अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू (एक कहानी)



...... अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू ......


आय बरसातिक दिन छल आ नव विवाहित अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू के घर में पिछला तीन दिन में जे घटनाक्रम घटित भेल छल ओ हुनक जीवनक विभिन्न हिस्सा के एकटा फिल्म केर रील'क भाँति हुनका देखा रहल छलन्हि, बिल्कुल टुकड़ी-टुकड़ी में।

अतुल्य
-प्रकाश के आय तक शायदे किओ पूरा नाम सँ जानैत हेतन्हि जे ओकर आगू लाल दास सेहो लागल अछि। माँ बाबूजी'क लेल त’ एखनो ओ बब्लू छलाह, ओएह बब्लू जे बच्चा में बदमाशी करैत-करैत जखन अपने थाकि जाइत छलाह तखने हुनकर खेल बन्द होइत छलन्हि। मजाल छलैक जे किओ हुनका एक बेर डाँटि दैथि। कहल गेल अछि बच्चा अपन दादा-दादी, नाना-नानी लग बिगड़ि जाइत छैक। मुदा अतुल्य प्रकाश उर्फ बब्लू बच्चा में बदमाशी जरूर करैत छलाह, मुदा बिगड़लाह नहि। अपितु एत्ते सुधरलाह जे हुनकर माँ-बाबूजी हुनका पर एखनो गर्व करैत छैथि। पुणे के एकटा प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कम्पनी में सीनीयर सॉफ्टवेयर इन्जीनियर पद पर कार्यरत छलाह। हुनकर माय अक्सर अपन तुरिया के कहैथ छलीह जे बब्लू के साठि हजार टाका महीना भेटैत छैक। आ सरकार के 12 हजार टाका इनकम टैक्स के रुप में दैत छथिन्ह। अक्सर हुनकर दियादिनी लोकनि हिनका परोक्ष में बाजैत छलीह जे एहनो कतओ भेलैक अछि जे 25-26 सालक लोक के साठि हजार टाका दरमाहा भेटतैक।

समय बदलल आ ओहि क्रम में लोक सभ सेहो बदलैत गेल। अतुल्य प्रकाश के विवाह भेने आय आठ महीना बीत गेल छल। विवाह भेलन्हि अपने सँग काज करय वाली कन्या सँग। संजोग सँ ओहो मैथिल छलीह...आ कुंडली से मिल गेल छलन्हि। हुनकर माँ बाबूजी के बुझु जीविते स्वर्ग भेटि गेलन्हि। पूतोहु भेटलन्हि एतेक सुन्दर, आ ओहो अंग्रेजी बाजय वाली। कम्प्यूटर सायन्स में ओहो इन्जीनियरिंग केने छलीह। मुदा अतुल्य उर्फ बब्लू के माय जखन अपन दियादनी के अपन पुतोहु के बारे में बतबय छलथिन्ह तऽ हुनका लेल एक्के टा बात मुँह सँ निकलैत छलन्हि जे हमर पुतोहु अँग्रेज जँका अंग्रेजी बाजैत छथि। हुनका आगु में शायद कम्प्यूटर इन्जीनीयरिंग के डिग्री शायद अंग्रेजीक सामना में मुरझा जायत छल। हुनका कतेक बेर बुझायल गेल जे कम्प्युटर अंग्रेजी सँ बेसी महत्वपूर्ण होइत अछि मुदा हुनका लेल अंग्रेज सन अंग्रेजी, एखनो बेसी महत्व राखैत छलैक।



