लेखक: आदि यायावर
मूलनाम: डा. कुमार पद्मनाभ
पीयूस आफिस पहुँचि गेल छलाह. सबसँ पहिने अपन लैपटॉप खोलि फेसबुक में स्टेटस अपडेट केलाह आ सरपट अपन काज में जुटि गेलाह.
उम्हर हुनकर पत्नी “अँशु” केँ कनियों अपरतिव नहि लागलनि जे
पीयूश भोरे सुति उठि के बिना चाह-नाश्ता केने आफिस चलि गेलाह. हुनका बुझल छलनि जे
एहेन परिस्थिति मे पीयूश केँ मनेनाय निरर्थक. एहेन रुसब-फुलब कएक बेर भेल छल आ ओ मनेबाक
कतेक बेर असफल प्रयास केने हेतीह. ओ चाह-नाश्ता करबाक लेल किन्नहुँ नहि मानि सकैत
छलाह. ओहो किएक बेर-बेर मनाबैक लेल जेतीह. अँशु‘क जीद्द छलनि जे आब अपन जिंदगी अपन अनुकूल जीतीह, बिना कोनो लाग-लपेटक. किओ रुसौथ आकि किओ मानौथ अपन मर्जी
सँ.
इ त‘ रोजे‘क गप्प छल. आइ कोनो विशेष घटना नहि
घटल छल, तैयो अँशु के आइ सब किछु याद आबए
लागलनि. आइ हुनकर विवाह‘क चारिम वर्षगाँठ रहनि. आ चारिए साल मे सब किछु एना तहस-नहस भ‘ जेतनि तकर हुनका कनियोँ अँदेशा नइँ छलनि. एके घर मे रहिकेँ
दुनू प्राणी अनचिन्हार बनल रहैत छथि. कएक दिन भ‘ जैत छनि पीयूश सँ गप्प भेलाक. यदि कहियो गप्प होइतो छनि त‘ मात्र ओतबे जाहि सँ काज चलि जानि. दोसर पति-पत्नि युगलकेँ
देखि हुनका खुब सेहंता होइत छनि जे हुनको जीवने ओहने रहनि, मुदा नहि जानि किएक ओतेक प्रयास‘क के बावजूदो एना सँभव नहि भेलनि.
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चारि साल पहिलुका गप्प याद आबए लागलनि. इंटरनेट‘क दुनियाँ नइँ चाहितो कतेक लोक‘क दुनिया बदैल देने छल. विवाह‘क तौर तरीका बदलि गेल छल. अँशु एकर सद्यः प्रमाण थीकीह.
चारि साल पहिने ओ ग्रैजूएशन‘क अंतिम साल में छलीह. हुनकर बाबुजी इंटरनेट मैट्रीमोनी मे हुनकर प्रोफाइल द‘ देने छलाह. पहिलुके सप्ताह मे हुनका कएकटा प्रस्ताव आबि
गेल छलनि. बाबुजी‘क इमेल अँशुए बनेने छलीह. तेँ
हुनका पासवर्ड सब बुझल छलैन्ह. चोरा-नुका केँ ओ सबटा प्रस्ताव केँ देखि नेने छलीह.
पीयूशक प्रोफाइल हुनका सबसँ नीक लागल छलनि. पाँच-फीट
एगारह इँच ऊँच, एथलेटिक बॉडी आ बहुराष्ट्रीय
कम्पनी में नौकरी. ओहि में दरमाह सेहो लिखल छलनि. अँशु सँ रहल नइँ गेल छलनि.
चोरा-नुका केँ हुनकर फेसबुक प्रोफाइल केँ नियमित रुपेँ देखय लागल छलीह. पीयूशो सँ
बेसी नीक, आओर प्रोफाइल सब आबि सकैत छलनि. तीनूटा भाए, बाबूजी आ माँ सब किओ कहने छलनि कनिएँ आओर बाट ताकबाक लेल. मुदा सब केँ कहि
देने छलीह जे हुनका पीयूशे पसंद छनि. फेर हुनकर बाबुजी कथा ल‘ केँ पीयूश‘क घर पर गेल रहैथ.
