भोरे भोर मिथिला मे ...खट्टर काका

हमर (यानी खट्टर काका'क) आँखिक देखल हाल

एखन भीन्सरबा बीति चुकल अछि. भोर भ' गेल अछि. सूर्य महारज'क आगमन मे कनिए काल बचल अछि. आकाश मे लालिमा पसरल अछि. घड़ी मे भोर'क साढ़े पाँच बजि रहल अछि. ओना त दसहरा'क दूओ दिन नहि बीतल अछि मुदा लागि रहल अछि जे बहुत दिन भ' गेल. हम एखने शौचादि सँ निवृत भ' दँतमनि मुँह मे नेने दलान पर घुमि रहल छी. दलान'क एक भाग मे नारियर'क पाँच टा गाछ भोर'क बयार मे अपन पात सँ एक विशेष ध्वनि (सँगीते बुझू) उत्पन्न क' रहल अछि. नारियर'क बगल मे अनरनेबाक गाछ मे एकटा पीयर अनरनेबा पर एकटा कौआ बहुत देर सँ ल'क लगौने अछि. हमरा मुँह मे दँतमनि देखि ओकरा भ' रहल छैक जे हम ओकरा ओहि सँ मारि देबैक जँ ओ अपन लोल कँ अनरनेबा मे भोँकत. हम अपन ध्यान अनरनेबा सँ हँटा देलहुँ. एतबा मे कौआ ओहि मे छेद क' देने छल. अनरनेबा केँ क्षति पहुँचेबाक बादो हम कौआ केँ ओहि स्थिति मे छोडि दलान'क दोसर कात जा चुकल छलहुँ. दोसर कात कचनार'क बहुत पैघ गाछ छल. लाल लाल फूल सँ अच्छादित पूरा गाछ लाल भ' गेल छल. एकोटा पात'क दर्शन नहि. कचनार'क गाछ'क नीचा मे एकटा बुढही अपन पोता केँ गाछ पर चढा केँ नीचा मे फूल बीछैत छलीह. आँजूरि भरि फूल बीछला'क बाद अपन पोता केँ नीचा मे उतरबाक लेल कहैत छलीह. मुदा हुनकर पोता केँ गाछ पर उकठपन करबा मे बहुत नीक लागैत छलन्हि. बुढही'क जोर सँ चीकरब सुनि कनि उपरे सँ धरती पर कुदि ओ बच्चा कुदि गेल. गाछ'क डारि हिलला सँ सगरे शीत छीटकि गेल. किछ-मिछ हमरो उपर पडल. एहेन लागल जेना किओ भोरे भोर गँगाजल'क अछिन्जल छीटि देने हो. मोन पवित्र भ' गेल. मुदा एखनो हमर मुह मे दतमनि छले. बुढही'क प्रस्थान केला'क बाद हठाते मोन मे आयल जे आब कुरुर क' लेना चाही.

आब हम कुरुर क' नेने छलहुँ. आँगन सँ चाय एबाक बाट ताकैत छलहुँ. घडी देखला पर पता चलल छओ बजबा मे पाँच मिनट बाँचले छल. मुदा सूर्य महारज'क आगमन भ' गेल छल. आकाश लाल सँ उज्जर भ' गेल छल. ओ कौआ जे अनरनेबा मे लोल भोँकने छल आ समूचा अनरनेबा केँ दलान एक कात मे आनि ओकरा खा रहल छल. एहि काज करबा मे ओकरा ओकर तीनि-चारि टा सँगी पूर्ण सहयोग द' रहल छल. हमर ध्यान दोसर दिस गेल. दलान'क मठौत मे एकटा बगडा खोता लगौने छल. ओकर परिवार'क सबटा सदस्य आ ओकर किछु आन ठाम रहय वाला दोस्त महीम दलान'क दोसर कात खेलाइत छल. ओहि बगड़ा मे सबसँ बुजूर्ग बाहर सँ धान' चुगि केँ अपन खोता मे अपन धिया-पूता केँ खुआबैत छल. सब अपना मे व्यस्त छल आ हम सब केँ निहारबा मे व्यस्त छलहुँ.

हठाते हमर ध्यान दलान सँ दूर चलि गेल. धान'क खेत लहलहा रहल छल. हरियर कन्चन धान'क गाछ सगरे पसरल छल. पूरा वातावरण हरियर भ' गेल छल. शस्य श्यामला सुजला सुफला धरती अपन खिस्सा अपने मुह सँ सुनबैत छल. नहुएँ नहुएँ शीत सब सुखा रहल छल. दूर सँ कोनो गृहस्थ अपन हरबाह केँ चीकरैत छल. दलानक तेसर कात मे एकेटा कुकुर'क जे चारि पाँच टा बच्चा कुदि फानि रहल छल हुनकर चीकरब सुनि गम्भीर भ' गेल. मुदा किछुए काल मे अपन क्रीडा फेर सँ शुरु क' देलक. ओकर माए जमीन पर सुतल अपन मुँह सँ बारी बारी सँ एक दोसर केँ काटि काटि केँ खेलाबैत छल. कहनो कोनो बचा ओकरा देह पर फानि जाए आ कखनो ओ अपन भाए बहीन'क देह पर. बेसी तँग केला पर ओकर माए तमसा केँ जोर सँ काटि लैत छल आ ओकर बच्चा अनुशासन'क सीखि लैत अपन माए केँ आश्वासन दैत छल जे आब ओ ओना नहि करत.

घडी देखला पर पता चलल आब छओ बजि केँ पन्द्रह मिनट भ' गेल छल. आङन सँ चाय आबि गेल छल. सब अपन काज मे व्यस्त छल, मुदा नहि जानि किएक हमरा यात्री जी'क कविता मोन पडय लागल (पाठक अपने लोकनि बताबु से किएक ?)

अहिबातक पातिल फोड़ि-फाड़ि,
पहिलुक परिचय सब तोड़ि-ताड़ि,
पुरजन-परिजन सब छोड़ि-छाड़ि
हम जाय रहल छी आन ठाम
माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम

कर्मक फल भोगथु बूढ़ बाप
हम टा संतति, से हुनक पाप
ई जानि ह्वैन्हि जनु मनस्ताप
अनको बिसरक थिक हमर नाम

माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम !

खट्टर काका

4 comments:

manglam said...

बेस, नीक लागल अहांक प्रयास, खट्टर काका चरित्र के जे जन्म देने छलथिन, हुनका बिसरा देल उचित नहि। मैथिली सं रू-ब-रू करबाक लेल अहां धन्यवाद के पात्र छी।

Anonymous said...

हमरो नीक लागल.

अजित कुमार झा said...

प्रणाम त हम्हु क आयल छी मुदा वोह अन्तिम प्रणाम नहि छल | बहुत निक लागल पढि क |

Unknown said...

bar neek lagal.

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लेखक: आदि यायावर मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ ...