वापसी

फ्लाइट सँ उतरिते जेना बुझायल हमर देह सँ गीदड़क खाल उतरि गेल। 12 साल बाद आय हम वापस गाम जा रहल छी। न्यूयार्क के हल्ला-गुल्ला आ मशीनी ऐश्वर्यक जिंदगी सँ भागि कऽ अखन हम दिल्लीक दयनीयता में ठाढ़ छी। एतेक साल व्यवसायिक वातावरण में रहि जेना हम अपना के पूरा बिसरि गेल छलहुँ। आय लगै अछि जे बीतल 45 सालक जीवन सऽ हमर साक्षात्कार भऽ रहल अछि।

टैक्सी ड्राइवर के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय जाय लेल कहि हम अपन ख्याली दुनियाँ में वापस लौटलहुँ। JNU, 3 साल धरि हमर कर्मस्थल छल। आइ सऽ 17 साल पहिने हमर भाग एहि ठाम करौट मारने छल। उजरका पैजामा आ बुलुका टी-शर्ट पहिरने , माथ पर एकटा पेटी लऽ कऽ हम दिल्ली आयल रही। 1990 में भारतक चेहरा अभूतपूर्व ढ़ंग सऽ बदलि रहल छल। राजीव गाँधी लाइसेंस राजक खात्मा के बीजारोपण कऽ चुकल छलाह। बी०बी०सी० पर गाम में हुनका बारे में बहुत सुनने छलहुँ। डिबियाक इजोत में राजीव के विकास के बात सुनि करेज चारि आँगुर चाकर भऽ जाइत छल। मुदा ओ 1984 सँ 1989 तक जेहो केलथि तेकर एको आना गाम तक नहि पहुँचलहि। ने रोड बनल, ने बिजली आयल आ नै नहर के नामों-निशान। दिल्ली मुदा चकाचक छलई। ताहि दिन हमरो मोन में छल जे पढ़ि लिख कऽ IAS बनि हम गामक रूप बदलि देबय। हाई स्कूले सऽ पढ़य में हम तेज छलहुँ। पाठक जी हाई स्कूलक हेडमास्टर छलाह। हमरा बहुत मानय छलैथ। हुनके कहला पर बी०बी०सी० हिन्दी सेवा सुननाय शुरु केलहुँ। आमक दूटा गाछ बेचि बाबू फिलिप्स के एक गोट रेडियो किन देने रहथि। बी०बी०सी० सुनय में बहुत मोन लगैत छल। प्रस्तुतकर्ताक बोली आ समाचारक शैली बेजोड़ छल। कखनो कखनो बी०बी०सी० के रौतका समाचार खतम भेला के बाद उत्सुकतावश औरो स्टेशन सभ धरबई छलहुँ। एनाही रेडियो डोयचावेला (जर्मनी), वायस आफ अमेरिका, रेडियो जापान इत्यादि सऽ परिचय भेल। हर दिन बहुत नबका बात सुनई छलहुँ आ बुझबाक कोशिश करैत छलहुँ। देश-विदेशक बात, ज्ञान -विज्ञानक बात, राजनीति आ खेलक बात, सभ किछु हमरा रुचिगर लागैत छल। रेडियो डोयचावेला आ वायस आफ जर्मनीक प्रभाव हमरा उपर किछु बेसी छल। जर्मनी भाषा, आ समाजक परिचय रेडियो द्वारा भऽ चुकल छल। JNU आबि हम जर्मन भाषा में B.A. केलहुँ। आह देखु, बाते बात में JNU आबि गेल। कालचक्रक टोना सऽ इहो नहि बचल। विद्यार्थी विद्यार्थिनी सभक वेश-भाषा से लऽ कऽ होस्टलक रुम तक, हर जगह वैश्वीकरणक छाप साफ अछि। एतय से स्टॆशन जेबाक अछि। 4 घंटा में पटना शताब्दी पकड़बाक अछि।

