तैइस साल'क मेहनत (पद्मनाभ मिश्र)

अपन पतिदेव'क बाट ताकैत ताकैत अर्चना'क आँखि बुझू जे पाथर भऽ गेल छल. ओना ते ओ कहियो ९ बजे सँ पहिने घबराबैत नहि छलीह मूदा आई केवल साढ़े आठ बजे हुनकर मोन कोनो आशँका सँ भरि जैत छलन्हि. मोन केँ ओ तरह तरह सँ भलेबा'क प्रयास करैत छलीह. ओ सोचै'क प्रयास करैत छल्ही जे कोना हुनकर २३ साल पहिने हुनकर विवाह भेल छल. हुनकर पति हाथी पर बैसि आयल छलाह. की ठाठ बाट सँ बरियाती'क स्वागत भेल छल. विवाह'क एक्के साल बाद हुनकर पैघ बेटा जनमि लेलक. आ ओकर दू साल बाद दोसर बेटा. बात ओतय खतम भऽ गेल. हुनका ते मोनो छल जे कम सँ कम एकटा बेटी कोना नहि हो. बेटी'क विना घर सून लागैत छैक. मुदा हुनकर पति मोन छलन्हि हम दू हमर दू. आई दू टा बेटा छन्हि एकटा बेटा एम.बी.ए. आ दोसर इन्जिनीरिँग'क पढ़ाई कऽ रहल छलन्हि. अड़ोसी पड़ोसी कहैत छलन्हि जे दू साल बाद हुनकर जीवन एकटा महारानी सँ कम नहि होयत. अपना आप केँ अपन २३ साल'क वैवाहिक जीवन मे ओझरेबाक प्रयास करैत छलीह, मुदा अखबार मे छपल तरह तरह के घटना हुनकर मोन'क बचैनी के बढबैत छलन्हि. एत्तेक राति भ' गेल ओ एखन धरि नहि एलाह. तरह तरह के बात मोन आबैत छलन्हि. कखनो तामसो उठन्हि जे ओ कखनो हिनकर बात नहि सुनैत छथिन्ह. आई छओ महीना सँ हुनका ओ टोकैत छलीह जे एकटा मोबाइल फोन लऽ लिअ, मुदा ओ कहियो एहि बात पर कान नहि देलाह.



नहुएँ नहुएँ राति बेसी भ' रहल छल. घर'क पाछू वाला गली मे लोक'क आवाजाही सेहो कम भ' रहल छल. रहि रहि केँ कोनो कूकुर भूकए आ ओ प्रत्येक आवाज पर ओ पछूलका गेट तरफ भागए लागैथ जे कहीँ हुनकर पतिदेव'क आवाज ते नहिँ मुदा प्रत्येक बेर हुनका निराशा हाथ लागन्हि. दस बाजि चुकल छल. आब क्रमशः कूकुर'क भुकनाई सेहो बन्द भ' गेल छल. आब हुनका मोन मे ई कखनहुँ नहि आबए जे ओ मोबाईल ओ किएक नहि कीनैत छथि. हुनकर मोन हुनका खुदे बुझाबे लागलन्हि जे अनहोनी यदि हेबाक अछि ते मोबाईल फोन ओकरा नहि टालि सकैत छैक. हुनकर आशँका बहुत बेसी बलवान भ' गेल छल. आई २३ साल'क वैवाहिक जीवन मे हुनका कहियो एत्तेक परेशानी नहि भेलन्हि. हनुमान चलीसा'क पाठ तीन बेर खतम कऽ चुकल छलीह. मुदा तैयो सँतोष नहि भेलन्हि. मोन मे भेलन्हि जे एक अन्तिम बेर फेर सँ पाठ करक चाही.



