छुतहरबा (एक कहानी) .....पद्मनाभ मिश्र

छिटही नामक एकटा पैघ गाम. गाम मे बहुत-बहुत पढ़ल लिखल लोक. पाँच टा आइ.ए.एस, सात टा इन्जीनियर आ दर्जनो सरकरी नौकरी करए वाला लोक. मुदा एत्तेक एत्तेक बड़का हाकिम लोक सब रहितहुँ भादव महीना मे बाढ़ि केँ रोकए वाला केओ नहिँ. आ बाढ़ि एहेन जे नुकसान केवल गरीबे लोक टा केँ करैत. गाम धनिक-हाकिम लोकनि ते गामे मे दू मँजिला मकान बनौने छलैथि मुदा गरीब’क सुने वाला केओ नहि. प्रत्येक साल बाढ़ि आबए आ गरीब लोकनिक फुसि’क घर केँ उजारि के चलि जाए. फेर सरकार’क दिस सँ पाँच सय टाका भेटए. ओहो पाँच सय टाका केवल कागजे पर. गामक मुखिया पचास टाका सरपँच तीस टाका असूलैत रहैथि. पिछला साल सँ मुखिया’क बेटा ओहि मे सँ पचीस टाका माँगनाई शुरु कऽ देने छल. गाम’क लोक केँ धमकी देने छल जे पचीस टाका नहि देला पर बी.डी.ओ साहेब केँ कहि मुआबजा रोकबा दैत. बचि खुचि के चारि सय टाका सभ’क हाथ मे आबए.

दुनियाँ सबसँ पैघ अभिशाप गरीबी होइत छैक आ एकर सबसँ पैघ उदाहरण नौगछिया वाली छलीह. भगवानो केवल धनिके लोकऽक सँग दैत छथि. खासतौर पर विपत्ति मे तऽ जुनि पुछू. सात साल पहिने नौगछिया वाली’क विवाह धनेसर’क सँग भेल छल. विवाह’क समय मे तीन बीघा खेत छलन्हि. पुरे दिन समाँग तोड़लाक बाद साल भर’क खर्चा निकलि जाइत छलन्हि. मुदा पिछला किछु साल सँ तऽ बाढ़ि एहेन तबाही मचौने छल जे नहि पुछु. दू बीघा खेत मे बालु भरि देने छल. पिछला तीन साल सँ कोनो खेती नहि भेल छल ओहि खेत मे. एक बीघा मे खर्चा की चलत कर्जा तऽर मे धनेसर दबल छलाह.

बात एतबी रहितेक तऽ कोनो बात नहि. दू साल पहिलुका बाढ़ि मे जे नौगछिया वाली आ धनेसर सँग भेल एहेन अन्याय भगवान किनको सँग नहि करथु. दू दू टा बेटा छलन्हि. एकटा तीन साल’क आ दोसर एक साल’क. बाढ़ि’क बाद मे पूरे गाम मे हैजा पसरल छल. ओहि हैजा मे गाम’क लगभग एक दर्जन लोक एहि दुनियाँ सँ चलि गेल. बाँकी लोकनि ते बूढ़ छलैथि मुदा धनेसर’क दुनू बेटा एखन दुनियाँ’क कोनो मतलबे नहि बुझि पेलक कि भगवान ओहि दुनू टा के एक्के दिन उठा केँ लऽ गेलाह.

प्रसव पीड़ा पूत्र’क वियोग सँ कमजोर पड़ैत छैक. धनेसर दुनू प्राणी इएह कहैत छलाह जँ भगवान केँ हमरा पूत्रहीन करबाक छलन्हि ते जन्मे किएक देल्थिन्ह. बाँझ रहला पर पुत्र वियोग नहि होइत छैक. अखबार मे, रेडियो मे आ टेलिविजन मे अनेक नेता अपन अपन पक्ष दैत छलथिन्ह. किओ भारत सरकार केँ ते किओ स्थानीय प्रशासन केँ जिम्मेदार ठहराबैत छलैथि. मुदा धनेसर आ नौगछिया वाली लेल असली जिम्मेदार ते केवल भगवाने छलाह. हुनका कखनो ई मोन नहि होइत छलन्हि जे यदि सरकार बाढ़ि रोकबाक भरिसक प्रयाक केने रहितैक तऽ हुनका आई ई दिन नहि देखऽ पड़ितन्हि. हुनका लेल तऽ बाढ़ि एक विभीषिका थीक जकरा उपर मे पूर्ण कन्ट्रोल केवल भगवाने टा के छन्हि. कतेक नेता एहि गाम’क दौरा केने होयत मुदा एहि दुनू प्राणी लेल ओकर कोनो मतलब नहि छलन्हि.