B.A. केलाक बाद हम कनी दिन एकटा निर्यात कम्पनी में काज केलहुँ। IAS बनबाक सपना सभ पहिनहि चूर भऽ गेल छल। कम सीट आ ताहि उपर सँ आरक्षण हमरा असमर्थ कऽ देलक। गाम के चेहरा बदलबाक सपना मुदा हम नहिन छोड़लहुँ। B.A. के दोसर वर्ष में हम शनि आ रवि दिन कऽ जर्मन सैलानी सभ के दिल्ली, जयपुर आ आगरा देखबति छलहुँ। एहि सऽ अप्पन आवश्यकता जोगर पाई बाहर भऽ जाइत छल। एक बेर एकटा व्यवसायी अपन परिवार सँग भारत दर्शन पर आयल रहथि। गाइड के रूप में हमरे मौका भेटल। संयोगवश एक सप्ताहक छुट्टी रहै। हम हरिद्वार सऽ लऽ के दार्जिलिंग तक देखा देलयनि। हमर जर्मन, अंग्रेजी आ हिन्दी पर पकड़ देखि सभ बड्ड प्रसन्न भेलथि। एक दिन 5 साल बाद चेम्बर आफ कामर्स में फेर इ व्यवसायी हमरा भेंट भेलथि। देवी कृपा सऽ हमरा ओ अपन कम्पनी में काज करय बजौलनि। दु सप्ताह बाद हम Frankfurt में छलहुँ, तेकर बाद फेर कहियो नीचा तकबाक मौका नहि रहल। एक के बाद एक देश आ एक सऽ एक कम्पनी में बहुत उच्च पद पर हम बैसेत गेलहुँ। पाई बढ़ैत गेल मुदा मोन छोट होयत गेल। अप्पन लोग सभ छुटैत गेल। हम धनक पाश में बान्हल हब्शी दास जकाँ काज करैत रहलहुँ। फेर एक दिन माँ फोन केलनि जे बाबूजीक तबीयत खराब छनि। बस तखनहि हम मोन बना लेलहुँ जे आब गाम जेबाक समय आबि गेल। बिहारक मुख्यमंत्री अपन राज्य में निवेशक लेल प्रयत्न क रहल छल जे हमहुँ अप्पन ग्राम निर्माणक सपना पूरा कऽ सकैत छी।

पटना पहुँचि सीधे गाम के रस्ता धेलहुँ। जीप कऽ गाम दिस विदा भेलहुँ। सत्रह साल में दुनिया बदलि गेल मुदा ई रस्ता आ गाम सभ ओनाही के ओनाही। हाँ, आब इंटा के घर बेसी अछि, खेत सभ एक-आध गोट परती छुटल आ माल-जाल सेहो कम भऽ गेल अछि। जीप ड्राइवर से राजनीति, किक्रेट, अमेरिका, अफगानिस्तान इत्यादिक गप्प करैत गाम पहुँचलहुँ। आँगन सुन्न-मसान। माँ आ बाबूजी के छोड़ि भरि आँगन में कियो नहि। टोल में सभ घरक यैह हाल। बड़का - बड़का घर-आँगन में खाली कोठी-ढ़ेकी, जाँत-समाठक चौकीदार बुढ़बा-बुढ़िया सभ। सियान तऽ जेना गाम सऽ विलायै गेल। मोन टूटि गेल। भारतक विकास आय धरि गाम नहि पहुँचल थिक। 9-10% आर्थिक विकास आइयो गरीब खेतीहरक पेट नहि भरि सकल अछि। आधा सऽ बेसी गाम दिल्ली, बम्बई आ कलकत्ताक झुग्गी में कीड़ा-मकोड़ाक जीवन व्यतीत कऽ रहल अछि।

एक सप्ताह बाद बिहारक व्यवसाय एवं वाणिज्य मंत्री तथा मुख्यमंत्री संग हमरा सन निवेशक सभक भेंट छल। पटना के तीन सितारा होटल में समारोह सनक वातावरण में दिन भरि चर्चा चलतैक। चर्चा के केन्द्र-बिन्दु रहत 250 बीघाक "विशेष आर्थिक क्षेत्र" वा "SEZ". बिहार सरकार नबका व्यवसाय आ उद्योग के बढ़ावा देबाक लेल 250 बीघा जमीन लऽ कऽ ओही पर हर तरहक आधुनिक प्रबन्ध करतई। 10,000 लोक सभ के रोजगार भेटबाक आशा छैक। लोक सभ लग पाई एतैक तऽ खर्च सेहो बढ़तैक, तै Wal-Mart सन विश्वस्तरीय कम्पनी सभ गाम गाम में दोकान खोलत। Wal-Mart के प्रतिनिधि कहलनि जे साबुन-सर्फ, कपड़ा-लत्ता सँ लऽ के सिलाई मशीन आ साइकिल तक सभ किछु एके दोकान में सस्ता दाम पर। कम्पनी सँ माल सीधे दोकान में। सुनऽ में तऽ बढ़िया लागैत छैक मुदा एहिसँ कतेको दुकानदार बेरोजगार भऽ जेताह। गामक कठघरा सभ उठि जायत। SEZ के लेल जे जमीन सरकार चुनने अछि, ओहू पर विवाद। गामक लोक सभ के उपजाऊ जमीन जबरदस्ती छीन लेल गेल छै। मुआवजा में कनी मनी पाई आ परिवार में एक गोटा के नौकरी। हमरा अपन बचपन मोन पड़ि गेल। बाबू भिन्न भेल रहथिन तऽ हिस्सा में दुए बीघा जरसीमन छलनि। ओही के उपज सँ केनाहु घर चलय छल। एक बेर रौदी भऽ गेलय तऽ मड़ुआ, मकई आ जनेर के रोटी खाइत-खाइत हम सभ तबाह भऽ गेल रही। हमर बाबू सनक किसान के जौं दूनू बीघा जमीन चलि जेतैक तऽ हमर सभक जीवन के तऽ कोनो आशे नहि छल। कारण जे अन्न खरीद के खेबाक क्षमता हमरा सभ में नहि छल। एकटा छोट-छीन नौकरी भेटला सऽ सेहो किछु खास फर्क नहि पड़ैत छैक।

