रोपनी

कहु की हाल समाचार यौ? सब दुरुस्त ने? हमर हाल की कहु, रोपनी शुरु भऽ गेल अछि. अहि बेर हथिया बढिया जकाँ बरिसलय कहाँ? तैयो कोनो तर्हे धान तऽ रोपै के छैहे. टोल पर जा कऽ काल्हि साँझे जौन अढा एलहु. आइ भोरे खेत पर कादो करय के छल. हरवाह सन्गे खेत पर पहुँचलहु. भरोसी ६कठवा में झिमनी लत्ती उखाइर रहल छल, सन्गे ओकर छोट भाइ परिछ्न सेहो छलइ. परिछन पंजाब रहैया. कनी काल ओकरे सँ बतियेलहु. कहलक जे पंजाब में बडि-बडि टा खेत होइ छै. सब खेत एके सन्ग. मालिक अपने टेक्टर चलबै छै. आ दोआबक माटि त ओनाहु सोने उग्लै अछ. सोन त अपनो अपनो धरती उगलै छल. ओत पढल लिखल किसान सब नब-नब ढंग सऽ खेती करैत अछि. परिछना तऽ कहलक जे रोपनियो मशीने सऽ होइ छै. जोताइ, कोराइ, रोपाइ आ कटनी सभ मशीने करै छै. ओत धान बेगर कादो केनहे रोपै अछि. नबका किनुआ बीया सब कमे दिन में पाकि जाइ छै. ताइ पर सऽ लोक आयुर्वेदी दबाइ सब सेहो उपजबै अहि. रेडियो में तऽ कहै छलै जे पंजाबक किसान तऽ आब अमेरिको दिस जै लागल अछि खेति करै लेल. आब कहु जे ई सभ कहियो अपन सभ दिस हेतै की नै. आइ कल्हि तऽ केयो खेती करहे नहि चाहै अछि. खेतीहर तऽ कन्गाल भेल जा रहल अछि. अबुझ किसान अपन पुरान तरीका सऽ खेती करै अछि जाहि सऽ दु परानि के आश्रम चल्नाइ सेहो कठिन अछि. जगह जमीन बिलैल से जा रहल अछि. पढल लिखल नबजुबक के लेल खेति केनाइ बड्का बेज्जतीक बात भ गेल छै. कतेक त अन्नो आब दुर्लभ भ गेल अछि. माढ, साम, कुर्थि अइ सभ के तऽ अपने लोकनि नामो सुनने होयब की नहि! खेती में नफ़ा कोना हेतै? खेतीहरक इज्जैत कोना हेतै? अपने सँभ जकाँ पढल लिखल बुझनिक लोक सँभ जों रिटैर भेलाक बादो गाम वापिस आबि आ अपन अनुभव आ ग्यान हमरा सनक लोक सन्गे बान्टि त किछु अन्तर त जरूरे एतै. हजारो भरोसि आ परिछ्न के गाम नहि छोडय पडतै. गाम में पाइ ऐतै तऽ रोड, बिजली उद्योग, बड्का बजार ई सभ त अप्ने मोने भ जेतै. होउ बड सपना सभ देखलहु. बीया ल क जौन आबि गेल अछि. कादो भऽ गेलै, आब रोपनी कैल जै.