घर-द्वार सब किछु बढियाँ मुदा दहेज‘क बेसी डीमांड सेहो. पीयूश‘क फेसबुक‘क देवाल पर लिखल ओतेक बढियाँ बढियाँ फिलोसोफी आ दहेज‘क एतेक घटिया गप्प. तीन भाए‘क उपरांत में भेल अँशु, माए-बाप‘क सबसँ बेसी दुलारू संतान छली. पहिने फेसबुक सँ “फ्राइंड रीक्वेस्ट” पठा
देलथिन्ह आ एक्सेप्ट भेलाक बाद तुरंते एक पेज‘क इमेल पीयूश केँ पठा देने छलीह जे इ दहेज‘क डीमाँड कोन सभ्यता‘क निशानी थीक. ओ केवल इमेले टा नइँ छल. ओ पीयूश‘क पुरुषार्थ केँ चुनौती देल गेल छल. ओना शादी व्याह‘क मामला मे पीयूश कोनो हस्तक्षेप नहि करैत छलाह मुदा हुनकर
पुरुषार्थ केँ चुनौती भेटल छलनि. ओ अपन माए बाबूजी सँ बात क‘ केँ दहेज शब्द केँ अपन विवाह सँ हँटा देने छलाह. अँशु केँ
पहिने पीयूश नीकेटा लागल छलनि मुदा हुनकर एहेन प्रयास सँ अँशु‘क मोन में हुनका लेल इज्जत बढि गेल छलैन्ह. मोने मोन हुनकर
सम्मान करए लागल छलीह. अँशु‘क माए हुनका कतेको बेर बुझेने हेतीह जे लड़का‘क रंग पीर्श्याम अछि. मुदा अँशु‘क कहब छलनि जे पीर्श्याम लड़का आओर बेसी नीक. पीयूश सेहो
एहने बोल्ड स्त्री केँ अपन जीवन सँगिनि बनाबए चाहैत छलाह. घर में घुसल फुसियाही
गप्प पर झगडा करय वाली लड़की सँ नहि.
समय बदलल गेल जा रहल छल आ सँगहिँ अँशू-पीयूश‘क फेसबुक “अपडेट” सेहो भेल गेल. सबसँ पहिने एक दोसर‘क “फ्रेंड-लिस्ट” में शामिल भेल गेल, जे किनको ध्यान आकर्षित नहि केलक. ओकर बाद प्रत्येक फोटो, कमेंट‘क “लाइक”. ओकर बाद किछु दिन‘क लेल कोनो आवरजाह नहि. ओकर बाद फेसबु‘क स्टेटस अपडेट भेल... अँशु इनगेज्ड विद पीयूश. ओकर तीन महीना धरि पुनः शाँति.
फेर व्याह‘क फोटो, किछु दिन‘क बाद हनीमून‘क फोटो. अँशु, पीयूश आ फेसबुक में अन्योन्याश्रित सँबँध बनि गेल छल.
ड्राइँग रुम में विभिन्न चैनलक बीच में विचार‘क उहापोह में अँशु डुबकी लगा रहल छलीह. कएक बेर मोन करैत
छलनि जे एकबेर फेसबुक केँ देखल जाए. मुदा हुनका बुझल छलनि जे वर्षगाँठ‘क बधाइ लेल कम सँ कम आइ पचास टा मैसेज आएल हेतनि. हुनकर
कतेको फोटो पर दोस्त महीम रिश्तेदार लिखने हेतनि जे मेड-फोर-इच-अदर-कपल. सम्भवे
नहि छलनि नहि त चीकैर चीकैर केँ फेसबुक पर सब केँ कहए चाहैत छलीह जे हुनकर विवाह
एकटा असफल प्रयोग छल. भोरे-भोर पीयूश यदि हुनका एकबेर प्रेम सँ नीक भाषा में व्याह‘क वर्षगाठ‘क बधाइ द‘ दैतथि त‘ हुनकर मोन‘क सबटा मैल आइए खत्म भ‘ जैतन्हि. मोन करैत छलनि जे अपन माए केँ फोन क‘ के कहैथ “माँ गे, कारी लड़का‘क हृदय सेहो कारी होएत अछि. काश!