समय बदलल... मुदा लोक सब ओएह। कियो नहि बदलल। मुदा बब्लू, ओ बब्लूआ सँ अतुल्य प्रकाश कोना भेलाह से हुनको नहि जानि पड़लन्हि। विवाह सँ पहिने जखन ओ पुणे सँ गाम आबैत छलाह सब कियो इएह कहैत छल। ई बब्लुआ एतेक पढ़ियो के नहि सुधरल। एखनो एकरा अन्दर के बच्चा नहि गेल अछि। ओ बच्चा जे आब बेसी बदमाशी नहि करैत अछि मुदा अन्दर में बच्चा'क सहजता, निश्चछलता ओएह। आनो आदमी बाट चलैत इएह कहैत छलथिन्ह जे बेटा होथि त’ बब्लू जेकाँ। मुदा की एकटा विवाह बब्लू के एना बदलि देत ? से ककरो नहि बुझल छल। आबक बब्लू आब बब्लू नहि, आब अतुल्य-प्रकाश बनि गेल छलाह। अतुल्य प्रकाश एक एहन व्यक्ति छलाह जेकरा अन्दर में गम्भीरता आ कूटनीति भरि गेल छलन्हि। हुनका अन्दर में बब्लूक कोनो गुण नहि मौजूद छलन्हि। गामक लोक त’ बहुत तरह'क बात करैत छल मुदा बब्लू अतुल्य-प्रकाश में कोना परिवर्तित भेला से ककरो नहि मालूम छल। अलग-अलग लोक अलग-अलग बात कहैत छलथिन्ह मुदा जिनका किछो नहि बुझल छल ओ हिनकर कनियाँ के दोष दैत छलथिन्ह। मुदा ओ खुद अपना आप के एहि दुआरे बदलि लेलथिन्ह किएक त’ विवाह सँ पूर्व आदमी लड़का रहैत छैक आ विवाह'क बाद ओ आदमी भ' जाइत छैक। आब ओ आदमी भ' गेल छलाह, तेँ लड़कपन के छोड़ि देनाइए उचित बुझलथिन्ह।



हुनकर कनियाँ जे कहियो विलासिता सँ दूर नहियो नहि रहलीह. परन्च अपन काज में पूर्ण प्रोफेशनल छलथिन्ह। हमेशा सँ हुनक विलासिता पूर्ण जीवन हुनकर पढ़ाई-लिखाई में कहियो बाधक नहि छल। ओ हमेशा सँ अपन कैरियर'क बारे में सजग रहथिन्ह. विवाह सँ पूर्व अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू सँ कबूल करबा नेने छलथिन्ह जे विवाह के बाद ओ अपन नौकरी के कहियो नहि छोड़तीह, आगु किछु दिनक बाद हुनका एम.बी.ए करबाक छलन्हि सेहो ओ बब्लू केँ बता देने छलथिन्ह। विवाह सँ पहिने बब्लू के अपन कनियाँ'क इएह बात नीक लागैत छल। ओ सोचैत छलाह जे हुनकर माँ-बाबूजी कतेक खुश हेथिन्ह जे हुनकर बेटा के साथ-साथ पुतोहु सेहो सॉफ्टवेयर इन्जीनियर। मुदा हुनकर वास्तविक जीवन एकटा शायर'क भाँति छल, जिनकर शायरी पर फिदा भ' के तऽ एकटा लड़की विवाह कऽ लेलथिन्ह, मुदा ओ लड़की के बाद में पता चललैक जे ई शायर तऽ जिन्दगी में एक्के घंटा शायरी करैत छैक आ बाँकी के 23 घंटा एक आम आदमीक तरह रहैत छैक।



बब्लू के कनियाँक जे बात अपन विवाह सँ पहिने बढियाँ लागैत छलैक, ओएह बात आब खराब लागय लागलैन्ह। कखनो-कखनो ओ सोचैत छलाह जे माँ-बाबूजी'क जीवन कतेक बढियाँ छलैक। बाबूजी'क ऑफिस सँ अयला'क बाद हुनकर माँ कम सँ कम एक कप चाय बना के तऽ दैत छलीह। मुदा ओ अपन कनियाँ के कैरियर के प्रति बहुत संवेदनशील छलाह। हुनकर कखनो मोन नहि छ्लन्हि जे हुनकर कनियाँ अपन नौकरी छोडि साँझ के एक कप चाय बनेबा'क लेल घर बैसथि। मुदा हुनका आ हुनकर कनियाँ में बहुत अन्तर छलैक। ओना तऽ अक्सर ई होइत छैक जे दु लोकनि दु भिन्न-भिन्न स्थान सँ आबि के एक जगह रहनाय शुरु करतैक, तऽ दुनू के रहन-सहन में अन्तर ते हेबे करतैक। मुदा एतय दुनु आदमी के सोचे में अन्तर छलैक। जतय बब्लू एक बढियाँ जीवन केँ महत्व दैत छलथिन्ह ओतय हुनकर कनियाँ जीवन में प्रत्येक ऊँचाई छुबय चाहैत छलीह, चाहे ओही लेल हुनका किछो करय पड़न्हि। दुनू लोकनि अपन-अपन जगह ठीक मुदा दुनु में कोनो सामंजस्य नहि। बब्लू एहि बात के अपन नियति बना काज चलबैत छलाह जे विवाह'क बाद पति आ पत्नी के कतओ नहि कतओ कम्प्रोमाइज करइए पड़ैत छैक।



