मैथिली भाषा मे पहिल ब्लोग (चन्दा…मैथिली साहित्य’क…..)


चन्दा…मैथिली साहित्य’क…..

योगदान कर्ता
श्री मनीष झा
श्री राजीव रंजन लाल
श्री पद्मनाभ मिश्र


शीर्षक लेखक/कवि

1. चुड़ा दही चीनी

2. कतेक रास बात

3. लुका-पाती

4. रोपनी

5. इन्द्रजाल

6. पाँच पत्र

7. मैथिली भाषा


प्रिय मैथिल बन्धु;

हमर नाम पद्मनाभ मिश्र थीक. एतय अपने लोकनि केँ दु तरह केँ साहित्य पढ़बाक हेतु भेटतः- स्वयँसेवी साहित्य आ स्वयँपोषी साहित्य. एकर विवरण एहि प्रकार सँ अछि.

स्वयँसेवी साहित्य:-

आई काल्हि'क भाग-दौड़क दुनियाँ मे खिस्सा -कहानी लिखबाक किनका समय छन्हि. हर किओ अपन पेशा आ अपन परिवार मे व्यस्त रहैत छथि. मुदा एकर ई मतलब नहि की मैथिली साहित्य'क स्रीजन बँद भऽ जाए. तेँ एकरा हेतु हम एकटा तकनीक'क प्रयोग कऽ रहल छी. एतय हम एकटा प्रस्ताव राखैत छी जे एकटा एकटा कहानी कतेको लोकनि मिलि केँ लिखु. मिथिली साहित्य'क स्रीजन तऽ होयबे करत संगे किनको बेसी टाइम नहि देब' पड़तन्हि. कहानी लिखबाक शुरुआत किओ एक लोकनि करताह. ओकर बाद ओहि कहानी केँ आगु लिखबाक जिम्मेदारी किओ आओर व्यक्ति लेताह... आ ओकर बाद'क जिम्मेदारी किओ तेसर लोकनि. कहानी'क नाँगरि बढैत जायत... तकर बाद कोनो एक उचित समय पर कहानी'क खतम करबाक समय आयत.एकरा कहल जाइत अछि कोलोबोरेटिव लिटेरेचर यानी स्वंयसेवी साहित्य…
एकर शुरुआत कयने छथि, श्री मनीष कुमार झा, एहि कहानी के आगु बढ़ेबाक जिम्मेदारी हम (यानी पद्मनाभ मिश्र)लऽ रहल छी......

वर्तमान साहित्य'क कड़ी

इन्द्रजाल

अध्याय-1 योगदान: श्री मनीष झा

पाइ के पियासल खेतिहर मजदूर आब चट्कल में, मिल में, दोकान में मजदूरी करय लागल, रिक्शा चलबै लागल, ठेला लग्बै लागल। अतेक केलाक बादो ओ गरीबीक आ बेबसिक अइ इन्द्रजाल सऽ नहि निकल पायल। देशक अजादी सऽ हमरा सन लोक सभ के कोन मतलब? अहिं सब कहु जे कोना अइ इन्द्रजाल सऽ गरीब बहरायत।

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अध्याय-2 योगदान: श्री पद्मनाभ मिश्र

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स्वयँपोषी साहित्य.

एकर विवरण एहि प्रकार सँ अछि एहि तरह के सहित्य मे एकटा लेखक स्वयँ कोनो कहानी कविता केँ आगु बढेताह. पुरा कहानी लिखबा'क जिम्मेद्दारी हुनकर स्वयँ के होएतन्हि.

1. लुका-पाती

आय गामो घर में पटाखा के आवाज में लुका के रोशनी नुका गेल छैक आ ओतेक उत्साह बाल वृंद में देखै में नहि भेट रहल अछि, जेहन महावीर थान में छलैक। आब महावीर थान सेहो अनुदानक अभाव में जरजर भऽ गेल छै आ बजरंग बली के छोटका मंदिर चंदा जुटा के बहुत विशाल भऽ गेलैयऽ। पटाखा बला बच्चा के माय बाप आब अपन बच्चा के गामक प्राइवेट अंग्रेजी स्कूल में पढवैत छथि आ बोरा उघै के जरूरत कोनो विद्यार्थी के नहि रहि गेल छैक।

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2. आर कतेक रास बात

पहिल योगदान: श्री पद्मनाभ मिश्र

सामा-चकेबा,बगीया, पुडिकिया, तिलकोड,

पोखडि मे माछ आ मखान,

आर कतेक रास बात

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3. श्री हरिमोहन झा'क पाँच पत्र

योगदान: श्री राजीव रंजन लाल

हम दू माससँ बड्ड जोर दुखित छलहुँ तें चिट्ठी नहि दऽ सकलहुँ. अहाँ लिखैत छी जे बंगट बहुकें लऽकऽ कलकत्ता गेलाह. से आइकाल्हिक बेटा-पुतहु जेहन नालायक होइत छैक से तँ जानले अछि. हम हुनकाखातिर की-की नहि कएल! कोन तरहें बी.ए. पास करौलियनि से हमहीं जनैत छी. तकर आब प्रतिफल दऽरहल छथि. हम तँ ओही दिन हुनक आस छोड़ल, जहिया ओ हमरा जिबिते मोछ छँटाबऽ लगलाह. सासुक कहबमे पड़ि गोरलग्गीक रुपैया हमरालोकनिकेँ देखहु नहि देलनि. जँ जनितहुँ जे कनियाँ अबितहि एना करतीह तँ हम कथमपि दक्षिणभर विवाह नहि करबितियनि.

श्री राजीव रंजन लाल जी'क लिखल इएह ब्लोग सँ लेल पाँति... पुरा पढ़बाक लेल एतय क्लिक करु

मैथिली लिखबाक आग्रह

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