अनचोँकहि मे नीन टूटल
बाहर पट्टखाक शोर छल
करैत लोक अनघोल छल
तखन बुझना मे आयल
इ त’ स्वागत करैत
नव बरखक बोल छल
केओ नव वसन मे चमकैत
केओ मदिरा सँ बहकैत
त’ केओ सुन्दरी संग नाचैत
ओहि मोहल्ला मे एकटा घर एहनो छल
जतहि ने कोनो शोर छल
नहि कोनो अनघोल छ्ल
आइयो ओकर चूल्हि छल मिझायल
पेट जेना पीठ मे धँसल
छलहुँ हम अपना सँ पुछि रहल
की ओकरा लेल नव बरखक कोनो मोल छल?
-कुन्दन कुमार मल्लिक, बेंगलुरु (कर्नाटक), सम्पर्क- +91-97390 04970
9 comments:
very good ..... keep it up !!!b
Waise mein sahitya zyada samajhti toh nahi hu ha lekin itna keh sakti hu ki aap ki kavita dil ko chhu gayee. It's really very sweet and shows the actual reality of the villages where the wind of new era had never blown. Keep it up. Really proud to see someone doing so much in maithili and for milthila.
हूँ.... अपनेक रचना मे परिपक्वता आब स्पष्ट दृष्टिगोचर भए रहल अछि.
सरल, सहज, सुन्दर रचना
बहुत दिन बाद नीक कविता. नव वर्षक मौका पर एकर प्रकाशन बेसी उपयुक्त रहिते. सबसँ बेसी जरूरी जे मोमेंटम कम नहीं होएबाक चाही. आ समय समय पर प्रकाशन जारी रहबाक चाही
namaste kundanji,
kavita badhiya achhi ahi me kono sansay nahi, sange aab paripkqutaa seha aabi rahal achhi.
ekta nahi do ta sikaayat achhi, pahil je ahan ke rachanaa bahut din k baad aayal, dosar je ekta premi kavi yatharthvaadi bha rahal achhi.
hamar tippani par jarur goar karab aa ahank mail k seho pratikchha rahat.....
ahank
amarji
sir ati uttam rachana ahan ke prakashit bhel achhi.
प्रसंग नीक. सब स पैघ गप्प ई जे कवि में गुणात्मक परिवर्तन भेल... एही के सम्हारी क राखब.
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