मुदा परसु त’ अति भ' गेलैक। आय बरसातिक दिन छलैक आ हुनकर माँ-बाबूजी'क फोन पिछला एक महीना सँ आबि रहल छल जे कनियाँ के बरसातिक पूजा करैक लेल जरूर कहबैक। बब्लू से सकारात्मक छलाह जे बरसातिक पूजा कतओ नहि हो। बरसातिक कथा त’ नहि भ' सकैत छैक मुदा बड़ गाछक पूजा जरूर भ' सकैत छैक। की हेतैक कनियाँ के एक दिनक छुट्टीए ने लेबे पड़तन्हि। तें कनियाँ के बिना बतेने पिछला एक महीना सँ बड़'क गाछ ताकै में लागल छलाह। सँयोगवश बड़ गाछ सेहो भेटि गेलन्हि।

आ तीन दिन पहिने अपन कनियाँ के ई बात कहने छलाह जे बरसातिक दिन छुट्टी जरूर ल' लेब। आशाक विपरीत कनियाँ हिनका निराश क' देने छलीह। हिनका कहने छलीह, "21वीँ सदी में भी तुम इस ढोंग पर विश्वास् करते हो, मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि तुम एक सॉफ़्टवेयर इन्जीनियर हो और फौरेन का तीन बार दौरा कर चुके हो उस दिन मेरे प्रोजेक्ट की डेलिवरी है, एन्ड आई कान्ट स्टे एट होम जस्ट फोर आल दीज नोनसेन्स"। कनिके देर में बब्लूक माय के फोन सेहो चलि आयल आ बब्लू के माय सँ एतेक बड़का झूठ कहबाक हिम्मत नहि भेलन्हि जे ओ कहि देथीन्ह की कनियाँ बरसातिक पूजा करय सँ मना क' रहल छथीन्ह।


ओ अपन माँ-बाबूजी सँ कहि देलथिन्ह सब बात सच सच। हुनकर माँ-बाबूजी कनियाँ सँ बात करबाक लेल चाहैत छलथिन्ह मुदा ओ फोन पर बात नहि करय चाहैत छलीह। परसुए त’ बरसाति अछि आ आय ई सब नाटक भ' रहल छल। ओहो राति एक्के बिछौन पर पड़ल बब्लू जतय पूरा दुनियाँ के बारे में सोचैत छलाह आ आजुक टटका घटना'क कोनो उपाय सोचै में व्यस्त छलाह, ओतैय हुनकर कनियाँ फोंफ काटैत सुतल छलीह।


भोर भेला पर हुनकर कनियाँ ऑफिस गेलीह। ऑफिस त’ बब्लूओ गेल छलाह मुदा हुनका आय काज करबा में कोनो मोन नहि लागैत छलन्हि। लन्च'क समय में हुनकर बाबूजी हुनकर कनियाँ के फोन केलथिन्ह। नहि जानि किएक एहि बेर हुनकर कनियाँ हुनकर फोन उठा लेने छलीह आ बाबूजी कें कहने छलथीन्ह, "गोर लागैत छी बाबू जी!" हुनकर बाबूजी कहलथिन्ह, "सौभाग्यवती रहथु, की हमरा एतेक अधिकार दैत छी जे हम अहाँ के दुई लाइन कही"। नहि जानि किएक ओ हुनका परमिशन द' देलथिन्ह।


हुनकर बाबूजी फोने पर कहय लागलथिन्ह, "कनियाँ! हमर बेटी! आय हमर उमर साठि पार क' रहल अछि। हमरा लेल जेना बब्लू तहिना अहुँ। हम आय ई बात अहाँ के एहि दुआरे कहि रहल छी किएक ते हमरा बुझल अछि जे अहाँ पढ़ल-लिखल छी आ हमर बात के अहाँ बहुत बढियाँ तरीका सँ बुझि सकैत छी। जँ अहाँ एतेक पढ़ल नहि रहितहुँ त’ हम अहाँ के अखन किन्नहुँ नहि फोन केने रहितहुँ"