समय प्रत्येक घाव’क मलहम होइत छैक. से धनेसर दुनू प्राणी पर सेहो लागू भेल. धीरी धीरे पुत्र वियोग सँ छुट्टी भेटलन्हि. अपन दिनचर्या मे लागि गेलाह. फेर ओएह खेत ओएह कोदारि ओएह बरद ओएह गाछी ओएह जलखई. जतेक समय बीतय दुनू प्राणी अपन सामान्य रुप मे नहुएँ नहुँह आबए लागलैथि. भगवानो बाट ताकैत छलथिन्ह. दु:खऽक समय मे कोनो सहायता नहि देल्थिन्ह. भगवान शायद इएह नियम बनौने छथि. दुःखऽक समय मे यदि खुशखबरी दऽ देथिन्ह तऽ दुऽख’क मोल कम भऽ जेतैक.

सामन्य भेला पर नौगछिया वाली फेर सँ गर्भवती भेलीह. धनेसर आ नौगछिया वाली फेर सँ एक हजार सपना देखऽ लागल्थिन्ह. मुदा हुनकर सपना मे एहि बेर एकटा खोट छल. मोन शँकित छलन्हि. एक एक डेग फुकि फुकि के आगू बढ़बैत छलैथि. समय बीतल आ दुनू प्राणी केँ फेर सँ पुत्र रत्न’क प्राप्ति भेलन्हि. मानू खुशी’क फेर सँ कोनो ठिकाना नहि.

मुदा पूत्र रत्न’क प्राप्ति बादे सगा सम्बन्धी अलग अलग तरह’क सलाह देबऽ लागलन्हि. किओ कहन्हि जे पिछला बेर कँजूसी के कारण शीतला मैया केँ कुमारि नहि खुऔला’क कारणे दुनू बच्चा’क नुकसान भऽ गेलन्हि. ते किओ कहन्हि जे भगवान’क पूजा सही समय पर नहि केलथिन्ह. जतेक तरह’क मुँह ओतेक तरहक सलाह. शायद गरीब लोकनि के हैजा कोनो बीमारीए नहि बुझा पड़ैत छलन्हि. असल मे प्रत्येक आदमी’क सोच अपन सीमा मे रहैत छैक. बाढि’क बाद’क हैजा के उपर मे केवल धनिक आ हाकिम लोकनिक कन्ट्रोल रहैत छैक. गरीबऽक लेल ओ सीमा सँ बाहर’क वस्तु छल. तेँ बाढ़ि सँ पसरल हैजा केँ किओ दोष नहि दैत छल्थिन्ह. जकर किओ नहि ओकर भगवाने टा होइत छैक. गरीब’क लेल तेँ भगवाने सब किछु. पुत्र रत्न भेटलन्हि तऽ भगवान’क कृपा सँ. पुत्र छीनि लेल्कन्हि ते भगवाने के प्रकोप सँ. किओ कहन्हि जे डाइन’क आँखि लागि गेलन्हि ते किओ कहन्हि जे भूत प्रेत’क असर थीक.

मुदा एहि बेर धनेसर दुनू प्राणी कोनो तरहक रिस्क नहि लेबऽ चाहैत छलाह. तेँ जतेक तरह’क सलाह भेटन्हि ओतेक तरह’क प्रयास करैथि. बच्चा सेहो दिन दुना आ राति चौगूना बढए लागलन्हि. एतेक कम उमर मे एत्तेक सुन्दर सुन्दर केश, बहुत चाकर माथ, सुग्गा सनक ठोर, ठाढ़ नाक, सब किओ कहन्हि जे पूर्व जन्म मे ई बच्चा कोनो राजकुमार छलाह. बच्चा’क प्रत्येक प्रशँशा पर नौगछिया वाली दुनू प्राणी आशँकित भऽ जैथि. मुदा नौगछिया वाली केँ सेहो होइत छलन्हि जे ई बच्चा कोनो राजकुमार सँ कम नहि. बेसी प्रशँसा केला पर धनेसर हुनका डाँटि दैथि जे सबसँ पहिने बच्चा पर अपन माए के आँखि लागैत छैक. नौगछिया वाली सेहो आशँका मे अपना आप केँ कन्ट्रोल कऽ लैथि.