आइ तोहर बात मानि गेल रहितहुँ”. सोचिते सोचिते हुनकर आँखि सँ नोर आबि गेल छलनि.
मुदा ओ अपना आप केँ कमजोर नहि साबित करय चाहैत छलीह.
बारह बजे धरि तीन कप्प चाह बना केँ पीबि लेने छलीह. अपन
ध्यान पीयूश सँ हँटेबाक प्रयास करय लागलीह. अपन हारि किन्नहुँ मानबाक लेल तैयार
नइँ छलीह. ओ सब किछु में पीयूश‘क बाट किएक ताकतीह. ओ रुसल रहताह त‘ हुनकर मर्जी. ओ चाह, नाश्ता आ खाना नहि खेताह त‘ हुनकर मर्जी. हुनका लेल ओ अपना आप केँ किएक सज़ा देतीह. किचेन जा केँ दालि
भात तरकारी रान्हि चुकल छलीह. आइ खाना खेबाक काल में डायटिँग शब्द बिसरि गेल छलीह.
आब ड्राइँग रूम में आबि पुनः टेलीविजन‘क चैनल बदैल बदैल केँ देखय लागल छलीह. चारु दिस शाँति छल. हुनकर
मोन बेर बेर पीयूश दिस भटकबाक लेल जाइत छलनि मुदा अपन व्यथित मोन केँ टेलीविजन‘क चैनल पर एकाग्रचित करबाक प्रयास करय लागलीह. यैह क्रम में
हुनकर आँखि झलफलाय लागल छलनि. अधनीने में छली जखन हुनकर मोबाइल‘क घँटी बाजलनि. मोबाइल में लिखल आबैत छलैन “पीयूश इज
कालिँग”. पीयूश‘क कॉल आ ओहो दिन में अढाई बजे, अँशु के तामस उठि गेल छलनि. मुदा ओ फोन केँ उठा लेलीह.
उम्हर सँ आवाज आयल,
“हू इज दिस, आप कौन बोल रही हैँ”.
ओ पीयूश‘क आवाज नहि छल. आवाज बदल छल. “यू टेल मी... हू आर यू..., यू काल्ड मी”. अँशु अकचकाएल उत्तर देने छलीह.
“मै पुछ रहा हूँ जिस आदमी का यह फोन है आप उसकी क्या
लगती हैँ”
“क्योँ, आप कौन बोल रहे हैँ?”.
“बहनजी कृपया आप अन्यथा नहीं लेँ. इस आदमी का एक्सीडींट
हो गया है. सड़क के किनारे यह पड़ा हुआ है. इसके जेब मे यह मोबाइल था और इसके
इमरजेंसी नम्बर पर मैने आपको काल किया हूँ. कृपया बताइए आप कौन हैँ. इसके घर वालोँ
को कृपया काल करके बता दीजिए कि इसका इक्सीडेंट हो गया है. इसके सिर से बहुत खून
बहा है. इसको तुरंत अस्प्तल ले जाना चाहिए. वैसे हमलोँगोँ ने पुलिस और एम्बूलेंस
को भी खबर कर दिया है”. फोन कटि गेल छल.
पीयूश !
एक्सीडेंट!
खून!
एम्बुलेंस!
पुलिस आ अस्पताल!
ई शब्द सब अँशु‘क दिमाग में कौंधे लागलनि. पीयूश‘क एक्सीडेंट भ‘ गेल छलनि.
आब ओ की क‘ सकैत छलीह. हुनका किच्छो नहि बुझि मे आबैत छलनि.
आइ भोरे सँ पीयूश लेल ओ कतेक गलत बात सोचने जा रहल छलीह.