ओ आगु बाजैत कहलथिन्ह, "बेटी, हमरा लोकनिक किछु सँस्कार अछि। जेना बिलाई म्याउँ म्याउँ करैत छैक कुकुर भौं भौं करैत छैक... किएक त’ ई ओकर सँस्कार छैक। आय यदि कोनो कुकुर म्याउँ म्याउँ करय लागय त’ ओकरा किओ वैल्यू नहि देतैक। तें कुकुरक भला एही में छैक जे ओ भौं भौं करय।"


हुनकर तर्क जारी छल, "तहिना हमरा लोकनिक सेहो सँस्कार अछि। मानि लिअ आय अहाँक बाबूजी आबि जाथि आ अहाँ हुनकर पैर नहि छुबि हुनका हाथ मिला कें स्वागत करिऔक तें की अहाँ अपन बाबूजी'क प्रतिष्ठा में कमी क' देबन्हि, मुदा हाथ मिला के अहाँ के मोन नहि मानत. जे आत्मा के सँतुष्टि पैर छुबि के भेटत ओ कहिओ हाथ मिलेला सँ नहि। किएक ते हाथ मिलेनाय अपना लोकनिक सँस्कार में नहि अछि। अपना लोकनिक सँस्कार में छैक जे पैर छुबि प्रणाम करी"।


ओ समाप्त करैत बजलाह, "तें बेटी अहाँ दुनु लोकनिक एखन जीवन'क शुरुआत थीक। बरसातिक पूजा एक सौभाग्यशाली, सम्पूर्ण आ खुशहाल दाम्पत्य जीवन'क लेल कयल जायत छैक। ई अपना लोकनिक सँस्कार में अछि आ हजारों साल सँ मान्यता छैक, जे बरसातिक पूजा मोन सँ करैत छैक ओकर परिवार हमेशा खुशहाली में बीतैत छैक। आ सबसँ पैघ जे जीवन में ई एक्के बेर होइत छैक। जीवन बहुत पैघ छैक आ अहाँ के ई त’ शुरुआते थीक, अहाँ के जीवन में कैरियर बनेबाक बहुत मौका भेटत। तें अहाँ एकरा नहि छोड़ब। हमर बात मानि लिअ आ काल्हि छुट्टी ल' के ई पूजा जरूर करू, एहि सँ हमेशा अहाँक परिवार खुश रहत"।


ई कहि हुनकर बाबूजी फोन काटि देलथिन्ह। हुनकर बाबूजी के भेलन्हि जे पुतोहु बात मानि जेथिन्ह मुदा कनियाँ के ऊपर में विपरीत प्रभाव पड़लन्हि। कनियाँ तुरन्त अतुल्य प्रकाश उर्फ बब्लू के फोन क’ कहलथिन्ह, " सम्भालो अपने बाबूजी को जो मन में आये आँय-बाँय बकते रहते हैं। उनको मालूम नहीं था क्या कि वह अपने बेटे की शादी एक सॉफ्टवेयर इन्जीनियर से कर रहे हैं, बताओ मुझको वह कुत्ता का भौं भौं और बिल्ली की म्याँउ म्याँउ से सँस्कार समझा रहे थे। उनको बोल दो की सँस्कार क्या होता है मुझे अच्छी तरह से मालूम है।"


"और मैं बेवकूफ नहीं हूँ। मेरा कल प्रोजेक्ट का डीलिवरी है इसीलिए, नहीं तो तुमलोगों को मैं इतना नाटक करने का मौका नहीं दिया होता यदि मैं छुट्टी माँगूगी तो मुझे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। और एक हजार साल के रीति-रिवाज के लिए अपना नौकरी नहीं खोना चाहती।" हुनकर कनियाँ फ्रश्टेशन में अपन बात कहैत फोन काटि देलथिन्ह. मुदा बब्लू अपन बाबूजी के अपन कनियाँ के विचार नहि कहबा में नीक बुझलथिन्ह आ नियति'क इच्छा जानि एकरा बिसरि जेबाक सोचलथिन्ह। आब हुनको लागय लागलन्हि जे हुनकर कनियाँ ठीके त’ कहैत छथीन्ह।


आय साँझ में जँ हुनकर कनियाँ घर एलीह ते अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू सेहो हुनका कहय लागलन्हि जे अहाँ'क विचार सँ हमहुँ सहमत छी। जीवन बहुत पैघ छैक आ आय सँ पचास साल बाद कतेक लोक एहि परम्परा के आगु बढ़ेताह से पता नहि। पचास साल बाद किओ बरसाति मनेबो करताह की नहि से पता नहि। तें अपना लोकनि किएक एहि में फँसि अपन जीवन खराब करब। यदि अहाँ के छुट्टी नहि भेटैत अछि ते जाउ अहाँ काल्हि आफिस जाऊ। हम त’ पहिने सँ छुट्टी नेने छी काल्हि हम नहि जायब"।


