कवि-बबुआजी झा "अज्ञात"
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा
जतय जाँइ¸ जे करँइ¸ अपन छौ
सबल पाँखि उन्मुक्त गगन छौ
सुमधुर भाषा¸ प्रकॄति अहिंसक
अपन प्रदेश¸ अपन सभ जन छौ
मुदा कतहु रहि अर्जित जातिक
मान सुरक्षित रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊं करिहेँ सूगा
उत्तम पद अधिकाधिक अर्थक
जाल पसारल छै कानन में
पिजड़ा बन्न प्रफुल्लित रहमे
राजा की रानिक आङन में
जन्म धरित्रिक मॊह मुदा तोँ
मन में सभ दिन रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
पराधिन छौ कॊन अपन सक
बजिहेँ सिखि-सिखि नव-नव भाषा
की क्षति¸ अपन कलाकय प्रस्तुत
पबिहेँ प्रमुदित दूध बतासा
मातॄ सुखक वरदान मुदा नहिं
पहिलुक बॊल बिसरिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
जननिक नेह स्वभूमिक ममता
रहतौ मॊन अपन यदि वाणी
देशक हैत उजागर आनन
रहत चिरन्तन तॊर पिहानी
मुदा पेट पर भऽर दै अनके
नहिं सभ बढ़ियाँ बुझिहेँ सूगा
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
जतय जाँइ¸ जे करँइ¸ अपन छौ
सबल पाँखि उन्मुक्त गगन छौ
सुमधुर भाषा¸ प्रकॄति अहिंसक
अपन प्रदेश¸ अपन सभ जन छौ
मुदा कतहु रहि अर्जित जातिक
मान सुरक्षित रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊं करिहेँ सूगा
उत्तम पद अधिकाधिक अर्थक
जाल पसारल छै कानन में
पिजड़ा बन्न प्रफुल्लित रहमे
राजा की रानिक आङन में
जन्म धरित्रिक मॊह मुदा तोँ
मन में सभ दिन रखिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
पराधिन छौ कॊन अपन सक
बजिहेँ सिखि-सिखि नव-नव भाषा
की क्षति¸ अपन कलाकय प्रस्तुत
पबिहेँ प्रमुदित दूध बतासा
मातॄ सुखक वरदान मुदा नहिं
पहिलुक बॊल बिसरिहेँ सूगा¸
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
जननिक नेह स्वभूमिक ममता
रहतौ मॊन अपन यदि वाणी
देशक हैत उजागर आनन
रहत चिरन्तन तॊर पिहानी
मुदा पेट पर भऽर दै अनके
नहिं सभ बढ़ियाँ बुझिहेँ सूगा
एतबा धरि तॊँ करिहेँ सूगा ।
5 comments:
"Atabai Dhair too Karihai Suga" kawita ka rachanakar Babuaa Ji ka jataik dhanaiwad kari oh kam achi. yatharthwadi kawita bahoot kam dakhaik lail milait achi.Ahi rachana ka madhyam sa hareak pardesh rahaiwala maithli hunak wastwikta sa awgat karelow.
Anuroodh kariat chi ke aha apan kawita sa hareak maithil ka apan matik moan pariat rahab.
Pathak
Santosh
ठीके कहल गेल छैक, "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी" !!
कतहु रहि कोनो भाषा कियैक नहि सीख ली मुदा अपन भाषा, संस्कार, परम्परा आ मातृभूमि के नहि बिसरबाक चाही।
badd bik agyatji. non-resident maithil ke aankhi kholbak lel kaphi bujhna jait achhi. apan pahchan bana ke rakhab bahut jaruri achhi. ehi batak paksha mein bahut maithil chhathi muda shabd sa kavita ke rup mein dekhi man dravit bh gel.
sanjay jha
एतबा धरि तों करिह' रे सूगा,
जतए होथि ई पांति के लेखक,
हमर नमन पहुंचाबिहा रे सूगा !!
अद्भुत रचना....... !!
एहि सौं बेसी हम नहि कहि सकैत छी !!
Nice lyric. I apreciate for that lyric.
Www.bataknews.online
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