बंगलौरक होली

जखन गाम में छलहुँ तऽ दस दिन पहिने से अगजा के लेल लकड़ी इकट्ठा करै के काज शुरु भऽ जायत छल। अगजा के राति में सौंसे गाम जेना होली गाबैत दिघिया पोखड़िक कात में जमा होयत छलियेह। आ अगजा जरा के चारू कात नाचैत होली गाबय में जे जोश छल से आब एहि ठाम बंगलौर में कहाँ। होली दिनक धुरखेल आ साँझपहर में दुआरे दुआरे फगुआ आ जोगीरा गबैत पुआ आ भांगक शरबत के पैठ एहि ठाम कहाँ।

एहि बेर रवि छल आ ताहि सऽ विचार भेल जे जौं छुट्टी रहतैक तऽ कियेक नहि होली मनाबी। बड बेस। तय भेल जे होली खेलल जाय। मुदा कोना? किछु गोटा संगी बैचलर छलहुँ आ होलीक माने रंगे टा नहि छल। अगजा, जोगीरा, भाँग, पुआ, माछ-माँस सब किछ चाही छल। बंगलौर जतय की होली के छुट्टी नहि भेटैत अछि, आ एतुका बसिंदा के रंग में सराबोर भेनाय अचरज बुझाइत अछि ओतय भला होलीक लेल हमर सभ के सूची के पूरा भेनाय सपने टा छल।

तय भेल जे अगजा आ भाँग के छोड़ि देल जाय कियेक तऽ किछु संगी के ओही पर आपत्ति आ मतभेद छल। बेस, इंटरनेट पर YouTube में जोगीरा खोजल गेल आ होली दिनक लेल लिंक सहेज के राखल गेल। ओकर बाद पुआ के लेल एकटा संगी अपन माँ के फोन पर पुछि के पुआ बनाबै के रेसिपी पता केलक। हमरा खस्सी के माँस नीक नहि बुझा पड़ैत अछि से हम सभ चिकेन पर आबि के सहमत भेलौं। होलीक दिन भोरे-भोर एकटा नया जोश छल। लागैत छल जे आय जेना जेल से बाहर आबय बला छी। पुआ के लेल मैदा, बेकिंग पाउडर, केरा, दूध, किशमिश, सौंफ किना के आयल। चिकेन सेहो किनाय के आबि गेल। सोचलौं जे पहिने पुआ बना के तखन होली खेलल जाय कियेक तऽ दुनु काज तऽ हमरे सभ के करय के छै से होली खेल’ लागब तऽ पुआ के बनाओत। पुआ बनाबैत काल फेर घर फोन भेल जे केना की करनाय उचित रहतैक। बहुत रास सावधानी बुझायल गेल हमरा सभ के केना बेसी चीनी देला सऽ पुआ कड़ाही में नीचा रहि जाय छैक आ फुलै के बदला जर’ लागय छैक। तरद्दुद बाला बात हमरा सब सन पकनिहार के लेल। तहियो ठानल काज में भाँगठि नहि आबय के चाही छल तकर पूरा-पूरा ध्यान राखने छलियेक।

YouTube पर मैथिली तऽ नहि मुदा भोजपुरी जोगीरा चल’ लागल। बेस एक सऽ एक आधुनिक जोगीरा सब, मुदा ओही में ओ मजा नहि छल जे जोगीरा हम सब केकरो आँगन में जा कऽ गाम में गाबैत रही। जहि अँगना में कोनो नया पाहुन के आतिथ्य रहैक, ओही अँगना में तऽ जोगीरा में गारि के ठेकान नहि। आदमी सऽ संबंध जुड़ल रहला के कारण गारि के औचित्य सेहो बुझायत छल मुदा एतय बंगलौर में तऽ छुछे गारि बुझायत छल जेकर नांगरि ना गांड़ि। चलु चलय दिय। सएह सोचि के बजय देलियेक। इम्हर पुआ बेस छनायत छल आ सुंगध तऽ मधुआयल आमक सुगंध के पाछाँ छोड़ने छल। एहन नीक सपरितैक से सपनों में नहि छल। एवम प्रकारे साढ़े आठ बाजि गेल। आब सोचलौं जे होली शुरु कऽ देल जाय। धुत्त तोरी के...ई की, हम सभ तऽ रंग कीननाय बिसरि गेल छलहुँ। कोनो बात नहि, ई कोन बड़का बात...सौंसे बिकायत हेतैक, सोचि के निकललौं। दुकाने-दुकान भटकला पर पता चलल जे पानि में घोरि के खेलय बला रंग एतय सब जगह नहि भेटैत अछि। नीक बुड़बक बनलौं। करीब बीसो दुकान में खोज कयला उपरांत एक ठाम बहुत मंहग रंग किनलौं।

