इजोरीया राति में छत पर टहलैत
दूर गगन केँ निहारैत
डूबि जायत छी, अपन अतीत में
अपन विगत’क स्मृति में
चन्द्रमा अपन चाँदनी सँ चमकि रहल अछि
मुदा एहि इजोरिया में उ बात नहिं अछि
जे पहिने होयत छल
बंगलोर’क चकाचौन्ध में इ अस्तित्वहीन अछि
गाम’क इजोरिया मोन पडैत अछि
फेर मोन पुलकित भs जायत अछि
मोन आबैत अछि कतेक रास बात
पोखरि’क कात में माछ मारनाय
आ महार पर बैसी के भूत-प्रेत’क बात
संगे-संग भय आ रोमांच’क अनुभव
ओकरे संग किछु आहट सँ सचेत भेनाय
आ आँखि बंसी’क तरेला पर अटकि जेनाय
तेखने हवा में सरसराहट सँ सिहरि जेनाय
आ फेर भूत-प्रेत’क बात केँ साकार भेनाय
आ लड्डू केँ भूत बनि केँ डरौनाय
एहेन कतेक रास बात अछि
जे प्यार आ रोमांच सँ भरल अछि
दादी’क प्यार आ माँ’क दुलार
माँ केँ सुग्गा आ कौआ बला रोटी बनेनाय
अँगना में कोरा में बैसा केँ खुऔनाय
चन्दा मामा केँ देखा केँ लोरी सुनौनाय
फेर सँ ओहि दुनिया में घुमय चाहैत छी
मुदा इ त एहेन भागल-बिसरल क्षण अछि
जे केखनो घुमि के नहिं आबैत अछि।
- कुन्दन कुमार मल्लिक,
ग्राम- बलियारी, डाक- झंझारपुर,
जिला- मधुबनी (बिहार)- ८४७४०४
ई-मेल- kkmallick@gmail.com
सम्पर्क-+९१-९७३९००४९७० (बंगलोर)
4 comments:
नमस्ते कुन्दनजी,
कविता के जतेह बखान कैल जै कम अछि.
हम त बस एतवै कहब चाहब जे "तुसि ग्रेट हो पाजी". अहांक कलम स निकलल हरेक शब्द एकटा तीर अछि जे, सीधे दिल में धसी जायत अछि.
अहांक
अमरजी
कुन्द न जी आहां द्वारा लीखल कविता बड नीक लागल आहां स ऊम्मीद करैत छी की आहांक कविता सब के नीक लाग्तैन
ध्न्य्वाद
भाई साहेब,
"इजोरिया राति में" कविता पढि के मजा आबि गेल। सत्ते जेना ढप-ढप इजोरिया मोन के छकुआ देलक। बंगलोर हो वा दिल्ली सभ ठाम एक्के परिदृश्य छै।
सुभाष चन्द्र
13/ए, सी बी ब्लॉक,
शालिमारबाग, दिल्ली- 88,
मो.- 09871846705
की यौ सरकार,
नहिए मानब! देखु एहन कविता जुनी लिखु जे हमरा फेर सों तुरते गाम'क रास्ता नजर आबि जाए ! किएक हम एक्खन तुरत्ते गाम सों अवैते छी! अपने'क कविता किछु काल'क लेल त सहिए में हमरा गाम पहुँचा देलक ! लेकिन सत्य मानू त अपनेक कविता में जे सौंदर्य अछि, वो त आब गाम में नदारद ! सब जगह कृत्रिमता आबि गेल अछि आ नवका युग'क ई कृत्रिमता गाम'क प्राकृतिक सौन्दर्य के निगली रहल अछि ! काश अपना सब किछु क सकितौं !!!
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