हुनकर कनियाँ के हुनका ऊपर मेँ सहजे विश्वास नहि भेलन्हि। हुनका मोन में खटक’ लागलन्हि जे जरूर एहि में ई दुनु बाप-बेटाक किछु चालि अछि। हमेशा सँ सतर्क रहय लागलीह। मुदा अतुल्य-प्रकाश उर्फ बब्लू आब पूर्ण तरहें सहज भ' गेल छलाह्। आ नहि जानि किएक हुनकर सहजता हुनकर कनियाँक मोन में शंका नहि मुदा एक शाँति प्रदान करैत छलन्हि।


बब्लू आय़ जल्दी सुति गेलाह। मुदा सब किछु सामान्य भेलाक बादो हुनकर कनियाँक मोन उद्विग्न भेल छलन्हि। बेर-बेर हुनका मोन में बब्लूक बाबूजीक बात कौंध जायत छलन्हि, जे बरसाति नव दाम्पत्य जीवन कें खुशहाल करबाक एकटा पूजा थीक। लोक एक जीवन में एक्के बेर ई पूजा करैत अछि जाहि सँ हुनकर जीवन खुशीपूर्वक बीतय। ई बात एक पढ़ल लिखल लोक बेसी बुझि सकैत छैक. दोसर तरफ हुनका इहो मोन पड़ैत छलन्हि जे काल्हि प्रोजेक्टक डेलिवरी थीक। भोरे-भोर उठि के ऑफिस जेनाय अछि। बहुत काज निपटेनाय अछि। आ अमेरिका में भोर होमय सँ पहिने ओकरा डेलिवरी क' देबाक छन्हि। ओकर बाद हुनकर प्रोमोशन, अमेरिका जेबाक अवसर कत्तेक चीज भेटतन्हि। हुनकर दुनिएँ बदलि जायत।


आय बरसाति छल। बब्लू अखन धरि सुतल छलाह। आय ओ छुट्टी लेने छलाह। मुदा हुनकर कनियाँ भोरे उठि तैयार होमय लागलन्हि। हुनकर नौकरीक आय सबसँ महत्वपूर्ण दिन छल। हुनका आय ई साबित करबाक अवसर छलन्हि जे लड़का आ लड़की में कोनो अन्तर नहि बल्कि ओ लड़का सब सँ एक डेग आगुए छथि. ओ भोरे-भोर तैयारी करैत छलीह मुदा काल्हि बब्लू'क बाबूजी सँ फोन पर भेल बात हुनका कखनो-कखनो डरा जाइत छलन्हि, "जीवन, परिवार, खुशहाली, बरसाति इत्यादि-इत्यादि"। मुदा प्रत्येक आवेग पर अपना आप के सम्हारैत, ओ अपने आप सँ साबित करै लेल चाहैत छलीह जे ओ स्त्री थीकीह मुदा कमजोर नहि। स्त्री'क सबसँ पैघ दोस्त स्त्री आ सबसँ पैघ प्रतिद्वन्दी स्त्रीए. ई शब्द हुनका अपना लक्ष्य सँ नहि डगमगा सकैत छलन्हि। जखन ऑफिस जेबाक लेल ओ तैयार भ' गेलीह तखनो बब्लू निश्चिंत भ' सुतल छलाह, जेना किछो नहि भेल छल। मुदा कनियाँक आवाज जखन कान में गेलन्हि "चाय पी लो" त’ धरफड़ा के उठलाह।


दुनू लोकनि एके टेबुल पर बैसल छलाह मुदा बात किछु नहि भेलन्हि। बब्लू एहि दुआरे किछ नहि बजलाह जे हुनका एखनो नींद लागल छलन्हि आ हुनकर कनियाँ एहि दुआरे किछु नहि बजलीह जे हुनका एत्तेक बात कहैक छलन्हि जे फुराइते नहि छलन्हि जे कोन बात करब। खैर घड़ी में आठ बाजि चुकल छल। आ हुनकर कनियाँ बरसातिक दिन में अपने पति के बाय-बाय कहि ऑफिस जा चुकल छलीह। बाहर सँ ऑफिसक काजक तर बैसल आ भीतर सँ बरसातिक बोझ तर दबल। आ ताहु में हुनकर ससुरक गप्प "जीवन, परिवार, खुशहाली, बरसाति" बेर-बेर आबि हुनकर तंद्रा के भँग क' दैत छलन्हि।


