गरिमा आ पलास (भाग-४)

कथा, भाग-4: लेखक:- आदि यायावर, मोडेरेटर: केशव कर्ण (समस्तीपूरी)

एखन धरि पढ़लौंह, "बचपन से तरुनाई धरि संग चलनिहार गरिमा आ पलासक सतत प्रेम, तमाम वर्चस्व आ विषमताक कात करैत जीवन पथ मे दुन्नु लोकनिक संग आनि देल्कैन्ह! फेर अहम् आ स्वाभिमानक द्वंद, दाम्पत्य जीवन मे करवाहट आ एक छत कें नीचा एकाकी जीवैत दू प्राणी जे, जिनगी भरि संघ चलबाक शपथ नेने छथि. गरिमा’क माए बाबुजी केँ पहिने सँ एहि प्रेम विवाह मँजूर नहि छलैनि. फेर गरिमा-पलास’क सँवादविहीन जीवन, गरिमा’क बीमारी... आब आगा पढ़ल जाऊ, आदि यायावर जीक शब्द मे... !!

फोन राखि, गरिमा सीधे अपन बेडरुम मे गेलीह आ पलास किचेन मे. गरिमा’क माए बाबुजी सब किछु देखि रहल छलैथि. सासु ससुर भेला’क कारणेँ हुनका लोकनि केँ पलास’क किचेन जेनाय नीक नहि लागि रहल छलनि. मुदा हुनका दुनू लोकनिक सँवादहीनता’क स्थिति मे पलास’क किचेन मे घुसनाय, एक सुखद आश्चर्य लागैत छलन्हि. नहि जानि दुनू व्यक्ति’क मुड केहेन छलनि, तेँ पलास केँ एना करबा सँ रोकि नहि सकलैथ. जाबए धरि मे गरिमा बेडरुम सँ बाथरुम जाए फ्रेश भऽ केँ बहरेलीह, ताबय मे पलास चारि कप गरमागरम काफी बना केँ तैयार छलाह. एकटा ट्रे मे लऽ केँ पहिने अपन ससूर, सासु, फेर गरिमा केँ दऽ केँ बाँकी बचल एक अपन आ लेल राखि, सोफा पर पसरि गेलाह. सब किओ चाय पीबि रहल छल, मुदा बाजि किओ नहि रहल छल. एक घर मे चारि लोक एकेठाम बैसल मुदा घर मे शाँति, नीरवता, आ आँशका सँ धड़कैत दू जोड़ी हृदय. सब लोकनि केँ एक दोसर सँ बहुत किछु कहनाय छलनि, मुदा बाजैत किओ नहि. पलास स्थिति केँ सामान्य करबा’क लेल टीवी आन कऽ केँ न्यूज लगा देलथिन्ह.

पलास’क किचेन मे गेनाय, काफी बना केँ आननाय, आ फेर पहिने टीवी खोलनाय आ गरिमा’क एको बेर नहि मना करनाय एक बात केँ प्रदर्षित करैत छल, जे हुनका दुनू लोकनि मे कटुता अवश्ये कम भऽ गेल छन्हि. अन्यथा, गरिमा पलास केँ काफी बनबे नहि देने होयत. अक्सर होइत छैक, जे दू पति-पत्नी मे यदि प्रेम अछि तऽ कोनो काज केँ एक दोसरा’क उपर मे टालि देबाक कोशिश काएल जाइत छैक. आ दुनू’क बीच मे लड़ाई झगड़ा भेला’क बाद स्थिति एहेन होइत छैक, हम काज करब तऽ हम. पति पत्नी दोसर’क हिस्सा वाला काज काए, अपन जीवन सँगी’क उपर मे दबाव बनेबाक कोशिश करैत छैक. एखन गरिमा पलास केँ एको बेर किचेन मे जाय सँ मना नहि केने छलन्थिन्ह. ई बात गरिमा’क माए बाबूजी केँ बहुत नीक लागि रहल छलनि.

कनि देर न्यूज चलैत रहल, फेर गरिमा के बाबूजी चुप्पी तोड़ि माहौल केँ सहज करबाक कोशिश केलथिन्ह. ओ पलास सँ पुछलथिन्ह, "गरिमा केँ डाक्टर की कहलकन्हि?"

"से गरिमा सँ पुछि लिऔक ने?", गरिमा’क दिस कनखी आँखि सँ देखैत पलास बाजल.

"मुदा हम तँ अहीँ सँ सुनय चाहैत छी" गरिमा’क बाबुजी जोर दैत पुछलथिन्ह.

पलास एक बेर गरिमा’क दिस ताकैत बाजए लागल, "बाबुजी! अहाँक बेटी केँ भूख’क बीमारी छनि. डाक्टर अपन भाषा मे कहलकन्हि, जे हिनका एनिरेक्सिया-सिन्ड्रोम छन्हि"

एकर मतलब ई, अपन सखी सहेली केँ देखाबैक लेल अहाँक बेटी हरदम दुबर पातर रहय चाहैत छथि. तेँ खेनाय पीनाय छोड़ि ओ डायटिँग’क पाछु लागि गेलैथ. बेसी डायटिँग केला सँ एनिरेक्सिया-सिन्ड्रोम भऽ जैत छन्हि. आब हिनका खेबा पीबाक आदति छुटि गेलनि. भूख बिल्कूल नहि लागैत छन्हि. डाक्टर अपन भाषा मे एकरा एनिरेक्सिया-सिन्ड्रोम कहैत छैक. आ दबाई मे कहलकन्हि ये जे चारु टाइम ठुसि के खेबाक लेल. ओना मोन बहलेबाक लेल एक पुष्टाय से देने छन्हि. कहलकन्हि ये एक-एक मुन्ना तीन बेर पीबाक लेल". पलास अपन बात खतम करैत सासु दिस देखय लागल्थिन्ह. आ गरिमा मुड़ी झुकाय, लजाएल एक कोन मे बैसल छलीह.