मानि लेल जाए जे पीयूश नहि रुकलाह... त‘ की भेल एक बेर ओ हुनका रोकि सकैत छलीह. विवाह‘क वर्षगाँठ‘क तैयारी ओ अपने सँ क‘ सकैत छलीह. एकबेर हुनका नाश्ता करबाक लेल कहि सकैत छलीह. छट्टी लेबाक लेल कहि
सकैत छलीह.
ओह! पीयूश‘क एक्सीडेंट भ‘ गेल.
आइ दिन भरि हुनका कतेक कोसने छलीह. कोन कोन गप्प मोन में
आनने छलीह.
हुनका माथ में कोन ठाम चोट लागल छलनि. कतेक खून बहल छल.
कहीँ किछु अनहोनी भ‘ जानि तखन?
आइ विवाह‘क वर्षगाँठ पर हुनका एतेक श्रापने छलीह. कहीँ ई एक्सीडेंट ओही कारणसँ त‘ नहि भेल?
अँशु‘क मोन कोनो एक दिशा में नहि जा रहल छलैन. कोनो निर्णय पर नहि पहुँचि रहल छलीह.
मोन अपराधबोध सँ ग्रसित भेल छलनि. आँखि नोर सँ लाल भेल छल. मुदा नोर‘क धार नहि बहि रहल छल. नोर‘क धार दुख़‘क उपसँहार होइत छैक. दु:ख‘क त‘ ओ शुरुआते छल ओहो अनचोके. ओ आदमी
कोन जगहक नाम कहने छलनि सेहो बिसैर गेलीह. टैक्सी आबए में टाइम लगेतन्हि आ बस रुकि
रुकि केँ चलतनि. एहि परिस्थिति में हुनका के मददि लेल एतन्हि.
मोन भेलन्हि ठोहि पाड़ि के कानतीह. कि तखने फ्लैट‘क डोर-बेल बाजि उठल. ओह नीके भेल. किओ त आएल. ओ चटाक द‘ केवाड़ खोलि देलथिन. आगू में पीयूश ठाढ छल. हुनकर हाथ में
लैप-टोप नदारद छलनि. ओ घामे-पसीने तर बतर छल. ओ मुस्की मारि रहल छलाह.
तखन की... एहेन परिस्थिति मे हुनका सँ एकटा भद्दा मजाक
काएल गेल छल? व्याह‘क वर्षगाँठ पर पति‘क एक्सीडेंट हेबाक मजाक!
अँशु देखैत छथि जे पीयूश एखनहुँ धरि ठाढ छलाह. मुस्कि
मारि रहल छलाह. एहेन भद्दा मजाक बुझबाक बाद हुनकर मोन आओर तामसेँ घोर भ‘ गेल छलनि. ओ किछु नइँ बाजलीह. सोफा पर जा केँ धम्म सँ पड़ि
गेलीह. कुशन में मुँह नुका केँ कानए लागलीह. दु:ख मे नोर, सुख में नोर, तामस में नोर, घृणा में नोर, यदि कोनो वश नइँ चलय तखन फेर सँ नोर. एहि बेर हुनकर नोर
अनवरत बहि रहल छलनि. साइत एक घटना‘क उपसँहार तैयार भ‘ रहल छल.
एहि उपसँहार‘क मतलब छल जे हुनका आब यैह जिनगी जीबए पडतनि. अँशु केँ होएत छलनि जे स्त्री‘क कोमल भावना‘क पीयूश में कनियोटा ज्ञान नइँ छलनि. हुनकर फोन‘क घँटी फेर सँ बाजैत छनि. ओ विचारशुन्य छलीह. फोन में पुनः
लिखल आबि रहल छलनि, “पीयूश इज कालिँग”. एहि बेर ओ
सोचि नेने छलीह जे एहि भद्दा मजाक‘क लेल ओ पीयूश‘क कोनो दशा नहि छोडतीह. ओ फोन उठा
नेने छलीह.