जहिना हुनकर कनियाँ ऑफिस लेल गेल्थीन्ह बब्लू फेर स’ बिछाउन में पसरि गेलाह, एहि बात सँ निफिकिर जे सूर्यक रौशनी घर में दूधिया मरकरी कें हराबैक लेल ताल ठोकि रहल छल। बाथरूम'क नल सँ प्रत्येक दस सेकेन्ड पर चुबय बला पानि-बुनक टप-टप'क आवाजो हुनका विचलित नहि करैत छलनहि। आ बाहर तरकारी बेचय वाला वाला आ कबाड़ीवाला'क आवाज सेहो। हुनकर नींद तखने टुटलन्हि जखन घरक काल-बेल बजल।

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एहि कथा’क बाँकी हिस्सा हमर पोथी "भोथर पेन्सिल सँ लिखल" मे देल गेल अछि. पोथी’क बारे मे विशेष जानकारी आ कीनबाक लेल प्रक्रिया निम्न लिन्क मे देल गेल अछि. http://www.bhothar-pencil.co.cc/ .
मैथिली भाषा’क उत्थान मे योगदान करु. पोथी कीनि साहित्य केँ आगू बढ़ाऊ.

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6 comments:

Kumar Padmanabh said...

यह कहानी मैथिली भाषा मे लिखा है. इसको समझने के लिए मैथिली भाषा का knowledge आवश्यक है और पढ़ने के लिए धैर्य. पिछला टिप्पणी अशोभनीय था इसीलिए डिलिट कर रहा हूँ.

कृपया मैथिली भाषा सीखने के लिए मुझसे सम्पर्क करें.

कुन्दन कुमार मल्लिक said...

अपनेक एहन उत्कृष्ट रचनाकार केँ रचना पर टिप्पणी करय के धृष्टता कय रहल छी।

"देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है, जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती!"
- (निदा फ़ाजली)
एहि कहानी में जे अहाँ दाम्पत्य जीवन'क उकताहट के वर्णन कयने छी ओकरा युरोप में "कॉनजुगल बोरडम" कहल जायत छैक। जे आकर्षण विवाह सs पहिने एक दोसर के प्रति आबैत अछि ओ कतेक बेर पहिरल वस्त्र के जेकाँ बाद में मद्धिम परि जायत छैक। अहिँ'क शब्द में "बब्लू केँ जे बात अपन कनियाँ'क विवाह सँ पहिने बढियाँ लागैत छलैक ओएह बात आब खराब लागैत छलैक"।

कहानी के दोसर भाग में 'संस्कार', 'परम्परा' आ तथाकथित 'आधुनिकता' के एक-दोसर पर अपन वर्चस्व प्रमाणित करय के लेल छिडल संघर्ष आ ओकर बीच में फँसल बबलू'क छटपटाहट बहुत किछु मोन पाडि गेल।
मुदा एकर अंत किछु सांत्वना देलक आ एकटा आशा'क किरण देखौलक।

एकटा बात आओर जे एहि कहानी में 'प्रुफ रीडींग'क' किछु कमी लागल।

पद्मनाभजी, अपन कलम पर किछु नियंत्रण राखू, ओकरा एतेक नहिं भटकय दिऔक। कहानी'क अंतिम पैरा में तs अहाँ 'बब्लू(बबलू)' केँ 'अमोल' बना देलियैक।

अपनेक-
कुन्दन कुमार मल्लिक,
बंगलोर (भारत)
मो.- +91-97401 66527

Kumar Padmanabh said...

ध्यान दियेबाक लेल धन्यवाद. हम कहानी एक सीटीँग मे लिखैत छी. प्रूफ रीडिँग के समय नहि अछि. एकर जखन प्रिन्ट वर्जन आयत तखने प्रूफ रीडिंग करब.

भाषा'क बहुत गलती अछि से बात मानि रहल छी. हमर उपन्यास समान्तर रुप मे चलबाक कारणे उपन्यास'क पात्र'क अदला बदली एहि कहानी'क पात्र सँ भ' गेल.