पाँचे महीना मे ई बच्चा गुड़कि गुड़कि चलए लागल. बच्चा जतेक नम्हर होमय ओतेक सुन्दर भेल जाए. पाँचे महीना मे बच्चा बाजबाक हर सम्भव प्रयास करए लागल. बचपन मे ओकर गतिविधि देखि लागैत छल जे आगु चलि के ओ बहुत मेधावी होयत. लोक ओहि बच्चा’क जतेक प्रशँशा करय नौगछिया वाली ओतेक प्रफुल्लित भऽ जाथि. बात एतबे नहि, हुनका मोन तरह तरह के सपना अँकुरित होमय लागए. नौगछिया वाली कखनो सपना देखैथि जे हुनकर बौआ पैघ भऽ डाक्टर इन्जीनियर वकील, जज, कमीशनर एक सँग सब पदवी धारण केने छथि. बच्चा केँ देखि केँ मोन होइत छलन्हि जे एकर मुँहे बता रहल अछि जे ई कोनो पैघ हाकिम होयत. ओना ते प्रत्येक बच्चा अपन माएक लेल पैघ सँ पैघ हाकिम होइत अछि, प्रत्येक माए-बाप अपन बेटा केँ डाक्टर इन्जीनियर बनबे चाहैत छथि, मुदा गाम’क प्रत्येक लोकनि इएह कहन्हि जे ई बच्चा देखबा मे अदभूत अछि आ एकर गतिविधि एकर मेधा केँ देखाबैत अछि. धनेसर आ नौगछिया वाली लगभग आब बिसरि गेल छलथि जे किछु समय पहिने हुनका पूत्र हानि भेल छलन्हि. ओहो एक नहि दू-दू टा एक्के सँगे. मानव जाति’क इएह विशेषता. एक दू:ख केँ दोसर सूख खतम कऽ दैत छैक. आ जिन्दगी चलैत रहैत छैक.

धनेसर प्रतिपल आशँकित छलाह. मुदा कोनो तरहक विपरीत परिस्थिति सँ लड़बाक लेल पूर्ण तैयार. समय बीतय लागल आ बच्चा नम्हर होमय लागल. धनेसर’क घर मे छओ महीना पूरला पर बच्चा’क नामकरण सँसकार होइत छल. एहि बात’क चर्चा धनेसर बहुत गोटा लग केने छल. ओहि मे किछु लोकनि हुनका सलाह देलकन्हि जे पिछला बेर बच्चा’क नामकरण सँस्कार मे कोनो विधि विधान नहि कायल गेल ताहि लेल भगवती नाराज भऽ गेलीह आ दू-दू टा बच्चा’क नुकसान भऽ गेलन्हि. एहि बेर धनेसर दुनू प्राणी केँ पूरे विध विधान सँ नामकरण सँस्कार करबाक चाही. पुरोहित केँ बजाए पहिने सत्यनारायाण भगवानक पूजा आ ओकर बात अगिला दिन धूम-धाम सँ नामकरण सँस्कार आ साँझ के भोज.

धनेसर ककरो नाराज करय नहि चाहैत छलाह. सब लोकनिक बात मानि गेलाह. मोन भेलन्हि जे जखन एतेक खर्चा हेबे करत ते बड़की मौसी केँ बजा ली. बेचारी बुढ़ भऽ गेलीह अछि. बुढ़’क आशीर्वाद लेबाक चाही. नहि जानि कोन तरह’क आशीर्वाद ककरा कोन तरह सँ लागि जायत आ कोन काल केँ हरि लेत. ई प्रस्ताव अपन पत्नी नौगछिया वाली लग राखल गेल. नौगछिया वाली से एहि प्रस्ताव केँ सहर्ष स्वीकार कऽ लेलीह.

