अरिकन्चन

- अमित अभिनन्दन

घोघ तर सँ
तकैत दू टा
पैघ पैघ आँखि
पिन्डश्याम वर्ण पर
खूब तराशि क राखल
ओ कटगर नाक
खूब भरिगर खोपा

कवि- अमित अभिनन्दन,

झंझारपुर प्रखण्डक बलियारि ग्रामक निवासी 24 वर्षीय अमितजी पेशा सँ चिकित्सा विज्ञानक छात्र छथि आ संगे-संग साहित्यानुरागी सेहो। सम्प्रति ज. ला. नेहरु चिकित्सा महाविद्यालय, भागलपुर मे अध्ययनरत। एहि मन्च पर प्रकाशित हुनक इ दोसर रचना छियन्हि। हुनक पहिल रचनाक लेल एतय क्लिक करु
सम्पर्क- +91-93865 50687

- सम्पादक, "कतेक रास बात"


आ खूब पातर ठोर
गरदनि पर
कने नीचा दबा के छलन्हि
कारी सियाह तिल
जेहने साफ व्यक्तित्व
तेहने सुन्दर दिल

मिथिला केर माटि मे पलल बढल
छलथि सर्वगुण सम्पन्न
मुदा सासुर मे रहि गेलन्हि सेहन्ता
जे खाइतथि भरि पेट अन्न

मोन नहि अछि
कहियो सुनने होयब
हुनक मुँह सँ
किछु अनुचित बात
रक्तरन्जित पीठ रहितो
गाल कहियो नहि सहलन्हि
नोरक आघात

हमर हुनक सम्बन्ध यैह
जे
हुनक हाथक
अरिकन्चन मे
हमरा भेटए किछु विशेष सुआद
से गाम गेला पर
किछु अशौकर्य रहितो
हुनक आवेश मे डूबल
हुनका करबे करियन्हि याद

ई हुनक आवेशे छलन्हि
जे सब गप बुझितो
हमर पएर
स्वतः हुनक आन्गन दिस
बढि जाएत छल
थारि पर बैसल
हमर जान्घ
अनगिनत बेर भराएल होयत
मुदा
बीअनि होंकति हुनक हाथ
कहियो नहि थकलन्हि

अन्तिम बेर भेटल रहथि
त कहलन्हि
बौआ
घर मे आयल छैक
दू टीन मटिया तेल
आत्मा सिहरि गेल
मुदा किछु बाजल नहि भेल
आगाँ ओहो नहि बजलथि
अपन नोरे सँ जेना
सब गप कहलथि

पहिल बेर देखलियैक
हुनक आँखि मे नोर
मृत्युक भय सँ कम्पित
पोर पोर

डूबैत के तिनकाक सहारा
भेटय वा नहि भेटय किनारा

नहि गेलियैक हम
हुनक अन्तिम यात्रा मे
कोन मुँह सँ जैतियैक
जकरा ओ बुझलन्हि
सहारा केर लाठी
ओ कोना के दैतय
हुनका काठी
जकरा ओ कएलन्हि
सभ सs बेसि सिनेह
उएह तोडलकय
हुनकर नेह

दू बरख बीत गेल
सुनलहुँ जे
हुनक प्राणनाथ
फेर पहिरलन्हि
ललका पाग
फेर जगलय
कोनो मिथिलाक
बेटीक भाग
फ़ेर अओतन्हि
कतेक रास दहेज
फेर फटतय
ककरो करेज

अस्तु
कोन काज हमरा एहि सभ स
किएक लगबियन्हि लान्छन
जाएत छी फ़ेर उएह अन्गना
खाएब नबकनियाक हाथक
अरिकन्चन ।

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