन,
इएह कहबैत छथि पिता,
इएह छथि जन्मदाता।

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लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...