कवियत्री- सुश्री कामिनी कमायनी
बड्ड दिन भेलए
देस कोस सँ दूर,
मोन जेना भसिआएल बूढ़ सन
हेराए गेलए,
किओ ककरो कल्लोल कए
कि गाम मोन पड़ल,
मुदा कोन गाम
ठाम की,
कतेको गाम आ शहरि मे भटकैत दिन,
एक दिन उदास पुछैत चित सँ,
जन सँ कि वित्त सँ,
पूर्ण भेल रिक्त की
लज्जा विहीन मोन
शँकित तमसाएल,
पदार्थ, दर्शन व
उतरल ओझराएल मोन,
आँखि सँ फुटैत अछि शोणित के धार,
जुग जुग के विस्थापित हम
फिरैत छी बोने बोन
मनुक्ख’क बोन वा कि तृष्णा’क बोन॥
देस कोस सँ दूर,
मोन जेना भसिआएल बूढ़ सन
हेराए गेलए,
किओ ककरो कल्लोल कए
कि गाम मोन पड़ल,
मुदा कोन गाम
ठाम की,
कतेको गाम आ शहरि मे भटकैत दिन,
एक दिन उदास पुछैत चित सँ,
जन सँ कि वित्त सँ,
पूर्ण भेल रिक्त की
लज्जा विहीन मोन
शँकित तमसाएल,
पदार्थ, दर्शन व
उतरल ओझराएल मोन,
आँखि सँ फुटैत अछि शोणित के धार,
जुग जुग के विस्थापित हम
फिरैत छी बोने बोन
मनुक्ख’क बोन वा कि तृष्णा’क बोन॥
7 comments:
achcchi rachna
नीक शब्द-भाव समन्वय।
विस्थापन केर दर्द सँ रचना अछि भरपूर।
बाढ़िक संग विस्थापना मैथिल छथि मजबूर।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आहांक कविता नीक लागल.सुन्दर रचना.
गुलमोहर का फूल
भाव गंभीर. ध्येय स्पष्ट. विश्थापन के दर्द मुखर भेल. निक रचना...
badiya rachna aaich.
ham sab ab visthapit ke jeevan jee rahal chhi.
rachna lel dhnyawaad.
कामिनी कामायनी !!!!
जिनकर नामे सौं साहित्यक रसाभाष होएत अछि हुनक कृति पर वाग-विलास हमरा वश मे नहि अछि ! हम एतबे कहब जे "कतेक रास बात' अप्पन उद्देश्यक प्रति तीव्र वेग से अग्रसर भए रहल अछि !! साधुवाद !!!
bahut nik rachanaa, visay ta bahut gamvir achhi aajuk samaaj me ta vishesh. aae-kali gaam ke gaam khali achhi fala babu ke beta dilli ta fala babu ke beta bombay.
kichu lok yayawar chaith hunka lel ta vishesh kakhanahu tata,orissa aur pata nahi katah-katah.
badhiya rachanaa
ahank
amarji
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