आब ओकरा दुरुस्त क' देलहुँ

Rajeev Ranjan Lal said...

बब्लू के अतुल्य प्रकाश आ अतुल्य प्रकाश के बब्लू बनैत देख नीक लागल। बुझायल जेना पात्र में हमहुँ कतओ ना कतओ छी आ हमर भविष्य के हम एहि कहानी में जीवंत देखि रहल छी। बहुत बढ़ियाँ।

कहानी जखन आधा खतम भेल छल तखन अहाँ पर मोन बहुत कुपित भेल छल जे अहाँ मैथिल कनियाँ के बखान एना क' अति करि रहल छी। लेकिन कहानी के अंत हमर सभटा शंका के अंत कयलक। बहुत नीक।

किछु लाइन जे हमरा खास बुझायल ओ छल:
हुनका आगु में शायद कम्प्यूटर इन्जीनीयरिंग के डिग्री शायद अंग्रेजीक सामना में मुरझा जायत छल।



आ हुनकर कनियाँ बरसातिक दिन में अपने पति के बाय-बाय कहि ऑफिस जा चुकल छलीह।

कहानी बहुत भावपूर्ण छल आ एहि में हमरा बुझायल नहि जे कोना हम वास्तविक जिंदगी से कहानी के प्लॉट तक पहुँच गेल रही आ ओतहि घटना के घटैत देखैत रही। कहानी के जीवंतता के कारण कहानी खतम भेला पर अचानके बोध होयत छैक जे ई वास्तविक घटना नहि कहानी छल। नीक प्रस्तुति सरकार। एहिना जे भेटैत रहय त' महो महो भ' जेतैक। अहाँ से बहुत रास अपेक्षा आ ओकरा बरकरार राखनाय अहाँ के दयित्व अछि।

@कुन्दन जी: अहाँ के बड्ड धन्यवाद जे प्रूफ के त्रुटि के प्रकाश में आनलौं। ई एकदम सत्य अछि जे सही वर्तनी के अभाव कहानी के स्वाभाविक प्रवाह के बाधित करैत छैक आ अहाँ वा अनेको एकर भुक्तभोगी बनलौं। किछु प्रायोगिक परेशानी हमरा सभ के भ' रहल अछि अखन जाहि में निम्न प्रमुख अछि:
1. एहि मंच के लेखकगण प्रमुखतया साहित्यिक पृष्ठभूमि के नहि भ' के शौकिया लेखक छथिन्ह।
2. समयाभाव के कारण ब्लोग लेखन के कमी, एहि में स्वाभाविक जे प्रूफ रीडिंग के लेल समय कम भ' जायत अछि।
3. मैथिली अखनो तक मानक वर्तनी के लेल संघर्ष क' रहल अछि आ मात्रा के प्रयोग बेसी काल अपन अंतर्मन से आयल सुझाव होयत अछि। एहि में हमर अखन कहब रहत जे हम कतओ से एकर तुलना हिन्दी के मानक मानि के नहि करी आ अलग-अलग प्रयोग के सेहो उदाहरण के तौर पर स्वागत करी। किछु समय बाद अपनहि मात्रा आ वर्तनी के मानक उभरि के सामने आबि जायत आ ओ हम सभ के मान्य हेतैक।

यथासंभव मात्रा के अशुद्धि दूर क' देल गेल अछि अपितु "बब्लू" के "बबलू" प्रयोग से हम सहमत नहि भ' सकलौं आ ओ मैथिली उच्चारण आ लेखक के चुनाव पर निर्भर अछि। एहिना सलाह दैत रहु आ हमरा सभ के अपन स्तर के ऊपर करय में मदत करु। आ हाँ, अहुँ बहुत दिन स' किछु नव ल' के नहि आयल छी। से ध्यान दिला रहल छी। :)

सादर,
राजीव रंजन लाल

Kumar Padmanabh said...

एक बेर जल्दीबाजी मे फ्रूफ रीडीँग केलहुँ. बेसिक गलती केँ दूर केलहुँ. मुदा एक बेर प्रूफ रीडीँग फेर करय पड़त.

Anonymous said...

Sir,

kahani ta roiyan thadh karai wala chhal,muda sikayat karait chhi je hamra sab ke kichhu chans kona bhet taik ahi me bhag laike. Sirf devnagri verson ke abhav me hum ahan sab se sab din dure rahbai ki.

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