इन्द्रजाल

मनीष झा ’बालचन’
समग्र मिथिलावासी के हमर प्रणाम। हमर ई पहिल पत्र थिक तें हेतु त्रुटिक लेल पहिनहे क्षमाक अभ्यर्थना करैत छी। भेलै ई जे राम भरोसे छ महिना पर काल्हि डिल्ली सऽ गाम आयल। साँझु पहर चौक पर भेटल छ्ल। भरोसिया लक्ष्मी नगर में फ़लक ठेला लगबैत अछि। मोन में विचार उठल जे अखन तऽ गर्मी में फ़ल खूब बिकाइत हेतै, तखन ई धंधा छोरि गाम में की झख मारऽ चलि आयल? पुछला पर कहलक जे मोन बड जोर खराब भऽ गेल छल, गाम में कनि दिन सुस्ता क जायब। भरोसियाक बदरंग मुँह कान देखि आब के कहतै जे कुश्ती में असगरे ई चारि टा जवान के पटकी दैत छल। धारक कात माघ मासक पूर्णीमा मेला में जत्थाक जत्था लोक अहि भरोसियाक तमाशा देखऽ अबैत छल। आब तऽ गाम में ने लोक रहल ने रहल सहल लोक में ओ बात। इहे सब बिचारैत दलान पर पहुँचलहु।बरद घर कऽ क कनि रेडियो धरौलहु। खेती बारिक कार्यक्रम चलि रहल छल। कोनो बिग्यानी धान में लागऽ बला कीडा सभक उपाय बुझा रहल छ्लाह। कनि काल में भरोसी धार दिस सऽ भऽ क दलान पर आयल। बडा गम्भीर जकाँ गप्प करै लागल। हम सब मिडिल स्कूल में सन्गे रहि। सन्गहि बड्का मालिक के ताड़ गाछ पर तर्कुन तोडैत पकरायल रहि। सब मिला क हमर सभक जोड बरद आ गर्दानी जकाँ छल। बात सऽ बुझायल जे बीमारी साधारण नहि थिक। ओकर पेट में पथरी भऽ गेल छलई। अपरेसऽनक लेल पाइ के जोगार में गाम आयल अछि। गाभिन महीस बेचऽ छारि आर कोनो उपै अखन नहि छै।महेस ठाकुर १० हज़ार देब लेल तैयार भेलै अछि मुदा ४ टका सुदि पर। महीस बेचि कऽ हेतै १५ हज़ार, तहु सऽ काज नहि चल्तै। भरना धरबाक लेल खेतो पथार त नहि छै भरोसिया के। लऽ दऽ क १० धुर घरारी बस, मुदा घरारी बेच जेता कतऽ? हम छि खेतीहर, दु बिघा जरसीमन अहि आ ४ कट्ठा गाछी। छ परानिक आसरम अहि। अपनेहे लोकनि कहियौ जे हम कतेक मददि करबै? बड भेलै त ३-४ हज़ार, सेहो घरबालि सऽ मारि कऽ क ग्रामीन बैंक बला फ़िक्स तोडेला पर। पर साल आम बेचने रहि तेकर पाइ धेने छी। भरोसीक भरोस आब टुटल जा रहल छल। ओ अपन घर दिस बिदा भेल। हम भोजन कऽ क दलान में परि रहलहु, मुदा नीन नहि भेल। हम कतौ बाहर कमै नहि गेलहु। गामक माटि कहियो जाने नहि छोडलक। जबान भेलहु त हमर सब संगी डिल्ली, पंजाब, बम्बई, कलकत्ता आ की जानी कतऽ कतऽ चलि गेल। गाम सऽ लोक बाइर‍हक पानि जकाँ बिला गेलै। पाइ के पियासल खेतिहर मजदूर आब चट्कल में, मिल में, दोकान में मजदूरी करय लागल, रिक्शा चलबै लागल, ठेला लग्बै लागल। अतेक केलाक बादो ओ गरीबीक आ बेबसिक अइ इन्द्रजाल सऽ नहि निकल सकल। देशक अजादी सऽ हमरा सन लोक सभ के कोन मतलब? अहिं सब कहु जे कोना अइ इन्द्रजाल सऽ गरीब बहरायत। आइ एत्बै, राति तीन पहर बीत गेल छै, कोतवाल अखनहि पहर दैत धार दिस गेल। आब सुतऽ दियऽ।

वापसी

फ्लाइट सँ उतरिते जेना बुझायल हमर देह सँ गीदड़क खाल उतरि गेल। 12 साल बाद आय हम वापस गाम जा रहल छी। न्यूयार्क के हल्ला-गुल्ला आ मशीनी ऐश्वर्यक जिंदगी सँ भागि कऽ अखन हम दिल्लीक दयनीयता में ठाढ़ छी। एतेक साल व्यवसायिक वातावरण में रहि जेना हम अपना के पूरा बिसरि गेल छलहुँ। आय लगै अछि जे बीतल 45 सालक जीवन सऽ हमर साक्षात्कार भऽ रहल अछि।