उम्हर टोल’क एक आदमी के भेजल गेल जे धनेसर’क मौसी केँ आनल जाए. इम्हर गाम मे धनेसर तन-मन-धन सँ लागि गेल जे नामकरण सँस्कार बढ़ियाँ सँ होयबाक चाही. मुदा टोल’क लोक पुछलकन्हि जे भोज भात ते हेबे करत मुदा एखन धरि बच्चा’क की नाम राखल जायत से सोचने छी की नहि? धनेसर एखन धरि कोनो नाम नहि सोचने छलाह. मोन मे एक हजार नाम आबैत छलन्हि मुदा असल नाम की होमय से एखन धरि तय नहि केने छलथि. टोल’क दोसर लोक जखन टोकलकन्हि ते मोन पड़लन्हि जे नौगछिया वाली केँ पुछि नाम पहिने सँ तय कऽ ली. अपन पुरोहित सँ पुछलथिन्ह, जवाब भेटलन्हि जे नाम जे राखू मूदा ओ नाम नामकरण सँस्कार भेला’क बादे सँ कहल जेतैक. पत्नी सँ जँ पुछल्थिन्ह ते पत्नी से एक दर्जन नाम गिना देलकन्हि. मुदा आई दुनू प्राणी एक नाम पर सहमति दऽ देलखिन्ह जे बच्चा’क नाम प्रदीप-चन्द्र होएबाक चाही. प्रदीप चन्द्र तऽ धनेसर केँ से बढ़ियाँ लागलैन्ह मुदा बुझि नहि सकलाह जे एतेक सुन्दर नाम हुनका फुड़लन्हि. नौगछिया वाली कहलकन्हि जे एकर अर्थ होइत छैक चन्द्रमा सनक एहेन दीप जे सँसार मे रौशनी पसारि दैथि. नौगछिया वाली लग एतेक दिमाग नहि छलन्हि कि एतेक सुन्दर नाम ओ अपना सँ राखि सकैत छलीह. ओ त गाम’क स्कूल’क मास्टर साहेब छलन्हि जे ई नामो फुरा देलकन्हि आ ओकर मतलब से बता देलकन्हि.

कोनो बच्चा’क नाम रखबा मे माँ-बाप अपन पूरा ऊर्जा लगा दैत छथि. बच्चा’क नाम केवल नामे टा नहि ओ बहुत किछु होइत छैक. नाम रखबा मे पारिवारिक सँस्कार, माता-पिता’क मेधा, आ माता पिता’क दूरदर्शिता सब किछु निहित रहैत छैक. तेँ, साबिक मे बहुत लोकनि अपन बच्चा’क नाम दरोगा, ओकील, मुख्तार केवल एहि लेल राखैत छलैथि किएक ते हुनकर सपना छलन्हि ओकील मुख्तार बनबाक आ ओ अपन जीवन मे ई सब किछु नहि बनि सकलैथि. आब अपन बच्चा’क नाम राखि अपन अपूर्ण इच्छा के पूर्ण कऽ लैत छथि. सचमुच बच्चा’क नाम केवल नामे टा नहि माए बाप’क अपूर्ण इच्छा केँ द्योतक होइत छैक. प्रदीप- चन्द्र धनेसर आ नौगछिया वाली’क एहेन बेटा जे चन्द्रमा जेकाँ मेघ एतेक ऊँच उठि पूरे दुनियाँ मे रौशान करत.

लिअ आब नामकरण सँस्कार’क दिन से लऽग आबि गेल. काल्हि नामकरण होयत. दोसर गाम सँ धनेसर’क मौसी से आब आबि छलथि. टोल’क लोक से बाट ताकि रहल छथि जे काल्हि साँझ के भेज होयत. धनेसर तैयारी मे व्यस्त छलाह. नौगछिया वाली प्रयास करैत छलीह जे बच्चा हरदम हुनकर निगरानी मे रहए. मौसी से चेता देने रहथि जे स्त्रीगण लोकनि सँ बच्चा नुका केँ राखब, नहि जानि ककर नजर केहेन खराप हो. बच्चा केँ ललाट पर आ आँखि मे काजर हरदम लागल हो से मौसी’क विशेष सुझाव.

देखैत देखैत साँझ भऽ गेल. नौगछिया वाली, धनेसर आ हुनकर मौसी खाना खा केँ बौसल छलैथि. मौसी पुछए लागलथिन्ह जे पिछला दुनू बच्चा’क नुकसान कोना भेल छल. धनेसर सब किछु बताबैत छलाह.