एहि मीटिंग में हमरा बुझा गेल जे भारत आब शहरी आ ग्रामीण क्षेत्र में बँटि गेल अछि। पाई बला बिन-पाई बला सभ के दोहन धरि करबाक फेरी में छथि। औद्यौगीकरण या वैश्वीकरण से खेतीहर के कोनो फायदा नहि छै। कोनो अंतर अनबाक लेल जमीन सऽ शुरु करऽ पड़तै। पढ़ाई- लिखाई के बन्दोबस्त; खेती में वैज्ञानीकीकरण आ सुगम कर्ज कम व्याज पर भेटनाय अत्यन्त जरुरी छैक।

आय हमरा गाम अयला 5 साल भऽ गेल। धीया-पुता सभ बोर्डिंग स्कूल में अछि। हम, हमर श्रीमती, बाबूजी, माँ आ पूरा गाम आब हमर घर जकाँ अछि। आय गाम में 600 धीया-पुता हमर स्कूल में पढ़ैत अछि। एहि साल मैट्रीक में 63 उतीर्ण विद्यार्थी एही गाम सऽ छल। गामक कृषि उपज आब बेसी दाम पर बिकायति अछि। गामक किसान सभक योगदान तथा सरकारी कर्ज सऽ एकटा कोल्ड स्टोरेज खुलि गेल अछि। तीन टा जेनरेटर सऽ गाम में बिजलीक बन्दोबस्त भऽ गेल अछि। जेनरेटर बंगरेरा के बीया से चलैत अछि। बाहर लोक एकरा Bio-Diesel कहैत अछि। आब एहि गाम में ताश खेलैत लोग कमें भेटत। सभ के किछु ना किछु काज छैक।

मछली पालन, मधुमक्खी पालन, पापड़ आ चरौरीक कारबार, छीट्टा-पथिया के बुनाई आ मिथिला पेन्टिंग सभ किछु आब एहि गाम में भऽ रहल अछि। संगहि स्वास्थ्य मेला, चिकित्सा कैम्प, साप्ताहिक सिनेमा शो, गीत-नाद इत्यादि सेहो आयोजित भऽ रहल अछि।

माँ भगवती हमरा जे अवसर देलनि सएह अवसर हम एहि गामक बच्चा-बच्चा के देबय चाहैत छी। प्रयास करबाक लेल खाली कनेक हिम्मत चाही, भगवान कमजोर के संग अखनहुँ छथिन। जाहि भँवर सऽ हम आ हमरा संग सैकड़ो लोग निकलि चुकलथि, ओही भँवर में आइयो हजार लोग डूबि-ऊगि रहल छथि। हमरा सभके काजक पाछाँ ताकक चाही, कनी टा के सहारा आय हजारों के भँवर से निकालि सकैत अछि।

5 comments:

Rajeev Ranjan Lal said...

अहाँ के ई संस्मरण पढ़ने अकस्मात सोच में पड़ि गेलहुँ जे हमर भविष्य की हेबाक चाही। जेना चलि रहल छैक से उचित या किछ और हेबाक चाही छल। एकर परिणाम की? आन कियो के हमरा जीवन सऽ प्रयोजन की? बहुत रास सवाल के बड्ड सहजता से अहाँ हम सब के बीच में राखलौं आ मार्गदर्शन केलौं जे उचित की हेबाक चाही।
उचित-अनुचित के गप्प छोड़ि दी, तखनो लेखनी पर अहाँ के पकड़ पाठक के तेना कऽ जकड़ि लैत छैक जे पढ़ला उपरांत दिमाग पर छाप पड़नाय निश्चित। हमर अपेक्षा जे अहाँ आगु बेसी से बेसी एहन तरह के रचना लऽ कऽ उपस्थित होई।
शुभाकांक्षी,
राजीव रंजन लाल

Anonymous said...

मैथिली में एहन आधुनिक विचारधारा के प्रवाह भेटतैक, से सोचने नहि छलौं। अति उत्तम।

ज्योति प्रकाश लाल said...

Ati uttam...hamara paas aise badhiya kono shabd nahi achhi...Mithila ke vikash takhne sambhav achhi jakhan Ahi jakan kuchh aur Maithil aabi apan kadam aagoo badhota...

"Jay Mithila"
Jyoti Prakash Lal "Narayanji"

Muchkund Thakur said...

bahut badhiya lagal.ahina je sab maithil ke buddhi khuji jetain ta gaam sa lok kamay lel delhi, mumbai, kalcata me ja ka kiya kast katat.

Anonymous said...

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