होली शुरु भेल। हम सब अपना में एक ठाम करीब सात-आठ गोटेक रहियऽ। से जबरदस्त होली भेल। गोर की आ कारी की सब एक जकाँ भऽ गेल। आब सोचलियेक जे अपना में एतेक नीक होली भऽ गेल तऽ और जे कनी नजदीकी छैथ हुनको सब सऽ पूछल जाय। पूछला के बाद हमर सब के होली बला टीम तीन-चारि टा फटफटिया लऽ के विदा भेलहुँ आ चारि टा घर में हुड़दंग करय लऽ पहुँचलौं। संगे जोगीरा, फगुआ गाओल गेल। फेर हुनका सब के संग करैत एक ठाम सऽ दोसरा ठाम जायत गेलहुँ। सौंसे खतम कऽ किछु गोटाक संग घुरि के डेरा पर पहुँचलहुँ आ हुनका सभ के पुआ खुऔलिएन। बेस तारीफ भेल हमर सभ के। फुलि के कुप्पा भऽ गेल छलहुँ। सब के विदा कऽ नहा-सुना के चिकेन बनाओल गेल। आ फेर सांझ में अबीर लऽ के बगल के परिचित सब के घर में।

गामक सभ टा याद ताजा भऽ गेल। बंगलौर एक दिनक लेल हमरा सब लेखे गाम बनि गेल छल।

3 comments:

Khattar Kaka said...

भाँग'क गप्प होमय आ हमर चर्चा नहि होमय ई ते बहुत बड़ा अनर्गल. आ ताहुपर होली सन दिन. हम लेखक केँ अपन टिपण्णी'क माध्यम सँ एकटा इन्टरप्रेन्योरशिप शुरु करबाक सलाह दैत छिअन्हि. भाँग'क जे किस्म मिथिला म भेटैत अछि ओ आओर कतहु नहि. भाँग'क इण्डस्ट्री'क लेल मिथिला मे पर्याप्त रीसोर्सेज उपलब्ध अछि. भाँग खयनिहार लोकक ते कोनो कमीएँ नाहि. आ मिथिले टा किएक मैथिल ते ब्रहमाण्ड'क हरेक कोन मे पसरल छथि. आ ओ कतहु रहताह भाँग ते खेबे करताह.
अतः मैथिल लोकनि सुनई जाइ जाउ, भाँग'क एकटा स्पेशल ब्राँड अपने लोकनि केँ तैयार करबाक चाही. आ जेना उपर वर्णन कयने छी... एहि इण्डस्ट्री'क लेल रीसोर्सेज आ बजार दूनू उपलब्ध अछि. ते दुनियाँके अपने लोकनि केँ बतेबाक चाही जे मिथिला मे मेधा'क कोनो कमी नहि भाँगक इण्डस्ट्री अपने लोकनिक बाट ताकि रहल अछि.

बालचन said...

होलीक गप्प सभ पढि हमरो ई कथा अपने जकां लगल. आब त शायद बेसि मैथिलक होली दिवालि आधा यादे होयत अछि. एहेने सन्स्मरण सभ आगो प्रेशित करैत रहब राजीव जी.

google biz kit said...

hey very tumne bhut accha likha ha yarr

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