
- पोसपुत
- एकटा व्यथा पत्र में
- जखन कनिञा भेलखिन बिमार
- सिपाहि
- डाक्टर
- भाग्य अप्पन अप्पन
- दाग
पुस्तक के खासियत अछि एकर देवनागरी आ तिरहुत लिपि दुनु में लेखन। कथा के संस्मरण शैली में लिखल गेल अछि आ कथाकार युवा वर्ग के मानसिकता के प्रतिबिम्बित करैत छैथ जे कहानी के शैली में नवीनता आनैत अछि।
एहि पुस्तक के पढ़ला पर जतय लेखक के मैथिली भाषा के प्रति लगाव आ ओही में लेखन प्रशंसनीय लागैत अछि ओतहि कथा सभक स्तर के देखि बहुत अफसोस होयत अछि। "डाक्टर" कथा के छोड़ि बाकी कथा मैथिली कथा के स्तर से बहुत नीचा अछि। मैथिली साहित्य में बहुत कम प्रकाशन भेला से स्तरीय पुस्तक के प्रकाशन के लेल आशा कयल जायत अछि आ एहेन में कोनो स्तरहीन पुस्तक के लेल जगह नहि रहि जायत अछि।
आशा जे संतोष जी के अगिला पुस्तक स्तरीय हेतैक आ ओ अपन जगह मैथिली के मानक लेखक में बनाबै में सफल हेता। "कतेक रास बात" हमेशा से मैथिली लेखन आ साहित्य के प्रोत्साहित करैत आयल अछि आ संतोष जी के सेहो धन्यवाद जे ओ हिम्मत क' के आगाँ अयला। एहिना लिखैत रहु आ मैथिली के अपन स्तरीय योगदान दियौक।
संतोष जी सँ +977-9841377570 (मोबाइल, नेपाल) पर सम्पर्क साधल जा सकैत अछि।शुभकामना,
कतेक रास बात
4 comments:
राजीवजी,
बहुत दिन सँ हमर मोन में एकटा विचार चलि रहल छल जे एहि मंच पर नव प्रकाशित पुस्तक सभहक समीक्षा प्रकाशित कएल जाए। अपनेक लिखल समीक्षा देखि के नीक लागल। एहि पुस्तक के सन्दर्भ में तs किछु नहिं कहि सकैत छी, किएक जे एखन धरि एकरा पढय के सौभाग्य नहिं भेटल। मुदा एकर आवरण पृष्ठ'क (तिरहुता संस्करण) चित्र देखि के किछु निराशा भेल। तिरहुता लिपि में लिखल एहि संसकरण में "पोसपुत" केर स्थान पर "पासेपुत" लिखल अछि। एहन तरह'क अशुद्धि'क स्थान कम-सँ-कम आवरण पृष्ठ पर तs नहिं भs सकैत छैक।
जेतय धरि अहाँ'क लिखल समीक्षा'क बात अछि ओहि में अहाँ किछु मूलभूत बात लिखनाय बिसरि गेलहुँ यथा, लेखक'क परिचय, कोन प्रकाशन सँ प्रकाशित भेल अछि, कुल पृष्ठ संख्या आ पोथी'क दाम।
धन्यवाद-
कुन्दन कुमार मल्लिक
Dear sir,
Hum ehi bat sa dukhi bhelahu je apne lag sachiyal kitab nahi pahuchal aa pahilka prakasan bala pahuch gel.
eta Nepal me je puran lekhak sab chhain hunako sab ke tirhuta nahi abaichhain.
sachiya ka prakashit kael gel kitab hum bhej rahal chhi.
je galti humra sa bhel tahi ke lel kshama prarthi chhi.
Santosh Kumar Mishra
@कुन्दन जी,
श्रीमान संतोष कुमार जीक रचना पोसपुत हमरा लग अछि। जौं अहाँ के इच्छा होय त' हमरा कहब। पुस्तक के बिना पढ़ने ओकर अंदाज नहि लगायल जा सकैत अछि। कोशिश पुरजोर छैक लेखन में, मुदा परिवेश के सेहो अपन योगदान होयत अछि रचना में आ नेपाल में मैथिली लेखनक परिवेश आब नाममात्र केर रहि गेल अछि। नेपाल के की कहब, मिथिला सेहो एहि लेखे शिथिले भेल जा रहल अछि।
हमर समीक्षा के पर्याय छल जे पोसपुत के उच्च कोटि के रचना नहि कहल जा सकैत
अछि, मुदा अहाँ के मैथिली लेखन के तारीफ करय टा पड़त जाहि से हमहौँ चकित छलहुँ।
जहाँ तक पोथी के कवर पर गलत शीर्षक देल छैक ओ प्रूफ रीडिंग के समय में लेल गेल छल आ ओही अशुद्धि के प्रकाशन बेला में निवारण कएल गेल अछि।
पोसपुत भारत में बिक्री के लेल उपलब्ध नहि अछि आ बेंगलूरू में जे कियो पढ़बा के लेल इच्छुक छैथ ओ हमरा सँ पुस्तक ल' के पढि सकैत छैथ।
-राजीव रंजन लाल
प्रिय बंधुगन
सन्तोष भैयाक कहला पर मैथिल आर मिथिला (मैथिली ब्लॉग) पर
उदास मोन आऽ पोसपुत (मैथिली कथा संग्रह) प्रकाशित करल जे चुकल अछि !
जकरा अहिठाम देख सकैत छलो http://maithilaurmithila.blogspot.com/
धन्यवाद
जितमोहन झा (जितू)
http://maithilaurmithila.blogspot.com/
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