उम्हर सँ आवाज आएल, “मैडम, मैं इंसपेक्टर हारुण बोल रहा हूँ. मै इस आदमी को अपोलो अस्पताल के इमर्जेंसी
वार्ड में भरती करवा दिया हूँ. आप रिशेप्शन पर आकर इनका वार्ड नम्बर पता कर सकते
हैँ. मुझे थोड़े देर बाद में यहाँ से जाना पड़ेगा. जी हाँ, एक और बात... आप मडीवाला पुलिस स्टेशन पर इस आदमी का डीटेल
लिखवा सकती हैँ”.
एत्तेक बात सुनि केँ अँशु केँ विश्वाश नहि भेलनि. एखने
तुरंते त‘ पीयूश घर आएल छल. जरूर कोनो
पेँचीदा मामला छल. मुदा किओ एहि तरहेँ बेर बेर नहि फोन क‘ सकैत अछि.
अँशु वैह नम्बर पर पुनः काल बैक केलैथ. उम्हर सँ आवाज
आएल, “इंस्पेक्टर हारुण स्पीकिँग. जी
मैडम आप कहाँ हैँ. मडीवाला पुलिस स्टेशन पर आपने डिटेल लिखवाया?”
“जी नही? कृपया आप पुलिस स्टेशन का नम्बर दीजिए”
“अच्छा मैँ अभी एस.एम.एस. करता हूँ.” फोन कटि गेल आ
किछुए काल मे एकटा एस.एम.एस हुनकर फोन पर आएल.
अँशु के किछु बुझि में नहि आबि रहल छलैन. ओ बेडरुम मे
आबि केँ देखिलीह. ओतय नहि त‘ पीयूशे उपस्थित छल आ नहिएँ हुनकर कोनो कपड़ा. हुनका भेलनि जो ओ जरुर बालकोनी
मे प्लास्टिक‘क कुर्सी पर बैसल हेताह. ओ बरामदा
में गेलीह. मुदा पीयूश उपस्थित नइँ छलाह. ओ गेस्ट रूम में जा केँ देखैत छैथ, ओ ओतहुँ नहि छलाह. स्टडी रुम ओहिना वीरान छल.
पीयूश कतओ नइँ छलाह. एतबी देर में कतए अलोपित भ‘ गेलाह. ओ पुनः प्रत्येक रुम-बालकोनी में जा केँ निरीक्षण केलीह.
डबल-बेड‘क नीचा मे जा केँ देखलीह. कतओ नहि
भेटलनि. एतबी देर में फेर सँ अलोपित भ‘ गेल. ओ हुनकर नाम सँ जोर सँ चीकरए लागलीह. कतओ सँ कोनो उत्तर नहि भेटलनि.
एस.एम.एस. मे आएल नम्बर पर ओ काल केलीह. उम्हर मडीवाला
पुलिस स्टेशन‘क सर्किल आफिसर फोन उठेने छल. अँशुफोन
पर पुछय छथि, “जी हाँ, आउटर रिँग-रोड पर भेल एक्सीडेंट‘क बारे में मैं बताना चाह रही थी”.
“जी हाँ बोलिए. नाम क्या है, इस आदमी का?”
...नाम है, पीयूश कुमार.
“उम्र ?“
“बत्तीस साल”
“पता ?“
“कहाँ काम करते हैँ...”
“किधर जा रहे थे?“
दस तरहक जानकारी लेने होएत. अँशु सब किछु फटाफट कहैत
गेलीह. लेकिन अंतिम प्रश्न में हुनकर कोँढ फाटि गेलनि”.
“जी हाँ, मैडम आप इस आदमी की क्या लगती हैँ”
“हम हिनकर पत्नी छिअनि”.
सर्किल आफिसर कहलकनि, “जी हाँ आप अस्पताल जाकर सब काम निपटा दीजिए. सुना है उसका
हालत बहुत गम्भीर है. यदि कोई अनहोनी होती है तो मुझे उस बस वाले के उपर 302 धारा
लगाना पडेगा. इसके लिए आपको कम से कम एक बार पुलिस स्टेशन आना पडेगा”.