भगवती'क आगू ओ फेर सँ बैस गेलीह. हनुमान चलीसा हुनका पूरा याद छलन्हि मुदा ओ पोथि खोलि एक एक लाइन पढे लागलीह. शुरु मे ते एक दू दोहा पोथी देखि पढ़लीह मुदा बाद मे हुनका कण्टस्थ भेल दोहा मुँह सँ अपने आप निकले लागलन्हि. आँखि किताब पर आ मोन भगवती पर आ दिमाग हरदम गेट पर छलन्हि. मोन आ दिमाग मे मल्लयूद्ध शुरु भ' गेल. जखन मोन हावी होमय ते दिमाग सँ हुनकर पतिदेव हँटि जाथि आ कखनो जखन भगवती कमजोर पड़ैथि तऽ आशँका सँ मोन उद्वेलित भ' जान्हि. मोन आ हृदय'क उठा-पटक मे मोन कमजोर पड़ि गेलन्हि आ ध्यान फेर सँ गेट पर चलि गेलन्हि. हनुमान चलीसा'क दोहा अपने आप मुँह सँ निकलि रहल छलन्हि. एक तरफ हुनकर मुँह सँ दोहा निकलि रहल छलन्हि आ दोसर तरफ हुनकर ध्यान अतीत मे बीतए लागलन्हि. पन्द्रह मिनट के हनुमान चलीसा आ दोसर मन्त्र'क बीच मे हुनकर मोन मे हुनकर विवाहित जीवन'क पूरा कहानी कोनो फिल्म'क भाँति फास्ट फोरवार्ड'क रुप मे चलि रहल छलन्हि. २३ साल पहिने विवाह, फेर दू टा बेटा इत्यादि इत्यादि. मोन मे लगभग तय कऽ लेने छलीह जे कोनो ने कोनो अनहोनी जरूर भेल अछि. हनुमान चलीसा’क चारिम पाठ खतम भऽ गेल छल. ध्यान फेर सं पछुआड़क सड़क दिस देलीह, ओएह स्तब्धता. लागैत छल जे कूकुर सब सूति गेल छल. देवाल घड़ी दिस ध्यान देलीह. राति’क एगारह बजे मे केवल दस मिनट बांकी छल. कि अचानक बाहर गेट’ पर जोर जोर सं जंजीर’क तीन बेर आवाज भेल. खट...खट... खट. हुनका किछु बुझि मे एलन्हि जे की करक चाही. भगवती’क आगू मे ओ स्तब्ध बैसल रहलीह. फेर सं ओएह खटखट के आवाज. आब हुनका सुधि भेटलन्हि जे केवाड़ खोलबाक चाही. जल्दी सं जाए केबाड़ खोलि देलथिन्ह. सामने मे जे देखलथिन्ह ओहि पर हुनका हठाते विश्वास नहि भेलन्हि. मुदा भगवती’क आशीर्वाद बुझि अपना आप कें सम्हारैत ओ आगू देखए लागल्थिन्ह. हुनकर पतिदेव श्री वैद्यनाथ मिश्र बामा गाल मे दू खिल्ली मगही पान गलोटने साइकिल’क चाभी हाथ मे नेने मुस्किआइत ठाढ़ छलाह. अर्चना देखिते रहि गेलीह. किछु बाजलीह नहि. अपन चेहरा पर तामस आनबाक हर सम्भव प्रयास करैत रहलीह. मुदा २ मिनट पहिने के अपन स्थिति सोचि हुनकर मोन भगवती कें धन्यवाद देबा मे व्यस्त भऽ जाएत छलन्हि. आ एहि कारण सं ओ चाहियो कें अपन चेहरा पर तामस नहि आनि पाबि रहैत छ्लीह.


हुनकर तन्द्रा तखने भंग भेलन्हि जखन हुनकर पतिदेव हुनका पुछलथिन्ह, “आब हमरा घर’क अन्दरो आबए देब वा हम घर’क बाहरे रही. अर्चना फट सं केबाड़ खोलि देने छलीह. मुदा हुनकर आंखि सं नोर टप टप बहए लागलन्हि. नोर बहला सं मनुष्य कें बहुत फायदा होइत छैक. कतेक फायदा होइत छैक तकर पूरा लेखा जोखा देनाई ते कठिन छैक मुदा नोर अवसाद कें खतम कऽ दैत छैक. पहिने अर्चना’क मोन अवसादित छलन्हि आ नोर बहला सं अवसाद सं आजादी भेटलन्हि. आ एहि सं आब ओ अपन वास्तविक दुनियां मे वापस एलीह. वास्तविक दुनियां एहेन जाहि मे अपन पति’ लेल एक लाख उपराग छलन्हि. वास्तविक दुनियां मे वापस एला पर ओ अपन मुंह पर तामस आनबा मे पूर्ण रुप सं सफल भ’ गेल छलीह. किछु बजलीह नहि.


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एहि कथा’क बाँकी हिस्सा हमर पोथी "भोथर पेन्सिल सँ लिखल" मे देल गेल अछि. पोथी’क बारे मे विशेष जानकारी आ कीनबाक लेल प्रक्रिया निम्न लिन्क मे देल गेल अछि. http://www.bhothar-pencil.co.cc/ .
मैथिली भाषा’क उत्थान मे योगदान करु. पोथी कीनि साहित्य केँ आगू बढ़ाऊ.
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