अपनापर बिचारै छलहुँ
अप्पन भावना के हेराक'
अनुभव के डुबाक'
हम बड सोचलहुँ
कवि- श्री संतोष कुमार मिश्र। जनकपुर (नेपाल) निवासी श्री संतोष कुमार मिश्र जी काठमाण्डू (नेपाल) मे एकटा बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे अधिकारी छथि। मैथिली साहित्य सँ विशेष लगाव आ मैथिली मे एखन धरि “पोसपूत" आ "उदास मोन” (कथा संग्रह), एना (आईना) (सम्पादित कविता संग्रह) प्रकाशित आ एखन एकटा कविता संग्रह "एना किए" प्रकाशनाधीन छन्हि। सम्पर्क- 00977-98510-11940 (मोबाइल)
जे हमरा मे तीव्रता के कमी अछि
हमरा निश्चय भ' गेल
जे हम बड सोचलहुँ
जे हम अहाँक प्रेमक लागक नहि छी
मुदा ई भइयो नहि सकैए की
अहाँके पहिल बेर देखिक'
हमरा मोन मे व्याकुलता आएल
जाहिके हम वर्णन नहि क' सकैत छी
दोसर बेर भेट होइते
हम अहाँ सँ परिचित भेलहुँ
ताहिके बाद अहाँ लग रहबाक
इच्छा हमरा मे जागल
अहाँक संग जे हमर
भावनात्मक सम्बन्ध रहय
से बड उपद्रवी रहय
ते हम बीतल भरि राति
भगवान सँ प्रार्थना करैत
हम बड सोचलहुँ
जाहि सँ हम सभ्य भ' गेलहुँ
ई बात हमरा बुझ' मे चलि आयल छल
जे हम नियंत्रण मे नहि छी
आ अपन नियंत्रण गुमा रहल छी
हम समय के पकड' चाहलहुँ
मुदा हमर भावना समय के छोडि देलक
पहिने हम प्रेम मे परलहुँ
आ बाद मे बुझलहुँ
ई एक सामाजिक अपराध छैक ।
1 comment:
दुविधा म परल सतोष कुमार मिश्र जी क कविता बहुत वढिया लागल । मनक दुविधा कविता म व्यक्त कायल गेल अछि जे सरल सैलि म अछी हुन क एहेन खुराक निरन्त अवैत रहे इ हमर सबहक आशा अछी
संतोषा जी क विशेष धन्यवाद
गगेश गुजन
काठमाण्डु नेपाल
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