अँशु केँ किछु नइँ फुरा रहल छलनि. ओ एक बेर फेर सँ जोर
आवाज देलथिन, “सुनै छी.. कतय छी”. कतओ सँ कोनो
जबाव नइँ आएल. ओ पुनः प्रत्येक रुम आ बालकोनी जा केँ देख एलीह.कतओ कोनो पता नहि.
पीयूश निपत्ताभ‘ गेल छलाह. आब अँशु के विश्वाश होमए लगलैन जे एक्सीडेंट‘क घटना सत्य थीक. तखन ओ के छल जिनका लेल ओ गेट खोलने छली.
हुनका लगे-रहो-मुन्ना-भाई‘क “केमिकल-लोचा” याद आबए लागलनि. व्यथित मोन‘क परेशानी बढ़लापर अलग अलग आकृतिक आभाष होइत छैक. ओ भोरे सँ
परेशान छलीह. एक्सीडेंट‘क घटना सुनि आओर परेशान भ‘ गेल छलीह. भ‘ सकैत छल जे केमिकल लोचा सँ हुनका
मोने मोन पीयूश देखा पड़लनि.
फेर सँ भोर सँ सोचल गेल नीगेटिव बात याद आबए लागलनि. यदि
कोनो तरहेँ यदि कोनो अनहोनी भ‘ जान्हि त अपना आप केँ कहियो माफ नइँ क‘ सकैत छथि. कोन पति-पत्निमे नोक झोँक नइँ होइत छै. कोन पति पत्नि में लड़ाई
नहि होइत छै. मुदा प्रत्येक लड़ाइ‘क बाद समझौता सेहो होइत छैक. एही सँ जीवन‘क गाड़ी चलैत छैक. अँशु समझौता‘क लेल कोनो अवसरे नइँ दैत छली. भोर सँ निर्णय काएल गेल
प्रत्येक आरोप में हुनका अपन गलती‘क आभास भेलनि. ओ प्रत्येक गलती केँ चिह्नित क‘ रहल छलीह जतय ओ अपन कनिए उदारता सँ मामला केँ सम्हारि सकैत
छलीह.
मुदा आब कोनो उपाय नइँ. यदि भगवान हुनका एक अवसर दैथि त‘ कहियो पीयूश सँ झगड़ा नइँ करतीह. एक बेर पीयूश केँ भगवान सही
सलामत क‘ दैथि. सब किछु ठीक भ‘ जायत. ओ जतेक देवी देवताकेँ नाम सुनने छलीह सबहक आह्वाहन
करए लागलीह. समय बिल्कूल नइँ छलैन्ह. अपोलो अस्पताल जल्दी सँ जल्दी पहुँचबाक छलनि.
ओ निर्णय केने रहैथ जे आटो ल‘ केँ सीधे अस्पताल पहुँचतीह.
अपन वार्डरोब खोलि केँ दस हजार टाका आ एकटा क्रेडीट-कार्ड
सँग में राखि लेलीह. जल्दी मे केवाड़ लग पहुँचली तखन याद एलनि जे ओ त‘ एखन जींस आ टीसर्ट पहिरने छथि. पति के एहि अवस्था में
देखबाक लेल जींस आ टीशर्ट में किओ देखतनि, त‘ लोक की कहतनि.
पुनः अपन वार्ड रोब केँ खोलि दैत छथि. एकटा सलवार-सूट ल‘ केँ पहिरबाक तैयारी करए लागैत छथि. कि तखने बेडरुम सँ अटैच
बाथरूम सँ जोर सँ फ्लस चलबाक आवाज ओएत अछि. ओ घबरा जैत छथि. बाथरूम में के नुकाएल
छल.
बाथरुम‘क केबाड़ खुलैत अछि...
अफिसे वाला पैंट सर्ट पहिरने पीयूश एक बेर फेर सँ देखा
पडैत छनि.