"बाप रे बाप केहेन दुनियाँ आबि गेल छैक. गरीब लोक भूखल मरैत छैक आ जकरा लग सब किछु छैक हुनका ओ भूखल रहि भूख केँ मारि दैत छैल." एक दम्म मे गरिमा’क माय हुनकर बाबुजी केँ कहि देलथिन्ह. गरिमा’क माए हुनकर बाबुजी केँ बहुत देर देखि रहल छलीह आ बिना मुँह खोलने आँखि सँ कहि रहल छलीह जे हम कहैत छलहुँ ने, "जे बेसी गलती अपने बेटी’क अछि". आ हुनकर बाबुजी चुपचाप बात मानि गेल छलाह.

गरिमा आ पलास बहुत दिन सँ एक दोसर सँ अलग रहि खुश नहि छलैथ. गरिमा केँ होइत छलनि जे हुनकर कोन गलती. आई कोनो पुरुष घर पर रहए वाली अपन स्त्री केँ यदि डाँटैत छथि, हरदम अपन नौकरी करबा’क दम्भ दैथ छथि तऽ बड्ड नीक, मुदा आइ हम दिन भरि खटि के जँ आबैत छी, आ साँझ केँ अपन पति सँ किछु नीक बेजाय कहैत छिअनि तऽ बड्ड खराप?

पलास केँ से बहुत दिन सँ किछु नीक नहि लागैत छलनि. अपन सबसँ प्रिय वस्तु सँ अलग भऽ ओ खुश नहि छलाह. बहुत दिन सँ आत्म मँथन करैत छलाह. आ निर्णय पर पहुँचलाह जे हुनकर पत्नी’क कोनो दोष नहि. हँ हुनकर बाजए के तरीका नीक नहि छन्हि. तेँ डाक्टर लग गेला सँ पहिने, अपन मोन’क बात गरिमा सँ कहि देलथिन्ह.

अपन गलती केँ स्वीकार करबा’क कारनेँ पलास’क गप्प, गरिमा केँ नीक लागलन्हि. बल्कि पलास’क झुकबाक देरी छल. गरिमा अपने झुकि गेलीह. ओकर बाद डाक्टर लग जेबा सँ पहिने आ ओकर बाद अपन पछुलका जीवन’क उल्लासमयी प्रेम प्रसँग याद कऽ ओ फेर सँ एक दोसर दिस समर्पित होएबाक कोशिश करए लागलथिन्ह.

एकटा समाधान दोसरो समस्या केँ हल कऽ दैत छैक. तेँ गरिमा’क मुँह सँ जँ हठाते निकललन्हि, "अहाँ बिजिनेस किएक नहि करैत छी. हम लोन लऽ अहाँक लेल किछु पूँजी’क व्यवस्था कऽ दैत छी" तँ पलास एक्के बेर मे मानि गेलाह. वस्तुतः बिजिनेस’क बात सुनि हुनका लोकनि’क प्रत्येक समस्या’क समाधान भेट गेल छलनि.

फेर सँ घर मे स्तब्धता पसरि गेल. मुदा पछिला किछु देर सँ पलास’क कटाक्ष सुनि गरिमा’क माए बाबुजी केँ बहुत किछु पुछबाक मोन केलकन्हि. मुदा नहि जानि किएक हुनका पलास’क कटाक्ष नीक लागलनि. आ गरिमा’क चुप मुँह आ लजाएल आँखि हुनका पूर्ण रुप सँ निश्चिँत कऽ देने छलन्हि. एखन पलास एहि बात’क बाट ताकि रहल छलाह जे गरिमा कखन किचेन मे जाए खाना’क व्यवस्था करैथ. कहीँ आई काफी’क सँग खाना बनबे नहि पड़ि जान्हि, से सोचि ओ आतुर होइत छलाह. ओ फेर सँ गरिमा दिस ताकि रहल छलाह. आ गरिमा जानि बुझि केँ अनठेने छलीह. आँखिए सँ कहि रहल छलीह, "एक दिन खाना बना देब तऽ कोनो पहाड़ नहि उनटि जायत". नहि जानि किएक गरिमा’क लाज कतय पड़ा गेल छलन्हि.
समाप्त
एहि कथा’क समाप्त भेला सँ तथाकथित इतिहास बनि गेल. आब बाट ताकि रहल छी ओहि दिन’क जखन दोसर मैथिली ब्लोगर अपन ब्लोग मे इएह इतिहास रचि, ब्लोग’क तारीख चेन्ज कऽ केँ क्लेम करैथि जे साबुदायिक कथा लिखय वाला ओ पहिल व्यक्ति छथि.
कथा'क      प्रथम भाग ।  दोसर भाग  । तेसर भाग  ।  चारिम आ अंतिम भाग

अगिला कथा’क शुरुआत करबाक लेल लेखक गण आमन्त्रित छथि

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