टैक्सी ड्राइवर के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय जाय लेल कहि हम अपन ख्याली दुनियाँ में वापस लौटलहुँ। JNU, 3 साल धरि हमर कर्मस्थल छल। आइ सऽ 17 साल पहिने हमर भाग एहि ठाम करौट मारने छल। उजरका पैजामा आ बुलुका टी-शर्ट पहिरने , माथ पर एकटा पेटी लऽ कऽ हम दिल्ली आयल रही। 1990 में भारतक चेहरा अभूतपूर्व ढ़ंग सऽ बदलि रहल छल। राजीव गाँधी लाइसेंस राजक खात्मा के बीजारोपण कऽ चुकल छलाह। बी०बी०सी० पर गाम में हुनका बारे में बहुत सुनने छलहुँ। डिबियाक इजोत में राजीव के विकास के बात सुनि करेज चारि आँगुर चाकर भऽ जाइत छल। मुदा ओ 1984 सँ 1989 तक जेहो केलथि तेकर एको आना गाम तक नहि पहुँचलहि। ने रोड बनल, ने बिजली आयल आ नै नहर के नामों-निशान। दिल्ली मुदा चकाचक छलई। ताहि दिन हमरो मोन में छल जे पढ़ि लिख कऽ IAS बनि हम गामक रूप बदलि देबय। हाई स्कूले सऽ पढ़य में हम तेज छलहुँ। पाठक जी हाई स्कूलक हेडमास्टर छलाह। हमरा बहुत मानय छलैथ। हुनके कहला पर बी०बी०सी० हिन्दी सेवा सुननाय शुरु केलहुँ। आमक दूटा गाछ बेचि बाबू फिलिप्स के एक गोट रेडियो किन देने रहथि। बी०बी०सी० सुनय में बहुत मोन लगैत छल। प्रस्तुतकर्ताक बोली आ समाचारक शैली बेजोड़ छल। कखनो कखनो बी०बी०सी० के रौतका समाचार खतम भेला के बाद उत्सुकतावश औरो स्टेशन सभ धरबई छलहुँ। एनाही रेडियो डोयचावेला (जर्मनी), वायस आफ अमेरिका, रेडियो जापान इत्यादि सऽ परिचय भेल। हर दिन बहुत नबका बात सुनई छलहुँ आ बुझबाक कोशिश करैत छलहुँ। देश-विदेशक बात, ज्ञान -विज्ञानक बात, राजनीति आ खेलक बात, सभ किछु हमरा रुचिगर लागैत छल। रेडियो डोयचावेला आ वायस आफ जर्मनीक प्रभाव हमरा उपर किछु बेसी छल। जर्मनी भाषा, आ समाजक परिचय रेडियो द्वारा भऽ चुकल छल। JNU आबि हम जर्मन भाषा में B.A. केलहुँ। आह देखु, बाते बात में JNU आबि गेल। कालचक्रक टोना सऽ इहो नहि बचल। विद्यार्थी विद्यार्थिनी सभक वेश-भाषा से लऽ कऽ होस्टलक रुम तक, हर जगह वैश्वीकरणक छाप साफ अछि। एतय से स्टॆशन जेबाक अछि। 4 घंटा में पटना शताब्दी पकड़बाक अछि।