किछु देर लेल अँशु पुनः स्तब्ध भ‘ जैत छथि. “केमिकल लोचा” फेर सँ मोन पडैत छथि. ओ अपन जगह पर
कोनो मूर्ति सदृश्य ठाढ़ भेल रहलीह. किछु नइँ फुरा पड़ि रहल छलनि. ओम्हर पीयूश
बाथरुम‘क चौकठि पर ठाढ़ फेर सँ मुस्कि मारि
रहल छलाह.
“सौरी... कोनो बात नहि साल भरि भ‘ गेल छल ओकरा. आब नव नव कीनि लेब, आईए” माने एखने पीयूश शाँति आ नीरवता केँ भँग केने कहने
छलाह.
“कोनो चीज नव नव कीनब अहाँ...”
“किएक हमर अंतिम फेसबुक अपडेट अहाँ नहिँ पढने छी, सैह..”
“नइँ हम आइ फेसबुक नइँ खोलने छलहुँ. की अपडेट केने छलहुँ?”
“अरे, हमर मोबाइल फोन चोरी भ‘ गेल छल. बस में चढैते काल किओ पार क‘ देलक. सैह ने अपडेट केने छलहुँ. अनेरो लोक सब फोन करैत होएत. एखन ककर फोन आएल
छल”
मोबाइल फोन‘क चोरी, एक्सीडेंट, भगवान‘क विनती, पछिला दस मिनट सँ भेल इमोशनल
ड्रामा‘क जड़ि बुझि में आबि गेल छलनि.
भावना‘क विर्रोह जतबे तीव्रता सँ उठल छल
ओतबी जल्दी खत्म सेहो भ‘ गेल छल.
भगवान सँ काएल गेल अपन प्रतिज्ञा हुनका एखनो याद छलनि.
मुदा केमिकल लोचा हुनका एखनो धरि मोन केँ स्थिर नइँ होमए देबए चाहैत छलनि. ओ एक
बेर पीयूश केँ छुबि केँ निश्चिँत होबए चाहैत छलीह जे कोनो “केमिकल लोचा” त‘ नइँ. ओ जा केँ पीयूश केँ भरि पाँजर पकैड़ लैत छथि. पीयूश
एकरा व्याह‘क वर्षगाँठ‘क अनुराग बुझि रहल छलैथ. पीयूश अपन पकड़ के आओर मजगूत क‘ दैत बाजैत छथि, “चालू ने आइ हमरा एकटा नीक सन मोबाइल फोन कीनि दिअ. हम अहीँक पसंद सँ लेब.
कोनो आर्गूमेंट नहि. कखनहुँ हम अपन सीमा केँ उल्लँघन क‘ दैत छी. हम कोशिश करब जे आब सँ एना नइँ होएत.
अँशु अपन पकड़ केँ से मजगूत क‘ दैत छथि. हुनका मुँह सँ एकेटा शब्द निकलैत छनि... “गलती त‘ हमरो रहैत अछि.”
“चलु कोनो बात नइँ फोन कीनबा‘क बाद अपना सब समरकंद रेस्टोरेंट चलब. ओतुका बिरियानी
सुनलहुँ जे बहुत नीक होएत अछि.
ओकर बाद...?
ओकर बाद...!
रुकु आई पहिने हम चाह बनाबैत छी. कएक महीना भ‘ गेल अछि अहाँ के चाह बना केँ पीएबाक लेल”
अँशु किछु नइँ बाजि रहल छलीह. हुनका आँखि सँ नोर अनवरत
बहि रहल छलनि.
पीयूश कीचेन जा चुकल छलाह. अशुँ फेसबुक में लॉगिन करैत
छथि. हुनकर देवाल पर चौरासी टा मैसेज छल, आ किओ हुनका दुनू लोकनिक फोटो पर कमेंट पोस्ट केने छल, “मेड फोर इच अदर कपल”. भोर सँ भेल
घटनाक्रम केँ ओ बिसरि जेबाक प्रयास करय लगैत छथि.