ओहि पर मौसी पुछलथिन्ह, “से सब तऽ जे भेल से भगवान’क मर्जी सँ आब ई बौआ’क की नाम राखि रहल छी?”

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एहि कथा’क बाँकी हिस्सा हमर पोथी "भोथर पेन्सिल सँ लिखल" मे देल गेल अछि. पोथी’क बारे मे विशेष जानकारी आ कीनबाक लेल प्रक्रिया निम्न लिन्क मे देल गेल अछि. http://www.bhothar-pencil.co.cc/ .
मैथिली भाषा’क उत्थान मे योगदान करु. पोथी कीनि साहित्य केँ आगू बढ़ाऊ.

6 comments:

कुन्दन कुमार मल्लिक said...

बिना कहने बहुत किछु कहि गेलहुँ। पढि केँ मोन द्रवित भs गेल। जेना हम पहिने कहने रहि जे केखनो काल के हमरा लागैत अछि जे अहाँ अभियांत्रीकि क्षेत्र सँ नहिं मुदा एकटा कुशल मनोविज्ञान विश्लेषक छी। अहाँ'क प्रत्येक रचना मानवीय सम्बन्ध आ सामाजिक परिप्रेक्ष्य में रहैत अछि।
हार्दिक शुभकामना!

Kumar Padmanabh said...

कुन्दन जी;

कोनो भाजेँ हम आई सफल भेलहुँ लोगिन करबाक लेल. नहि ते आफिस मे कतेक रास बात के खोलि नहि पाबैत छी.

अत्साहवर्धन'क लेल धन्यवाद. हमरा बुझल अछि जे हमर प्रत्येक लेख मे भाषायिक गलती रहैत छैक. समयाभाव के कारणे हम साहित्य सृजन के एहि तरह'क गलती सँ बेसी प्राथमिकता दैत छी. गलतीये सही साहित्य सृजन होएबाक चाही.

जी जेना हम पहिन्हुँ कहि चुकल छी जे पेशा सँ हम इन्जीनियर छी मुदा हमरो शरीर मे एकटा हृदय अछि. आ इन्जीनियर'क पेशा सँ दूर सामान्य लोक'क तरह हमरो मोन मे भावना उत्पन्न होइत अछि. ओएह भावना केँ की-बोर्ड के थ्रू हम ब्लोग पर उतारि देबऽ चाहैत छी.

मानवीय सम्बन्ध पर हम आगुओ लिखैत रहब. अपने लोकनिक सयहोग चाही. धन्यवाद.

डा. पद्मनाभ मिश्र

Kumar Padmanabh said...

करण जी'क लेल;
केशव करण जी अपनेक टिप्पणी हम अपन हिन्दी वाला ब्लोग मे देखलहुँ. एतय आफिस मे कोनो जुगाड़ कऽ लोगिन करैत छी आ अपनेक टिप्पणी केँ मोडेरेट नहि कऽ पाबि रहल छी. हम घर सिफ्ट कऽ क्रहल छी आ घर'क इन्टरनेट से कटि गेल अछि. कृपया अन्यथा नहि लेब.

करण समस्तीपुरी said...

पद्मनाभ जी,
बड नीक ! सामाजिक कुरीति पर कुठाराघात करैत एकटा परिपक्व लेखक'क रचना प्रतीत भेल ! संगे संग राजनितिक आ प्रशासनिक कुव्यवस्था'क उजागर करवा'क व्यंग्मय प्रयास सेहो सराहनीये अछि ! मुदा सब से प्रशंस्नीये थिक साहित्य-निर्माण'क प्रति अपने'क सकारात्मक आ समर्पित अभिवृत्ति ! उम्मीद अछि जे भविष्यो में सामाजिक सरोकार सों सम्बद्ध एहने रचना अपने'क लेखनी सों बहरायेत रहत !
कोटि कोटि धन्यवाद !!

आशीष अनचिन्हार said...

apnek "katek ras bat" neek lagal dhanybad.

mukund maithil said...

wah bahut nik.Ahina likhit rab
(mukund maithil)

अंतिम फेसबुक अपडेट

लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...