B.A. केलाक बाद हम कनी दिन एकटा निर्यात कम्पनी में काज केलहुँ। IAS बनबाक सपना सभ पहिनहि चूर भऽ गेल छल। कम सीट आ ताहि उपर सँ आरक्षण हमरा असमर्थ कऽ देलक। गाम के चेहरा बदलबाक सपना मुदा हम नहिन छोड़लहुँ। B.A. के दोसर वर्ष में हम शनि आ रवि दिन कऽ जर्मन सैलानी सभ के दिल्ली, जयपुर आ आगरा देखबति छलहुँ। एहि सऽ अप्पन आवश्यकता जोगर पाई बाहर भऽ जाइत छल। एक बेर एकटा व्यवसायी अपन परिवार सँग भारत दर्शन पर आयल रहथि। गाइड के रूप में हमरे मौका भेटल। संयोगवश एक सप्ताहक छुट्टी रहै। हम हरिद्वार सऽ लऽ के दार्जिलिंग तक देखा देलयनि। हमर जर्मन, अंग्रेजी आ हिन्दी पर पकड़ देखि सभ बड्ड प्रसन्न भेलथि। एक दिन 5 साल बाद चेम्बर आफ कामर्स में फेर इ व्यवसायी हमरा भेंट भेलथि। देवी कृपा सऽ हमरा ओ अपन कम्पनी में काज करय बजौलनि। दु सप्ताह बाद हम Frankfurt में छलहुँ, तेकर बाद फेर कहियो नीचा तकबाक मौका नहि रहल। एक के बाद एक देश आ एक सऽ एक कम्पनी में बहुत उच्च पद पर हम बैसेत गेलहुँ। पाई बढ़ैत गेल मुदा मोन छोट होयत गेल। अप्पन लोग सभ छुटैत गेल। हम धनक पाश में बान्हल हब्शी दास जकाँ काज करैत रहलहुँ। फेर एक दिन माँ फोन केलनि जे बाबूजीक तबीयत खराब छनि। बस तखनहि हम मोन बना लेलहुँ जे आब गाम जेबाक समय आबि गेल। बिहारक मुख्यमंत्री अपन राज्य में निवेशक लेल प्रयत्न क रहल छल जे हमहुँ अप्पन ग्राम निर्माणक सपना पूरा कऽ सकैत छी।

पटना पहुँचि सीधे गाम के रस्ता धेलहुँ। जीप कऽ गाम दिस विदा भेलहुँ। सत्रह साल में दुनिया बदलि गेल मुदा ई रस्ता आ गाम सभ ओनाही के ओनाही। हाँ, आब इंटा के घर बेसी अछि, खेत सभ एक-आध गोट परती छुटल आ माल-जाल सेहो कम भऽ गेल अछि। जीप ड्राइवर से राजनीति, किक्रेट, अमेरिका, अफगानिस्तान इत्यादिक गप्प करैत गाम पहुँचलहुँ। आँगन सुन्न-मसान। माँ आ बाबूजी के छोड़ि भरि आँगन में कियो नहि। टोल में सभ घरक यैह हाल। बड़का - बड़का घर-आँगन में खाली कोठी-ढ़ेकी, जाँत-समाठक चौकीदार बुढ़बा-बुढ़िया सभ। सियान तऽ जेना गाम सऽ विलायै गेल। मोन टूटि गेल। भारतक विकास आय धरि गाम नहि पहुँचल थिक। 9-10% आर्थिक विकास आइयो गरीब खेतीहरक पेट नहि भरि सकल अछि। आधा सऽ बेसी गाम दिल्ली, बम्बई आ कलकत्ताक झुग्गी में कीड़ा-मकोड़ाक जीवन व्यतीत कऽ रहल अछि।

