आएल दिवाली…. !

आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !
जरल खुशी के दीप, भेल तमक नाश !!
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
एहि नव-प्रकाश मे जग जग-मगाएल !
पर प्रवासी जीवक देश मोन आएल !!
एतय लक्ष्मी बल पर दिवाली अछि सदिखन !
ओतय आँखि बिछौने होयेता स्नेही परिजन !!
गामक एकपरिया लगौने होएत आश !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
कतेक रास बात करैत होएत चौपालक साथी !
झींगुर दास बनौने होएत स्पेशल लुक्का पाती !!
आँखि मे रोकने नोरक धार !
माय सजौने होयति दीपक थार !!
कयने होयति हमरा ले लक्ष्मीक उपास !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
मोन पडैत अछि ओ ज्योतिर्मय सांझ !
माटिक दियाक अमसिया पर राज !!
चम-चम चमकैत निशा बिन मयंक !
कि जानि किनका ले बिछौने निज अंक !!
शुभ्र-वसन, सजल नयन, रजनिक उच्छवास !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!

सुधि पाठक लोकनि,
रोटीक संघर्ष कतेक दिन से कलम पर लगाम लगौने छल मुदा दिवाली के दस्तक सभटा बंधन तोरि फेर से हमरा स्मृति लोक मे पहुंचा देलक! ओतय हम जे देखल से अहाँ लोकनिक लेल नेने आएल छी. आब केहन छैक, से निर्णय त' अहीं के अधिकार मे अछि !!
लुक्का पातिक शुभ कामना के साथ,
- करण समस्तीपुरी

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