- श्री सतीश चन्द्र झा
आदमीविचार सँ पैघ होइत छै
वैभव आ अभिमान सँ नहि
जनैत छी
विचारक फुनगी पर
कवि- श्री सतीश चन्द्र झा,
म.न. 119, क्रॉस रोड, संत नगर
बुराड़ी, दिल्ली- 110084
सम्पर्क- 9810231588
आ ओकर प्रारब्ध
कर्मक गति तकैत अछि
तत्पश्चात
आदमी, आदमी बनैत अछि।
हम अहाँक उपदेशक नहि
हम त मानधन छी
हमर औकात तऽ
एकटा चुट्टी सन अछि
जकर मालगुजारी
हम अपन शब्दक रूप मे अभिव्यक्त करैत छी।
हमर बात मानब त सुनू
अहाँ अपन मनोवृति के बदलु
एहिठाम अहाँ के सभ किछु भेटत
जकरा अहाँ प्राप्त कए सकी
मुदा भाई लोकनि
रस्ता दूटा अछि
पहिने आश्वस्त भए जाउ
जे कोन रस्ता कतए जाइत अछि।
—सतीश चंद्र झा
5 comments:
रचना नीक लागल। हमर किछु पहिनेक लिखल पंक्ति देखल जाउ-
अपने सँ देकब दोष कहिया अपन
ध्यान सँ साफ दर्पण में देखू नयन
बात बड़का केला सँ नहि बड़का बनब
करू कोशिश कि सुन्दर बनय आचरण
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
कविता बड नीक लागल।
आने वाला साल मंगलमय हो।
बहुत नीक !
चरण सँ त' गाय-गोरु सेहो चलैत अछि !
आचरण सँ चलू, तखन ने मनुक्ख !!
सत्य वचन ! सरल शिल्प !!
करण समस्तीपूरी जी सँ पूर्णतया सहमत. वैह लाइन हमहुँ लिख’ चाहैत छलहुँ. साहित्य धन मे एकटा आओर बढ़ोतरी. नव वर्ष’क शुभकामना
"विचार सँ पैघ बनू आ नहि की वैभव वा अभिमान सँ।"
अतिउत्तम सतीश जी, हार्दिक बधाई।
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