एक सप्ताह बाद बिहारक व्यवसाय एवं वाणिज्य मंत्री तथा मुख्यमंत्री संग हमरा सन निवेशक सभक भेंट छल। पटना के तीन सितारा होटल में समारोह सनक वातावरण में दिन भरि चर्चा चलतैक। चर्चा के केन्द्र-बिन्दु रहत 250 बीघाक "विशेष आर्थिक क्षेत्र" वा "SEZ". बिहार सरकार नबका व्यवसाय आ उद्योग के बढ़ावा देबाक लेल 250 बीघा जमीन लऽ कऽ ओही पर हर तरहक आधुनिक प्रबन्ध करतई। 10,000 लोक सभ के रोजगार भेटबाक आशा छैक। लोक सभ लग पाई एतैक तऽ खर्च सेहो बढ़तैक, तै Wal-Mart सन विश्वस्तरीय कम्पनी सभ गाम गाम में दोकान खोलत। Wal-Mart के प्रतिनिधि कहलनि जे साबुन-सर्फ, कपड़ा-लत्ता सँ लऽ के सिलाई मशीन आ साइकिल तक सभ किछु एके दोकान में सस्ता दाम पर। कम्पनी सँ माल सीधे दोकान में। सुनऽ में तऽ बढ़िया लागैत छैक मुदा एहिसँ कतेको दुकानदार बेरोजगार भऽ जेताह। गामक कठघरा सभ उठि जायत। SEZ के लेल जे जमीन सरकार चुनने अछि, ओहू पर विवाद। गामक लोक सभ के उपजाऊ जमीन जबरदस्ती छीन लेल गेल छै। मुआवजा में कनी मनी पाई आ परिवार में एक गोटा के नौकरी। हमरा अपन बचपन मोन पड़ि गेल। बाबू भिन्न भेल रहथिन तऽ हिस्सा में दुए बीघा जरसीमन छलनि। ओही के उपज सँ केनाहु घर चलय छल। एक बेर रौदी भऽ गेलय तऽ मड़ुआ, मकई आ जनेर के रोटी खाइत-खाइत हम सभ तबाह भऽ गेल रही। हमर बाबू सनक किसान के जौं दूनू बीघा जमीन चलि जेतैक तऽ हमर सभक जीवन के तऽ कोनो आशे नहि छल। कारण जे अन्न खरीद के खेबाक क्षमता हमरा सभ में नहि छल। एकटा छोट-छीन नौकरी भेटला सऽ सेहो किछु खास फर्क नहि पड़ैत छैक।

एहि मीटिंग में हमरा बुझा गेल जे भारत आब शहरी आ ग्रामीण क्षेत्र में बँटि गेल अछि। पाई बला बिन-पाई बला सभ के दोहन धरि करबाक फेरी में छथि। औद्यौगीकरण या वैश्वीकरण से खेतीहर के कोनो फायदा नहि छै। कोनो अंतर अनबाक लेल जमीन सऽ शुरु करऽ पड़तै। पढ़ाई- लिखाई के बन्दोबस्त; खेती में वैज्ञानीकीकरण आ सुगम कर्ज कम व्याज पर भेटनाय अत्यन्त जरुरी छैक।

आय हमरा गाम अयला 5 साल भऽ गेल। धीया-पुता सभ बोर्डिंग स्कूल में अछि। हम, हमर श्रीमती, बाबूजी, माँ आ पूरा गाम आब हमर घर जकाँ अछि। आय गाम में 600 धीया-पुता हमर स्कूल में पढ़ैत अछि। एहि साल मैट्रीक में 63 उतीर्ण विद्यार्थी एही गाम सऽ छल। गामक कृषि उपज आब बेसी दाम पर बिकायति अछि। गामक किसान सभक योगदान तथा सरकारी कर्ज सऽ एकटा कोल्ड स्टोरेज खुलि गेल अछि। तीन टा जेनरेटर सऽ गाम में बिजलीक बन्दोबस्त भऽ गेल अछि। जेनरेटर बंगरेरा के बीया से चलैत अछि। बाहर लोक एकरा Bio-Diesel कहैत अछि। आब एहि गाम में ताश खेलैत लोग कमें भेटत। सभ के किछु ना किछु काज छैक।

मछली पालन, मधुमक्खी पालन, पापड़ आ चरौरीक कारबार, छीट्टा-पथिया के बुनाई आ मिथिला पेन्टिंग सभ किछु आब एहि गाम में भऽ रहल अछि। संगहि स्वास्थ्य मेला, चिकित्सा कैम्प, साप्ताहिक सिनेमा शो, गीत-नाद इत्यादि सेहो आयोजित भऽ रहल अछि।

माँ भगवती हमरा जे अवसर देलनि सएह अवसर हम एहि गामक बच्चा-बच्चा के देबय चाहैत छी। प्रयास करबाक लेल खाली कनेक हिम्मत चाही, भगवान कमजोर के संग अखनहुँ छथिन। जाहि भँवर सऽ हम आ हमरा संग सैकड़ो लोग निकलि चुकलथि, ओही भँवर में आइयो हजार लोग डूबि-ऊगि रहल छथि। हमरा सभके काजक पाछाँ ताकक चाही, कनी टा के सहारा आय हजारों के भँवर से निकालि सकैत अछि।

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लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...